मालदीव का ड्रैगन के जाल से निकलना आसान नहीं होगा

By योगेंद्र योगी | Jan 23, 2024

भारत का विरोध और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने वाले मालदीव के लिए चीन से रिश्ते पचाना इतना आसान नहीं हैं। चीन की अघोषित साम्राज्यवादी नीति का शिकार श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका के कई देश हो चुके हैं। चीन ने इन देशों को आर्थिक रूप से जकड़ कर गुलाम बनाने में कसर बाकी नहीं रखी। भारत ने आर्थिक पैकेज देकर समय रहते श्रीलंका को चीन के हाथों नहीं बचाया होता तो यह देश कब का कंगाल हो गया होता। भारत के साथ विवाद के बीच मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने चीनी समकक्ष शी चिनफिंग के साथ बैठक की। इसके बाद दोनों देशों ने 20 प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इन समझौते की आड़ में चीन न सिर्फ मालदीव को आर्थिक शिकंजे में कसेगा बल्कि अपनी सैन्य विस्तार की नीति को भी अंजाम देने से बाज नहीं आएगा।   


गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 जनवरी को लक्षद्वीप के दौरे की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की थीं। इस पर मालदीव के तीन मंत्रियों की आपत्तिजनक बयानबाजी की। इन तस्वीरों पर मालदीव की मुइज्जू सरकार में मंत्री मरियम शिउना ने आपत्तिजनक ट्वीट किए थे। उन्होंने मोदी को इजरायल से जोड़ते हुए निशाने पर लिया था और लक्षद्वीप का भी मज़ाक उड़ाया था। इससे भारत में रोष की लहर फैल गई। सोशल मीडिया पर देश में बॉयकॉट मालदीव शुरू हो गया है और कई लोगों ने मालदीव के लिए फ्लाइट और होटल बुकिंग कैंसिल करवा दी। आम जनता से लेकर फिल्मी हस्तियां भी भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र के सपोर्ट में उतर आई। इस बीच मालदीव के कई दिग्गज नेताओं ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र और भारत का सपोर्ट किया और आपत्तिजनक बयान की कड़ी निंदा की।   

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मामला बढ़ता देख मालदीव की सरकार ने कहा कि जो बातें सोशल मीडिया पर कही गईं वे निजी बयान हैं और इनका सरकार से कोई नाता नहीं। घबराए मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने तीनों मंत्रियों को निलंबित कर मामले को ठंडा करने का प्रयास किया। इसके बावजूद देश में रोष बरकरार है। मुइज्जू ने चीन के फुजियान प्रांत में मंगलवार को राष्ट्रपति मुइज्जू ने मालदीव बिजनेस फोरम को संबोधित किया। यहां वह चीन के सामने पर्यटक भेजने के लिए गिड़गिड़ाते नजर आए। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि चीन अधिक पर्यटकों को भेजने के प्रयासों को तेज करे। मालदीव में 2023 के राष्ट्रपति चुनावों के दौरान भारत विरोधी भावनाओं को उभारा गया और इस विषय पर दुष्प्रचार का प्रयास किया था। यूरोपीय संघ (ईयू) की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) और पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) के सत्तारूढ़ गठबंधन ने दुष्प्रचार किया था। 


मालदीव के लिए यूरोपियन इलेक्शन ऑब्जरवेशन मिशन (ईयू ईओएम) ने पिछले साल नौ और 30 सितंबर को हुए दो दौर के चुनाव पर अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित की। रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्तारूढ़ गठबंधन प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव और पीपुल्स नेशनल कांग्रेस ने 2023 के राष्ट्रपति चुनाव में भारत विरोधी भावनाओं को प्रमुखता दी और गलत सूचना फैलाने का प्रयास किया, जिससे मुइज्जू ने जीत हासिल की थी। राष्ट्रीय अधिकारियों के निमंत्रण पर हिंद महासागर में स्थित द्वीपीय राष्ट्र में 11 सप्ताह के लंबे अवलोकन के बाद ईयू ईओएम ने कहा कि पीपीएम-पीएनसी गठबंधन द्वारा चलाया गया अभियान राष्ट्र पर भारत के प्रभाव की आशंकाओं पर आधारित था। 


रिपोर्ट में कहा गया है कि ईयू ईओएम पर्यवेक्षकों ने पीपीएम-पीएनसी की ओर से राष्ट्रपति के प्रति अपमानजनक भाषा के उदाहरण देखे हैं। इसमें कहा गया कि पार्टियों के अभियान में भारत विरोधी भावनाएं शामिल थीं। देश के अंदर भारतीय सैन्य कर्मियों की उपस्थिति के बारे में भी चिंता प्रकट की गई थी। इसके साथ ही ऑनलाइन दुष्प्रचार अभियान चलाए गए। ईयू मिशन ने उल्लेख किया कि राजनीतिक और प्रचार अभियान के तहत धन उगाहने और वित्तीय व्यय में पारदर्शिता और प्रभावी निगरानी का अभाव देखा गया। ईयू ईओएम ने सरकारी मीडिया सहित मीडिया के राजनीतिक पक्षपात को भी दर्ज किया, जबकि इंटरनेट मीडिया में सूचना में हेरफेर के भी कुछ संकेत मिले। उस समय के मौजूदा राष्ट्रपति, मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के इब्राहिम मोहम्मद सोलिह, पिछले साल फिर से चुनाव में उतरे थे। विपक्षी पीपीएम-पीएनसी गठबंधन द्वारा समर्थित पीएनसी के मोहम्मद मुइज्जू ने उन्हें हराकर 54 प्रतिशत वोटों के साथ चुनाव जीता। गौरतलब है कि भारत का प्रयास रहा है कि सभी पड़ौसी देशों से बराबरी के द्विपक्षीय रिश्ते कायम रहे। भारत ने कभी भी पड़ौसी छोटे मुल्कों के साथ छलकपट नहीं किया। यही वजह रही कि भारत ने नेपाल और बांग्लादेश के साथ सीमा संबंधी विवादों को द्विपक्षीय सहयोग से हल करने का प्रयास किया। भारत ने उदारता दिखाते हुए बांग्लादेश को कई हिस्से वापस तक कर दिए। यहां तक की गृहयुद्ध से जूझ रहे बर्मा में भी भारत ने कभी निजी हितों के मद्देनजर हस्तक्षेप करके अनुचित फायदा लेने का प्रयास नहीं किया। इसके विपरीत चीन छलकपट की नीति अपनाता रहा है। इसका नया प्रमाण भूटान के राजशाही परिवार के अधीन आने वाली सीमावर्ती भूमि पर चीन का अतिक्रमण है।   


मालदीव की पूरी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर आधारित है। इसमें एक बड़ा हिस्सा भारत के पर्यटकों का है। वर्ष 2023 में 17 लाख से अधिक पर्यटकों ने मालदीव की यात्रा की थी जिनमें 2.09 लाख से अधिक भारतीय थे। इसके पहले 2022 में भारतीय सैलानियों की संख्या 2.4 लाख से अधिक थी। राजनीतिक संकट हो, आर्थिक मदद हो या फिर कोई आपदा हो जब-जब मालदीव को मदद की जरूरत थी, तब-तब भारत उसके साथ खड़ा नजर आया। वर्ष 2020 में जब कोरोना महामारी का संकट पूरी दुनिया पर छाया हुआ था, तब भी भारत सरकार ने स्थिति से निपटने के लिए मेडिकल टीम वहां भेजी और टीकाकरण अभियान भी चलाया। भारत ने कभी भी जोर-जबरदस्ती से सेना को मालदीव में नहीं भेजा। फरवरी 2021 में, भारत ने मालदीव के साथ उथुरू थिला फाल्हू  द्वीप पर राष्ट्रीय रक्षा बल तटरक्षक बंदरगाह को विकसित करने के लिए विकास सौदे पर साइन किए थे। इस सौदे के जरिए समुद्र क्षेत्र की बेहतर निगरानी में मदद मिली थी। इसके बाद भारत ने मालदीव को कोस्टगार्ड के लिए एक पेट्रोल वैसल, एयर सर्विलांस के लिए एयर डॉर्नियर विमान, दो अटैक हेलिकॉप्टर प्रचंड दिया था। इसके अलावा 75 भारतीय जवानों को ट्रेनिंग के लिए भेजा गया। हालांकि, भारतीय सेना की मौजूदगी के खिलाफ इंडिया आउट अभियान चलाया गया। मोहम्मद मुइज्जू ने अपने राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान इंडिया आउट का नारा दिया था। उन्होंने भारतीय सेना की 75 सैनिकों वाली टुकड़ी को हटाने का संकल्प लिया था। इसके अलावा मालदीव में विपक्षी दलों ने मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी की सरकार को भारत के साथ अपनी बढ़ती निकटता के लिए निशाना बनाया था। यही नहीं, तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम सालेह पर भारत को मालदीव बेचने का आरोप लगाया था।   


मालदीव में साल 2023 में राष्ट्रपति चुनाव हुए थे। इसमें मोहम्मद मोइज्जू की जीत हुई थी। मोइज्जू ने चुनाव प्रचार के दौरान भी भारत का विरोध किया। राष्ट्रपति चुने जाने के बाद मोइज्जू ने भारत से अपनी सेना वापस लेने को कहा। उकसावे भरी कार्रवाई के तहत मोइज्जू ने पहले टर्की और फिर चीन की यात्रा की। टर्की कश्मीर के मुद्दे पर भारत का विरोध करता रहा है। जबकि चीन की भारत के प्रति दुश्मनी का भाव जगजाहिर है। मालदीव में परंपरा रही है कि नए राष्ट्रपति सबसे पहले भारत की यात्रा करते रहे हैं। मोइज्जू ने भारत विरोध के चलते इसकी शुरुआत नहीं की। भारत के मामले में मालदीव वही गलती कर रहा है जो पाकिस्तान ने की। भारत के खिलाफ चीन के समर्थन के बावजूद पाकिस्तान कंगाली के मुहाने खड़ा है। मालदीव ने यदि बैर साधने की नीति नहीं छोड़ी तो चीन उसका हाल भी पाकिस्तान की तरह करने से बाज नहीं आएगा।


- योगेन्द्र योगी

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