By अनन्या मिश्रा | Oct 15, 2025
अटल बिहारी वाजपेयी के जमाने से भाजपा पार्टी का मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी आज यानी की 15 अक्तूबर को अपना 68वां जन्मदिन मना रहे हैं। वह पहली बार रामपुर से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंच थे। वहीं नकवी 3 बार राज्यसभा भी भेजे गए। मुख्तार अब्बास नकवी छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे। इमरजेंसी के दौरान 17 साल की उम्र में मुख्तार अब्बास नकवी को जेल यात्रा भी करना पड़ा था। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे मुख्तार अब्बास नकवी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में 15 अक्तूबर 1957 को मुख्तार अब्बास नकवी का जन्म हुआ था। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा प्रयागराज से पूरी की। फिर आगे की पढ़ाई इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से प्राप्त की। कॉलेज समय से ही नवकी राजनीति में सक्रिय हो गए थे। साल 1975 में इमरजेंसी के दौरान नकवी को गिरफ्तार भी किया गया था और इस दौरान उनको प्रयागराज को नैनी सेंट्रल जेल में बंद किया गया था। मुख्तार अब्बास नकवी की गिनती इंदिरा गांधी को चुनाव में हराने वाले समाजवादी नेता राजनारायण के करीबियों में भी की जाती थी। छात्र राजनीति के बाद नकवी भारतीय जनता में शामिल हो गए।
पहली बार मुख्तार अब्बास नकवी ने चुनाव जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। हालांकि इस दौरान उनको खास कामयाबी नहीं मिल पाई। फिर वह भाजपा में शामिल हुए और मऊ जिले के सदर विधानसभा सीट से मैदान में उतरे, लेकिन इस बार भी उनको हार का सामना करना पड़ा। फिर साल 1993 के विधानसभा चुनाव में भी हार मिली। इसके बाद साल 1998 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने नकवी को रामपुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा। जहां से उन्होंने जीत हासिल की और ऐसा पहली बार हुआ था कि बीजेपी का कोई मुस्लिम चेहरा लोकसभा चुनाव लड़कर संसद पहुंचा था।
मुख्तार अब्बास नकवी को प्रसारण राज्य मंत्री बनाया गया। वह साल 2010 से लेकर 2016 तक उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य भी रहे। फिर साल 2016 में उनको झारखंड का राज्यसभा सदस्य नियुक्त किया गया। साल 2014 में नकवी मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री बने। वहीं साल 2016 में नजमा हेपतुल्ला के पद से इस्तीफा देने के बाद नकवी को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार मिला।
इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में मुख्तार अब्बास नकवी को साल 2019 में फिर से कैबिनेट में शामिल किया गया था। हालांकि उन्होंने जुलाई 2022 में केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा नकवी ने तीन किताबें भी लिखीं, जिनमें साल 1991 में 'स्याह', साल 1998 में 'दंग' और साल 2008 में 'वैशाली' शामिल है।