हरिवंश पर जनता दल यू के हमले ने सोमनाथ चटर्जी प्रकरण की याद दिला दी

By नीरज कुमार दुबे | May 31, 2023

जनता दल (यूनाइटेड) ने राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह पर जोरदार निशाना साधते हुए उन पर पद के लिए अपना जमीर बेचने का आरोप लगाया है। दरअसल, जनता दल यूनाइटेड ने संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया था लेकिन पार्टी सांसद और राज्यसभा के उपसभापित हरिवंश ने कार्यक्रम में भाग तो लिया ही साथ ही वह प्रधानमंत्री के साथ मंच पर भी बैठे और उन्होंने अपना संबोधन देने के अलावा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के शुभकामना संदेश भी पढ़े। यही नहीं, एक ओर बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार संसद के नये भवन के निर्माण के औचित्य पर ही सवाल उठा रहे थे तो दूसरी ओर हरिवंश ने समाचारपत्रों में लिखे अपने आलेख के जरिये नये संसद भवन की जरूरत के पक्ष में तमाम तर्क प्रस्तुत किये थे। इसके अलावा जब हरिवंश की पार्टी जदयू के अलावा कुछ और विपक्षी दल यह सवाल उठा रहे थे कि राष्ट्रपति की बजाय प्रधानमंत्री से नये संसद भवन का उद्घाटन क्यों कराया जा रहा है तो इसका भी जवाब भाजपा ने हरिवंश से ही राष्ट्रपति का शुभकामना संदेश पढ़वा कर दिया था। हम आपको बता दें कि राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा था कि संविधान बनाने वालों ने तय किया है कि चुनी हुई सरकार देश चलाएगी। हरिवंश ने संदेश पढ़ते हुए बताया था कि राष्ट्रपति ने कहा है कि मुझे इस बात की बहुत संतुष्टि है कि संसद के प्रति विश्वास के प्रतीक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस संसद का उदघाटन कर रहे हैं। जाहिर है यह सब जनता दल यू को बहुत नागवार गुजरा।


यही नहीं, इससे पहले भी जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी बार-बार कह रहे थे कि संसद में विपक्ष को बोलने नहीं दिया जाता और उसके माइक बंद कर दिये जाते हैं। तो उनके इस आरोप का जनता दल यू समर्थन कर रही थी लेकिन हरिवंश ने इस आरोप का खंडन किया था और अपने तमाम वक्तव्यों और साक्षात्कारों के जरिये बताया था कि कैसे संसद में सभी के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित किया जाता है।

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जाहिर है एक के बाद एक घट रहे घटनाक्रमों से जनता दल युनाइटेड का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया था इसलिए उसने हरिवंश पर निशाना साधा है। जनता दल यू के वरिष्ठ नेता नीरज कुमार ने पत्रकार से नेता बने हरिवंश के नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह में भाग लेने की निंदा करते हुए कहा कि पत्रकारिता में आपके योगदान के लिए पार्टी ने आपको राज्यसभा भेजा था। हालांकि जब लोकतंत्र कलंकित हो रहा था, आपने अपने पद के लिए बौद्धिकता के जमीर को बेच दिया। जनता दल यू ने कहा कि जब सभापति (राज्यसभा) कार्यक्रम में नहीं गये तथा जब लोकतंत्र का काला अध्याय लिखा जा रहा था तब आपके द्वारा अपनी उपस्थिति दर्ज कराया जाना चिंता और चिंतन का विषय है।


जनता दल यू की इस नाराजगी पर हालांकि हरिवंश ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन इस मामले ने संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को निशाना बनाने की बढ़ती घटनाओं की ओर इशारा किया है। इसके साथ ही सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि सदनों का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष बन जाने के बाद किसी व्यक्ति पर उसकी पार्टी कैसे हुक्म चला सकती है? सदन के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष संचालन और आचरण संबंधी कई नियमों से बंधे होते हैं। अपनी पार्टी का हित देखने की बजाय उनकी जिम्मेदारी यह होती है कि सदन की मर्यादा बढ़ती रहे और नियमों का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाये। लोकसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और राज्यसभा के उपसभापति का पद संवैधानिक होने के नाते इस पद पर बैठने वाला व्यक्ति दलगत राजनीति से ऊपर होता है। उनकी पार्टी उनसे यह अपेक्षा नहीं कर सकती कि वह पार्टी लाइन पर चलेंगे। मतदान के समय वह भले पार्टी का साथ दें लेकिन सदन के कार्यों संबंधी जिम्मेदारी से वह पार्टी के कहने पर अपने आप को मुक्त नहीं कर सकते।


हरिवंश के मामले ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दौरान घटी ऐसी ही एक घटना की भी याद दिला दी है। जरा याद कीजिये यूपीए-1 की सरकार को। जब अमेरिका से परमाणु करार करने के मनमोहन सरकार के फैसले के विरोध में वामदलों ने मनमोहन सरकार से समर्थन वापस लिया तो वामदलों ने तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी से भी पद छोड़ने को कहा था। लेकिन सोमनाथ चटर्जी ने जब ऐसा करने से इंकार कर दिया तो उन पर तमाम तरह के आरोप लगाये गये जबकि सोमनाथ चटर्जी पूरे सदन की ओर से उनको दी गयी जिम्मेदारियों का निवर्हन कर रहे थे। इसी प्रकार जब पिछले साल जदयू ने भाजपा का साथ छोड़ कर राजद, कांग्रेस और वामदलों के महागठबंधन से हाथ मिलाया था तब उसने हरिवंश से भी उम्मीद की थी कि वह राज्यसभा के उपसभापति का पद छोड़ेंगे। लेकिन हरिवंश ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित रखा। इसके अलावा, पूरे सदन से भी कोई नहीं चाहता था कि हरिवंश पद छोड़ें क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सत्ता पक्ष के अलावा विपक्ष के भी तमाम नेता हरिवंश का बहुत सम्मान करते हैं। हरिवंश ने राज्यसभा के उपसभापति के रूप में अपने आचरण और व्यवहार से सबका दिल भी जीता है और अपनी विद्वता से सबको प्रभावित भी किया है। फिलहाल 2018 से राज्यसभा के उपसभापति पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हरिवंश का कार्यकाल अगले साल समाप्त होगा।


बहरहाल, जनता दल युनाइटेड को मोदी सरकार का भरपूर विरोध करने और विपक्षी एकता कायम करने के खूब प्रयास करने की आजादी है लेकिन उसे संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के खिलाफ निचले स्तर की टिप्पणियां करने से बचना चाहिए। इसके साथ ही राजनीति में भाषा की जो गरिमा है उसका भी ध्यान रखा जाना चाहिए। बताया जा रहा है कि जनता दल यू अब हरिवंश को पार्टी से निलंबित करने की तैयारी में है। यदि ऐसा होता है तो पार्टी को इससे राजनीतिक लाभ कितना होगा यह तो समय ही बतायेगा लेकिन फौरी तौर पर उसे एक विद्वान और ईमानदार नेता से जरूर हाथ धोना पड़ जायेगा।


-नीरज कुमार दुबे

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