इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म 'हिंदी मीडियम' दर्शाती है कि किस प्रकार हिंदी भाषी माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा अंग्रेजी माहौल में पले बढ़े और इसके लिए वह क्या-क्या प्रयास करते रहते हैं लेकिन माहौल ऐसा है कि अंग्रेजी भाषा जानने वालों की तो राहें आसान होती जाती हैं और जो हिंदी भाषी इस अंग्रेजी माहौल में आना चाहते हैं उन्हें जल्दी अपनाया नहीं जाता। फिल्म के निर्देशक साकेत चौधरी ने यह साबित करने की कोशिश की है कि अगर दमदार और अच्छी स्क्रिप्ट हो तो वह एक ऐसी फिल्म बनाने का दम भी रखते हैं जो दर्शकों की हर क्लास की कसौटी पर खरा उतरने का दम रखती हो।
फिल्म की कहानी चांदनी चौक में रेडीमेड गार्मेंट्स का शोरूम चलाने वाले राज बत्रा (इरफान खान) की है। राज सरकारी स्कूल में हिंदी मीडियम से पढ़ा हुआ है और उसे टूटी-फूटी अंग्रेजी बोलता है जबकि उसकी पत्नी मीता उर्फ मीठू (सबा कमर) जमकर अंग्रेजी बोलती है। दोनों का सपना है कि उनकी इकलौती बेटी पिया शहर के टॉप अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाई करे। दोनों अपनी ओर से बहुत कोशिश करते हैं कि उनकी बेटी का ऐडमिशन अंग्रेजी मीडियम स्कूल में हो जाए। दोनों चांदनी चौक से दूर वसंत विहार रहने के लिए जाते हैं और कई स्कूलों में पूरी तैयारी के साथ इंटरव्यू देने जाते हैं लेकिन सभी कोशिशें नाकाम हो जाती हैं। उन्हें जब यह पता चलता है कि टॉप स्कूलों में गरीब कोटे में उनकी बेटी का ऐडमिशन हो सकता है तो दोनों अपनी बेटी को साथ लेकर एक स्लम बस्ती में रहने आ जाते हैं।
कलाकार- इरफान खान, सबा कमर, स्वाति दास, दिशिता, दीपक डोबरियाल और निर्देशक- साकेत चौधरी।
प्रीटी