Jim Corbett Death Anniversary: फेमस शिकारी और पर्यावरणविद् थे जिम कॉर्बेट, कई बाघों और तेंदुओं का किया था शिकार

By अनन्या मिश्रा | Apr 19, 2025

आज ही के दिन यानी की 19 अप्रैल को आयरिश मूल के भारतीय लेखक व दार्शनिक जेम्स ए. जिम कार्बेट का निधन हो गया था। जिम कार्बेट ने मानवीय अधिकारों के लिए संघर्ष किया और संरक्षित वनों के आंदोलन की शुरूआत की थी। बता दें कि जिम कार्बेट एक शिकारी और महान व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति थे। साल 1907 से लेकर 1938 के बीच उन्होंने कुमाऊं और गढ़वाल दोनों जगह नरभक्षी बाघों व तेंदुओं के आतंक से निजात दिलाने का काम किया था। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर जेम्स ए. जिम कार्बेट के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और परिवार

उत्तराखंड के नैनीताल में 25 जुलाई 1875 को एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट उर्फ जिम कॉर्बेट का जन्म हुआ था। वह एक फेमस शिकारी थे। जिम कार्बेट के पिता एक पोस्टमास्टर थे और महज 4 साल की उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठ गया था। जिसके बाद उनकी मां ने घर-परिवार की जिम्मेदारी निभाई। वहीं आर्थिक तंगी के कारण जिम कार्बेट ने रेलवे में नौकरी कर ली थी। लेकिन जिम कार्बेट का सफर इससे अलग था।


बचपन से ही जिम कार्बेट को जंगलों से बहुत लगाव था और वह अपना अधिकतर समय जंगलों में बिताते थे। जिम कार्बेट ने जंगलों के बारे में बड़ी बारीक जानकारी हासिल की थी। वह कहते थे कि जंगलों की इतनी जानकारी किताबों से नहीं ली जा सकती है। इसके लिए जंगल को अपने भीतर समाना होगा। उनके कमाल के शिकार कौशल का श्रेय जिम कार्बेट के जंगल के प्रति प्रेम को देना गलत नहीं होगा।

इसे भी पढ़ें: Albert Einstein Death Anniversary: सामान्य बच्चों से अलग था अल्बर्ट आइंस्टीन का बचपन, फिर पूरी दुनिया ने माना लोहा

बाघों को उतारा था मौत के घाट

जिम कार्बेट जंगलों को बहुत अच्छी तरह से समझने लगे थे और इसी वजह से उनकी शिकार करने की कला बेहतर हुई। जिम जानवरों के हमला करने के तरीकों को जान चुके थे। उन्होंने अपने पूरे जीवन में कुल 19 बाघ और 14 तेंदुओं का शिकार किया था। इसकी वजह से वह पूरी दुनिया में मशहूर शिकारियों में गिने जाते हैं। जिम ने सबसे पहले चंपावत बाघिन का शिकार किया था। इस बाघिन ने 436 लोगों को मौत के घाट उतारा था।


बता दें कि जिम कार्बेट का जादू कुछ ऐसा था कि आज भी कुमाऊ और गढ़वाल क्षेत्र के लोगों में उनकी प्रसिद्धि बरकरार है। क्योंकि उस दौरान कुमाऊ और गढ़वाल में आदमखोर तेंदुओं और बाघों ने काफी उत्पात मचाया था। ऐसे में लोगों की रक्षा के लिए वहां की सरकार ने जिम कार्बेट को बुलावा भेजा। तब जिम ने कई तेंदुओं और बाघों का शिकार करके वहां के स्थानीय लोगों की रक्षा की। 


आजादी के बाद छोड़ा भारत

वह न सिर्फ एक बेहतरीन शिकारी थे, बल्कि वह कमाल के लेखक भी थे। जिम कार्बेट ने अपने शिकार से जुड़े तमाम किस्से लोगों को सुनाते और उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं। इसके अलावा वह एक बेहतरीन फोटोग्राफर भी थे। लेकिन आजादी के बाद जिम कार्बेट भारत छोड़कर केन्या चले गए थे और अपने जीवन के आखिरी समय तक वहीं रहे।


मृत्यु

वहीं 19 अप्रैल 1955 को केन्या में एडवर्ड जेम्स कॉर्बेट का निधन हो गया था। बता दें कि उनके नाम से जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान का भी नामकरण किया गया है।

प्रमुख खबरें

RBI MPC Meeting 2025 | आरबीआई की बड़ी राहत! होम लोन हुआ सस्ता, रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती, आर्थिक विकास को मिलेगी गति

Putin India Visit: Rajghat पहुंचकर President Putin ने दी राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि, विजिटर बुक में लिखा संदेश

Ginger and Garlic Soup: ठंड में बार-बार बीमार पड़ते हैं, घर पर बनाएं ये जादुई अदरक-लहसुन सूप, डायबिटीज और हार्ट के लिए भी वरदान

Dhurandhar रिलीज से पहले Yami Gautam का बड़ा बयान, फिल्मों के पेड प्रमोशन पर साधा निशाना, ऋतिक रोशन ने भी किया समर्थन