By एकता | Aug 05, 2025
हर रिश्ता अपनी एक खास कहानी कहता है, कुछ मीठे पल, कुछ उलझनें, और कई बार वो सवाल जो मन में चुपचाप घर कर जाते हैं। चाहे प्यार नया हो या सालों पुराना, कुछ दुविधाएं ऐसी होती हैं जो लगभग हर जोडे को छूती हैं। वजहें भले ही अलग हों, लेकिन परेशानियां अक्सर एक जैसी लगती हैं। इसी सोच के साथ हमने कुछ अनुभवी कपल्स थेरेपिस्ट से बातचीत की और जानने की कोशिश की, ऐसे कौन से जज्बात हैं, कौन-से सबक हैं, जिन्हें वो हर जोडे को बार-बार समझाते हैं? क्या ऐसा कोई सच है जो वे चाहते हैं कि हर रिश्ता समय रहते समझ जाए?
1. मतभेद तो होंगे ही, उन्हें संभालना आना चाहिए
हर रिश्ते में टकराव आता है। लेकिन बात ये नहीं कि मतभेद हैं या नहीं, असली बात ये है कि हम उन्हें कैसे संभालते हैं। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के फैमिली इंस्टीट्यूट से जुड़े मनोवैज्ञानिक डॉ. एंथनी चेम्बर्स मानते हैं कि एक खुशहाल रिश्ता वो नहीं होता जिसमें कभी झगडा न हो ,बल्कि वो होता है जिसमें दोनों साथी झगडे को समझदारी से हैंडल करना जानते हों। उनके मुताबिक, रिश्ते में मतभेद चाहे छोटे-छोटे रोज के झंझटों को लेकर हों या गहरी उम्मीदों और अलग सोच से जुडे हों ,उन्हें सुलझाने के लिए तीन चीजें जरूरी हैं: लचीलापन, जिज्ञासा, और विनम्रता।
डॉ. चेम्बर्स कहते हैं, 'अगर आप बातचीत में इस इरादे से जाते हैं कि आप ही सही हैं और आपका पार्टनर गलत, तो समाधान मुश्किल होगा। लेकिन अगर आप ये मानते हैं कि 'हम अपने मतभेदों को कई तरीकों से सुलझा सकते हैं', तो रिश्ता मजबूत बनता है।' मतभेद तो हर किसी के होते हैं, लेकिन जो जोडे उन्हें समझदारी से संभालते हैं, वहीं रिश्ते में सच्ची संतुष्टि पाते हैं।
2. टूटने के बाद जुडना भी एक कला है
हर झगडे के बाद जो सबसे जरूरी चीज होती है, वो है 'वापसी' यानी फिर से एक-दूसरे से जुडना। मिनेसोटा की सेक्स थेरेपिस्ट डॉ. लॉरेन फोगेल मर्सी के मुताबिक, 'रिश्ते की असली ताकत इस बात में होती है कि आप किसी मतभेद के बाद दोबारा कैसे जुडते हैं।' मरम्मत कोई जादू नहीं, बल्कि एक सीखने लायक स्किल है। माफी कैसे मांगनी है, किस पल बात करनी है, कब चुप रहना है ,ये सब समझदारी और अभ्यास से आता है।
हर इंसान की जुडने की भाषा अलग होती है। कोई गले लगने से शांत होता है, तो किसी को थोडा वक्त चाहिए होता है। कोई खुलकर बात करना पसंद करता है, तो कोई बस एक सॉरी सुनना चाहता है। रिश्ते में यही समझ जरूरी है ,कि हम सिर्फ बहस से नहीं, बल्कि बहस के बाद भी एक-दूसरे को समझने की कोशिश करें।
3. सही-गलत से ज्यादा जरूरी है, क्या महसूस हो रहा है
कई बार जब बहस होती है, तो हमें लगता है कि हमें अपनी बात 'साबित' करनी है। लेकिन यही सोच हमें ऐसे मोड पर ला देती है जहां बातचीत की जगह बहस होने लगती है और बहस से दूरी। मनोवैज्ञानिक और लेखिका डॉ. एलेक्जेंड्रा सोलोमन कहती हैं, 'जब हम सिर्फ तथ्यों पर अटक जाते हैं, तो वो बातचीत नहीं रह जाती, वो मुकाबला बन जाती है, मैं बनाम तुम।' लेकिन अगर हम रुककर ये सोचें कि सामने वाला क्या महसूस कर रहा है? क्यों वो उस हालात को हमसे अलग देख रहा है? ,तो वहीं से रिश्ते में गहराई आती है। जब आप भावना को समझते हैं, तो आप सुलह की ओर बढते हैं। रिश्ते में सही होने से कहीं ज्यादा जरूरी होता है साथ रहना।
4. रिश्ते में 'बारी-बारी' की अहमियत मत भूलिए
बचपन में हमें सिखाया गया था ,बारी-बारी से बोलो, खेलो, समझो। लेकिन बडे होकर हम अक्सर यही भूल जाते हैं। थेरपिस्ट जूली मेनानो कहती हैं कि कई कपल्स बातचीत के दौरान एक-दूसरे को सुनने के बजाय एक-दूसरे पर बोलने लगते हैं। कोई नहीं सुन रहा, सब 'माइक' थामे हुए हैं। रिश्ते में सच्चा संवाद तब होता है जब आप शांत होकर सुनें, समझें और जवाब दें ,न कि सिर्फ अपनी बात कहें।
5. बह जाना और तय करना ,एक जैसा नहीं होता
रिश्ते में बहुत कुछ बस 'होता चला जाता है'। लेकिन क्या वो आपके फैसले थे? थेरपिस्ट गैलेना रोड्स कहती हैं कि जिंदगी में बहने की बजाय सोच-समझकर फैसले लेना रिश्ते को मजबूत बनाता है ,फिर चाहे वो सेक्स से जुडा हो या साथ रहने के तरीके से। जो जोडे इस फर्क को समझते हैं, वही अपने रिश्ते की दिशा खुद तय करते हैं।
6. साथ खेलना सिर्फ बच्चों का काम नहीं है
हंसी-मजाक, मस्ती, और खेल ,ये रिश्ता निभाने के 'बॉन्डिंग टूल्स' हैं। डॉ. स्टीफन मिशेल कहते हैं, 'खुश जोडे वो हैं जो मस्ती करना कभी नहीं छोडते।' एक मजेदार मैसेज, कोई पुराना जोक, या अचानक की गई डेट प्लानिंग ,ये छोटी-छोटी चीजें रिश्तों में जान डाल देती हैं।
7. ज्यादातर जवाब आपके अंदर ही होते हैं
थेरपिस्ट जेफ गुएंथर कहते हैं, 'आप पहले से जानते हैं कि क्या ठीक है और क्या नहीं।' आप किन बातों से बच रहे हैं, कहां समझौता कर रहे हैं ,आप जानते हैं। सवाल बस इतना है कि क्या आप वो कदम उठाने को तैयार हैं? कभी खुद से पूछिए ,'अगर मेरा सबसे अच्छा दोस्त मेरी जगह होता, तो मैं क्या सलाह देता?' जवाब शायद वहीं मिल जाए।
8. आपका तनाव, आपके रिश्ते को भी तोड सकता है
जब आप खुद तनाव में होते हैं, तो प्यार करना भी मुश्किल हो जाता है। थेरपिस्ट एल्ट्जबेथ अर्नशॉ कहती हैं कि अनजाना तनाव रिश्तों में चुपचाप घुसकर दूरी बढा सकता है। अगर आप अपने तनाव को पहचानें, समझें और बेहतर तरीके से हैंडल करें ,तो आप अपने पार्टनर के लिए एक बेहतर साथ बन सकते हैं।