Jammu-Kashmir में जुलाई में अब तक 11 जवान शहीद, LG बोले- खून के हर कतरे का बदला लेंगे, केंद्र ने कहा- आतंकी जहन्नुम जाएंगे

By नीरज कुमार दुबे | Jul 25, 2024

जम्मू क्षेत्र में बढ़ते आतंक118वाद और सिर्फ जुलाई महीने में ही अब तक 11 जवानों की शहादत को देखते हुए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है कि पाकिस्तान जम्मू की प्रगति में बाधा डालने के लिए वहां शांति भंग करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन आतंकवादियों द्वारा बहाए गए लोगों के खून के हर कतरे का बदला लिया जाएगा। हम आपको बता दें कि पिछले 45 दिनों में जम्मू क्षेत्र में हुए सिलसिलेवार आतंकवादी हमलों की पृष्ठभूमि में उन्होंने यह टिप्पणी की। 


मनोज सिन्हा ने राजभवन में एक समारोह में कहा, "आज एक बार फिर आतंकी देश पाकिस्तान जम्मू संभाग में शांति भंग करने का प्रयास कर रहा है। वह इसकी प्रगति को रोकना चाहता है।" उन्होंने कहा, "पुंछ-राजौरी से लेकर कठुआ-रियासी और डोडा तक, उन लोगों के परिवारों को निशाना बनाया जा रहा है जो अपना भविष्य उज्ज्वल बनाना चाहते हैं। एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा बहाए गए (लोगों के) खून के हर कतरे का बदला जरूर लिया जाएगा।'

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केंद्र सरकार का बयान


हम आपको यह भी बता दें कि कश्मीर सहित देश की सुरक्षा को सर्वोपरि बताते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि उसकी नीति आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की है और ‘‘आतंकवादी या तो जेल में रहेंगे या जहन्नुम में जाएंगे।’’ गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान यह भी बताया कि विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को अगस्त 2019 में हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना ने 900 से अधिक आतंकियों को मार गिराया है। आतंकवाद को पूरी तरह समाप्त करने का संकल्प जताते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में कश्मीर में 28 आतंकियों को मार गिराया गया है। उन्होंने स्वीकार किया, ‘‘आतंकी हमलों में हमारे कुछ जवानों की भी जान गई है।’’


उन्होंने पूरक प्रश्न के जवाब में बताया कि 2004 से 2014 के बीच आतंकी घटनाओं की संख्या 7217 थी जबकि 2014 से 21 जुलाई 2024 तक ऐसी 2259 घटनाएं हुई हैं ‘‘जो नहीं होना चाहिए थीं। इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार की नीति आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की है तथा आतंकवादी या तो जेल में रहेंगे या जहन्नुम में जाएंगे।’’ नित्यानंद राय ने बताया कि 2004 से 2014 तक आतंकी हमलों में जान गंवाने वाले सुरक्षा बलों और आम नागरिकों की संख्या 2829 थी जो बीते दस वर्ष में 67 प्रतिशत घट कर करीब 941 रह गई। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का आज अनुकूल माहौल है, स्कूल, कालेज खुल रहे हैं, कारोबार बढ़ रहा है और अवसंरचना का विकास किया जा रहा है।


कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने कहा कि कश्मीर जाने वाले पर्यटक के मन में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता होती है। आतंकी हमले पर्यटकों के मन में चिंता उत्पन्न करते हैं। ऐसे में वहां पर्यटकों की सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम किए गए हैं। इस पर राय ने बताया कि 2023 में दो करोड़ 11 लाख पर्यटकों का कश्मीर जाना बताता है कि वहां सुरक्षा की स्थिति है। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले तो पर्यटक कश्मीर जाने से डरते थे।


कश्मीरी पंडितों के बारे में पूछे गए एक पूरक प्रश्न के उत्तर में राय ने कहा कि कभी जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों ने अत्याचार की वजह से घाटी से पलायन किया था। उन्होंने कहा कि वोट बैंक की राजनीति एवं साजिश कश्मीरी पंडितों के वहां से पलायन का मुख्य कारण था। राय ने बताया कि घाटी में कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। वहां 6000 रिक्त पदों में से 5700 से अधिक पदों पर नियुक्ति की जा चुकी है और शेष 206 पदों पर जल्द ही नियुक्ति कर दी जाएगी। वहां घाटी के विभिन्न जिलों में 2015 में पीएम पैकेज के तहत 6000 ट्रांजिट आवास निर्माण की मंजूरी दी गई थी। इनमें से 2088 फ्लैट बन गए हैं और शेष का निर्माण कार्य प्रगति पर है। उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों की वापसी तथा उनके पुनर्वास के लिए नौकरी की व्यवस्था की गई है। उनके पुनर्वास के लिए की गई इस पहल के तहत 6000 पदों पर उनकी नियुक्ति की जानी थी जिनमें से 5724 पदों पर नियुक्तियां की जा चुकी हैं और शेष 276 पद पर नियुक्तियां की जा रही हैं।


एक अन्य पूरक प्रश्न के उत्तर में राय ने बताया कि कश्मीर में 2023 में दो करोड़ 11 हजार पर्यटक गए। उन्होंने कहा कि वहां शांति का माहौल है और सुरक्षा से लेकर सफाई तथा अन्य मुद्दों पर गहनता से ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं कुछ दिन पहले श्रीनगर गए थे। उन्होंने कहा कि वहां का प्रशासन राज्य में आने वाले पर्यटकों का पूरा ध्यान रख रहा है और गृह मंत्रालय की ओर से भी इस संबंध में निर्देश दिए गए हैं। राय ने कहा कि वहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई तरह के प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी परियोजना को शुरू करने से पहले, पर्यावरण पर उसके प्रभाव का आकलन किया जाता है तथा स्थानीय लोगों के साथ भी विचार-विमर्श किया जाता है। उन्होंने बताया कि कुछ परियोजनाओं में स्थानीय लोगों की भागीदारी है। उनके अनुसार, पर्यटन को ध्यान में रखते हुए अवसंरचना का विकास किया गया है। उन्होंने बताया कि जी 20 की बैठक भी वहां आयोजित की गई। पर्यटन जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था का आधार बन गया है और इसकी वजह से ही वहां पांच लाख लोगों को रोजगार मिला है।

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