By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 22, 2016
दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 2009 में आईटी कर्मी जिगिशा घोष के साथ लूटपाट करने और उसकी हत्या करने के मामले के दो दोषियों को मौत की और एक अन्य दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने सजा सुनाते हुए इसे ‘निर्मम’ हत्या करार दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने रवि कपूर और अमित शुक्ला को मौत की सजा सुनाते हुए कहा, ‘‘इन्हें इनकी मौत होने तक फांसी पर लटकाया जाए।’’
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि महिलाओं के खिलाफ भयावह अपराधों की संख्या बढ़ रही है और अपराधियों के साथ जरा भी नरमी बरती जाने से समाज में गलत संदेश जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह अपराध बेहद निर्मम तरीके से अंजाम दिया गया। पीड़िता असहाय थी और उसे घंटों तक बंधक बनाकर रखा गया था। अपराधियों ने उसकी हत्या बेहद क्रूर ढंग से की। यह एक असभ्य कृत्य था, जिसे बेहद वहशी तरीके से अंजाम दिया गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस अपराध में बरती गई क्रूरता इसे दुर्लभ से दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में लाती है।’’ रवि और अमित को मौत की सजा देने के अलावा अदालत ने बलजीत को उम्रकैद की सजा सुनाई। एक प्रबंधन सलाहकार कंपनी में बतौर ऑपरेशन मैनेजर काम करने वाली 28 वर्षीय जिगिशा का 18 मार्च 2009 को उस समय अपहरण कर लिया गया था, जब वह दक्षिण दिल्ली के वसंत विहार इलाके में तड़के चार बजे अपने दफ्तर की कैब से उतरी थी। इसके बाद उसका शव तीन दिन बाद हरियाणा के सूरजकुंड के पास से मिला था।
मौत की सजा सुनाते हुए न्यायाधीश ने कहा, ‘‘रवि कपूर और अमित शुक्ला के बारे में रिपोर्ट मिली है कि उनके सुधरने के कोई आसार नहीं हैं।’’ रिपोर्ट के मुताबिक बलजीत का आचरण सामान्य है और उसके खिलाफ कोई शिकायत नहीं आई। ऐसे में वह समाज के लिए खतरा नहीं है। अदालत ने तीनों दोषियों पर कुल नौ लाख रूपए का जुर्माना भी लगाया। इनमें से छह लाख रूपए पीड़िता के परिवार को मुआवजे के तौर पर दिए जाएंगे। अदालत ने यह भी कहा कि यह राशि पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कानूनी सहायता प्राधिकरण से पीड़िता के परिवार के लिए उपयुक्त मुआवजे का निर्धारण करने के लिए कहा।