भारत का 1 ट्रिलियन डॉलर निर्यात लक्ष्य मुश्किल, वैश्विक मंदी बनी बड़ी चुनौती

By Ankit Jaiswal | Dec 25, 2025

भारत सरकार लंबे समय से 1 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य की ओर बढ़ने की बात कर रही है, लेकिन मौजूदा वैश्विक हालात इस राह को कठिन बनाते दिख रहे हैं। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 के अंत तक यह लक्ष्य हासिल होना मुश्किल नजर आ रहा है।


बता दें कि थिंक टैंक के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में भारत का कुल निर्यात लगभग स्थिर रह सकता है और इसके 850 अरब डॉलर के आसपास सिमटने की संभावना है, जो तय लक्ष्य से करीब 150 अरब डॉलर कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक मांग की सुस्ती और बढ़ती संरक्षणवादी नीतियां भारतीय निर्यात पर दबाव बना रही हैं।


GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि इस समय निर्यात में असली सहारा सेवाओं के क्षेत्र से मिल रहा है। उनका मानना है कि सेवाओं का निर्यात 400 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है, जबकि वस्तु निर्यात में लगभग कोई बढ़ोतरी नहीं दिख रही है।


मौजूद जानकारी के अनुसार, अगर भारत अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ बड़े व्यापार समझौते सफलतापूर्वक कर पाता है, तो स्थिति बदल सकती है। हालांकि, श्रीवास्तव का कहना है कि ऐसे समझौते अगले साल से पहले संभव नहीं लगते हैं।


गौरतलब है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ भारत के व्यापार में हाल के महीनों में गिरावट दर्ज की गई है। मई से नवंबर के बीच अमेरिका को होने वाला निर्यात करीब 20 प्रतिशत घटा है, जिसका बड़ा कारण वहां लगाए गए अतिरिक्त शुल्क बताए जा रहे हैं। वहीं यूरोपीय संघ में भी कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) जैसी नीतियों के चलते भारतीय निर्यात पर दबाव बढ़ा है।


हालांकि, रिपोर्ट यह भी बताती है कि भारत ने अन्य बाजारों की ओर रुख करना शुरू कर दिया है। अमेरिका और यूरोप के बाहर के देशों में निर्यात लगभग 5.5 प्रतिशत बढ़ा है, जो संकेत देता है कि भौगोलिक विविधता धीरे-धीरे बन रही है।


विशेषज्ञों के अनुसार, अब भारत को केवल नए व्यापार समझौते करने के बजाय अपने निर्यात ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान देना होगा। इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों में अधिक मूल्यवर्धन और प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ाने की जरूरत है।


रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर टैरिफ, जलवायु आधारित कर और भू-राजनीतिक अनिश्चितता आने वाले समय में व्यापार को प्रभावित करती रहेंगी। ऐसे में भारत के लिए जरूरी है कि वह घरेलू उत्पादन क्षमता, लागत नियंत्रण और नीतिगत क्रियान्वयन पर फोकस करे।


गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2025 में भारत का कुल निर्यात लगभग 825 अरब डॉलर रहा था, जिसमें 438 अरब डॉलर वस्तुओं और 387 अरब डॉलर सेवाओं से आया था, और यही आंकड़े आने वाले साल की दिशा भी तय करेंगे।

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