ध्वस्त जिनपिंग के इंतजाम, 100 साल की सबसे भीषण बाढ़, भारत के शानदार आपदा प्रबंधन की चर्चा

By अभिनय आकाश | Apr 23, 2024

चीन में सदी की सबसे बड़ी बाढ़ और महातबाही का खतरा मंडरा रहा है। चीन की नदियां खतरे के निशान से 19 फीट तक ऊपर बह रही है। चीन के बड़े-बड़े बांध बुरी तरह लबालब हो गए हैं। अप्रैल के मौसम में हो रही बारिश ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। बांधों के जरिए विस्तारवादी खेल-खेलने वाला ड्रैगन अपने ही बनाए जाल में फंस गया है। तबाही ऐसी है कि चीन का सरकारी मीडिया खुद से सदी का सबसे बड़ा संकट बता रहा है।

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सड़कों पर 12 फीट का सैलाब बह रहा 

जो चीन दुनिया के सबसे बड़े बांध बनाकर दुनिया के खिलाफ विस्तारवादी साजिश कर रहा था। साजिश के उन्हें बांधो ने चीन को डुबो दिया है। चीन में 100 साल की सबसे भीषण बाढ़ आने का खतरा सबसे गंभीर लेवल तक पहुंच गया है। चीन की सड़कों पर 12 फीट का सैलाब बह रहा है। चीन की प्रमुख नदियां खतरों के निशान से 19 फीट ऊपर बह रही है। चीन के वांग टो और वांग शांग जैसे शहरों में हाहाकार मचा हुआ है। हांगकांग के पास करीब 13 करोड़ की आबादी वाले वांग टोंग शहर में भारी बारिश की वजह से जगह-जगह जमीन फट रही है। मूसलाधार बारिश, भयानक बाढ़ और जानलेवा भूस्खलन की वजह से पूरा इलाका तबाह हो रहा है।

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आपदा प्रबंधन का भारतीय फार्मूला

चीन दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाकर पानी रोकने की कोशिश कर रहा है। लेकिन अब यही पानी चीन के लिए मुसीबत बन गया है। जिनपिंग ने बांध बनाकर केवल विस्तारवाद पर ध्यान दिया। लेकिन वो आपदा प्रबंधन पर ध्यान देने से चूक गए। लेकिन पिछले 10 सालों में भारत के प्रधानमंत्री का पूरा फोकस आपदा को अवसर में बदलने पर रहा है। आज भारत का डिजास्ट्रर मैनेजमेंट कैसा है और मोदी काल में भारत ने राहत और बचाव कार्य में कितनी प्रगति की है। ये बीते दिनों में हुई कई घटनाओँ से आपको नजर आ जाएगा। खेरा जिले की कहानी सुनाते हुए पीएम मोदी ने बताया कि इसमें कभी पांच सात साल में एक बार बाढ़ आती थी। एक बार ऐसा हुआ कि एक साल में पांच बार बाढ़ आई। इसमें क्या हुआ कि आपदा को लेकर काफी गतिविधियां विकसित हो गई थी। तब अंग्रेजी में ही गुजराती में लिखकर गांव के लोगों को मैसेज करते थे। ऐसी स्थिति है और इतने घंटे के बाद बाढ़ आने की संभावना है। मुझे याद है कि पांच बार बाढ़ आने के बावजूद एक इंसान तो दूर की बात है पशु तक को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। बचाव और राहत कार्य समय रहते शुरू होगा तो जीवन की क्षति को हम कम कर सकते हैं। 

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