दृढ़ इरादों और सटीक फैसलों के लिए जानी जाती थीं इंदिरा गांधी

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 19, 2018

भारत की पहली और अब तक की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री दिवंगत इंदिरा गांधी अपने दृढ़ इरादों और सटीक फैसलों के लिए जानी जाती थीं। बांग्लादेश के निर्माण में उनकी भूमिका और देश को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने का उनका फैसला कुछ ऐसे कदम थे जिनसे भारत के एक ताकत के रूप में उभरने का मार्ग प्रशस्त हुआ। 19 नवम्बर 1917 में जन्मीं इंदिरा प्रियदर्शिनी ने अपने पिता पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ मिलकर आजादी की लड़ाई में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके लिए उन्होंने हमउम्र बच्चों को लेकर वानर सेना गठित की थी। यह वानर सेना जगह−जगह अंग्रेजों के खिलाफ प्रदर्शन करती और झंडे तथा बैनरों के साथ जंग ए आजादी के मतवालों का उत्साह बढ़ाती थी। सन 1941 में जब वह आक्सफोर्ड से शिक्षा ग्रहण कर भारत लौटीं तो आजादी के आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हो गईं।

 

सितंबर 1943 में अंग्रेज पुलिस ने उन्हें बिना किसी आरोप के गिरफ्तार कर लिया। 243 दिन तक जेल में रखने के बाद 13 मई 1943 को उन्हें रिहा कर दिया गया। इंदिरा 1959 और 1960 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं। 1964 में उन्हें राज्यसभा का सदस्य चुना गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में उन्हें सूचना और प्रसारण मंत्री बनाया गया। ताशकंद समझौते के बाद लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया। इसके बाद प्रधानमंत्री पद की लड़ाई में इंदिरा गांधी के सामने मोरारजी देसाई आ गए। कांग्रेस संसदीय दल में हुए शक्ति परीक्षण में उन्होंने 169 के मुकाबले 355 मतों से मोरारजी देसाई को हरा दिया और इस तरह 1966 में वह देश की पांचवीं तथा पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। जिस समय इंदिरा ने प्रधानमंत्री पद संभाला उस समय कांग्रेस गुटबाजी की शिकार थी और मोरारजी उन्हें गूंगी गुडि़या कहकर पुकारते थे लेकिन जल्द ही इस गूंगी गुडि़या ने सबको चौंका दिया। 1967 के चुनावों में कांग्रेस को 60 सीटों का नुकसान हुआ और 545 सीटों वाली लोकसभा में उसे 297 सीटें मिलीं। इस कारण उन्हें मोरारजी को उप प्रधानमंत्री तथा वित्त मंत्री बनाना पड़ा लेकिन 1969 में देसाई के साथ अधिक मतभेदों के चलते कांग्रेस बिखर गई। इंदिरा को समाजवादी दलों का समर्थन लेना पड़ा और अगले दो साल तक उनके समर्थन से ही सरकार चलाई।

 

पाकिस्तान के साथ 1971 में हुए संग्राम में उन्होंने बांग्लादेश नाम से एक नए देश के गठन में सक्रिय भूमिका निभाई जिससे वह पूरी दुनिया में दृढ़ इरादों वाली महिला के रूप में जानी जाने लगीं और अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें दुर्गा की संज्ञा दी। अपने साहसिक फैसलों के लिए मशहूर इंदिरा गांधी ने 1974 में पोखरण में परमाणु विस्फोट कर जहां चीन की सैन्य शक्ति को चुनौती दी वहीं अमेरिका जैसे देशों की नाराजगी की कोई परवाह नहीं की। इन निर्णयों के चलते जहां उन्हें देश और दुनिया में बुलंद इरादों वाली महिला के रूप में तारीफ मिली वहीं 1975 में आपातकाल लगा देने के कारण इंदिरा को विश्व बिरादरी की आलोचना का भी सामना करना पड़ा। आपातकाल लगाने की वजह से 1977 के चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा और वह तीन साल तक विपक्ष में रहीं। 1980 में वह फिर से प्रधानमंत्री बनीं।

 

खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ उन्होंने आपरेशन ब्लू स्टार जैसा कठोर कदम उठाया लेकिन 1984 में उनके ही अंगरक्षकों ने उनकी हत्या कर दी। वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का कहना है कि इंदिरा गांधी भारत में बड़े पैमाने पर आतंकवाद भड़कने का अंदाज नहीं लगा पाईं। सिख उग्रवाद 1984 में स्वर्ण मंदिर में आपरेशन ब्लू स्टार के चलते भड़का। उन्होंने कहा कि इंदिरा ने जाने अनजाने एक ऐसे समय प्रक्रिया शुरू कर दी जब उनकी पार्टी ने भिंडरावाला जैसे शख्स को अकालियों से लड़ाने के लिए खड़ा किया था।

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