इसरो ने नहीं छोड़ी उम्मीदें, लैंडर से संपर्क साधने का हर संभव प्रयास जारी

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 10, 2019

बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रयान-2 के ‘लैंडर’ विक्रम से शीघ्र संपर्क साध कर उसमें मौजूद ‘रोवर’ प्रज्ञान को उपयोग में लाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है।  ‘लैंडर’ विक्रम के चंद्रमा की सतह पर शनिवार तड़के ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने के दौरान आखिरी क्षणों में उसका इसरो के जमीनी स्टेशनों से संपर्क टूट गया था। उस वक्त विक्रम पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह (चंद्रमा) से महज 2.1 किमी ऊपर था।  ‘लैंडर’ विक्रम के अंदर ‘रोवर’ प्रज्ञान भी है।  इसरो ने रविवार को कहा था कि विक्रम ने ‘हार्ड लैंडिंग’ की है।  बेंगलुरू स्थित भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने मंगलवार को एक बार फिर से इस बात की पुष्टि की कि चंद्रयान-2 आर्बिटर में लगे कैमरों के जरिए लैंडर (विक्रम) का चंद्रमा की सतह पर पता लगा लिया गया है। आर्बिटर अपनी निर्धारित कक्षा में चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है।

इसे भी पढ़ें: चंद्रयान 2: नागपुर पुलिस ने ‘विक्रम’ से कहा, संपर्क करो...नहीं काटेंगे चालान

इसरो ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘लैंडर के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए हरसंभव कोशिश की जा रही है।’’इस अभियान से जुड़े इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘आर्बिटर कैमरा की तस्वीरों से यह प्रदर्शित होता है कि लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह पर साबुत अवस्था में है, वह टूट कर नहीं बिखरा है। यह झुकी हुई अवस्था में है। यह अपने चार पैरों पर खड़ा नहीं है, जैसा कि यह सामान्यत: रहता है।’’  अधिकारी ने कहा, ‘‘यह उलटा नहीं है। यह एक ओर झुका हुआ है।’’ हालांकि, इसरो ने लैंडर की हालत के बारे में आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।  चंद्रयान-2 में आर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) हैं।  लैंडर का जीवनकाल एक चंद्र दिवस है जो पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर है।  इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने शनिवार शाम कहा था कि अंतरिक्ष एजेंसी 14 दिनों तक लैंडर से संपर्क बहाल करने की कोशिश करेगी और तब से यह संकल्प दोहराया जा रहा है। 

इसे भी पढ़ें: पाकिस्तान की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री ने चंद्रयान-2 के लिए इसरो को दी बधाई

इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि विक्रम को चंद्रमा की सतह के जिस स्थान पर उतरना था, उससे करीब 500 मीटर दूर (चंद्रमा की) सतह से वह टकराया। लेकिन इस पर इसरो ने आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा है। सूत्रों ने बताया कि इसरो की एक टीम यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या वे लैंडर के एंटेना इस तरह से फिर से व्यवस्थित कर सकते हैं कि संपर्क बहाल हो जाए।उन्होंने कहा, ‘‘कोशिशें जारी हैं।’’इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक चंद्रमा की सतह पर लैंडर के उतरने के दौरान आखिरी क्षणों में वेग घटने पर एंटेना की स्थिति में तब्दीली आ गई होगी। अधिकारी ने कहा, ‘‘एक कमेटी इसकी पड़ताल कर रही है कि आखिर क्या गलत हुआ। जल्द ही वे जवाब ढूंढ लेंगे।’’इस बीच, चंद्रयान-2 अभियान ने आर्बिटर के मामले में इसरो के लिए अच्छे परिणाम लाए हैं। 2,379 किग्रा वजन के आर्बिटर का जीवनकाल एक साल के लिए डिजाइन किया गया था लेकिन अब वह करीब सात साल काम करने में सक्षम होगा।

इसे भी पढ़ें: भारत 10 बरसों में चंद्रमा पर स्थापित करेगा अपना बेस: DRDO के पूर्व वैज्ञानिक

इसरो के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘आर्बिटर में पर्याप्त ईंधन उपलब्ध है। चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश तक हमारे समक्ष कोई समस्या नहीं आई। जो अतिरिक्त ईंधन डाला गया था उसका इस्तेमाल नहीं हुआ है। हर चीज योजना के मुताबिक हुई। हमारे पास (आर्बिटर में) अतिरिक्त ईंधन उपलब्ध है। ’’ इसरो के एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘जीएसएलवी मार्क- III (चंद्रयान-2 को ले जाने वाले रॉकेट)के कार्य प्रदर्शन और अभियान के दक्ष प्रबंधन के चलते हमारे पास इसे सात बरसों तक जारी रखने के लिए अतिरिक्त ईंधन है।’’इसरो ने कहा था कि चंद्रयान-2 अभियान के 90 से 95 फीसदी उद्देश्यों को हासिल कर लिया गया है और यह चंद्र विज्ञान में योगदान देना जा

री रखेगा।