By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 01, 2018
नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई की ओर से दर्ज किए गए आईएनएक्स मीडिया मामले में कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें गिरफ्तारी से संरक्षण की अवधि 28 सितंबर तक बढ़ा दी। न्यायमूर्ति ए.के. पाठक की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए इस बाबत निदेशालय को चार हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
सुनवाई के दौरान सीबीआई ने अदालत को बताया कि वह इस मामले में पहले ही जवाब दाखिल कर चुकी है। सीबीआई ने इसे अहम मामला बताते हुए जल्द तारीख देने की मांग की। बहरहाल, शुरू में जल्द तारीख के पक्ष में नहीं दिख रहे न्यायमूर्ति पाठक बाद में इस पर सहमत हो गए। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि लंबी तारीखें इसलिए दी जा रही थीं, क्योंकि काम ज्यादा है और न्यायाधीश कम हैं।
न्यायमूर्ति पाठक ने कहा, ‘आप पहले नियुक्तियां तो करिए। हमें अभी 60 से ज्यादा मामले सुनने हैं।’ चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने न्यायाधीश की टिप्पणी का समर्थन किया और कहा कि सरकार नियुक्तियां नहीं कर रही है जिससे न्यायाधीशों पर काम का बोझ बढ़ गया है।
बीते 25 जुलाई को उच्च न्यायालय ने चिदंबरम को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया था और निदेशालय को निर्देश दिया था कि वह आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में उनके खिलाफ कोई दमनात्मक कार्रवाई नहीं करे। अदालत ने चिदंबरम को इस मामले की जांच में सहयोग करने के निर्देश भी दिए थे और कहा था कि वह अदालत की पूर्व अनुमति के बगैर देश से बाहर नहीं जाएं।
करीब 3,500 करोड़ रुपए के एयरसेल-मैक्सिस सौदे और 305 करोड़ रुपए के आईएनएक्स मीडिया मामले में एजेंसियों की जांच में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता की भूमिका छानबीन के दायरे में आई थी। यूपीए-1 सरकार के दौरान चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते हुए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से दो उपक्रमों को मंजूरी मिली थी जिसमें कथित अनियमितताएं पाई गई थीं।
आईएनएक्स मीडिया मामले में 2007 में विदेश से 305 करोड़ रुपए प्राप्त करने के लिए मीडिया समूह को एफआईपीबी की मंजूरी दिए जाने में कथित अनियमितता के कारण सीबीआई ने पिछले साल 15 मई को मामला दर्ज किया था। इसके बाद, इस सिलसिले में निदेशालय ने धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था।