By अभिनय आकाश | Sep 01, 2025
तियांगजिन में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन समिट के दौरान पीएम मोदी का स्वागत बेहद ही खास अंदाज में किया है। दो दिन की इस यात्रा के लिए उन्हें चीन की सबसे प्रेस्टिजियस प्रेसिडेंशियल कार हांगची एल5 मुहैया कराई गई। ये वही कार है जिसका इस्तेमाल चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग खुद करते हैं। हांगची एल5 को चीन में रेड फ्लैग के नाम से जाना जाता है और ये सिर्फ टॉप लीडर्स के लिए रिजर्व होती है। इसे सरकारी कंपनी एफएडब्ल्यू फर्स्ट ऑटोमोटि वर्कस बनाती है, जिसने 1958 में अपनी पहली कार लॉन्च की थी। खासतौर पर कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं के लिए। दिलचस्प बात ये है कि 2019 में जब शी जिनपिंग भारत आए थे तब उन्होंने इसी हांगची कार का इस्तेमाल किया था। अब वही सवारी पीएम मोदी के लिए उपलब्ध करवाकर चीन ने खास कूटनीतिक संकेत दिया है।
वहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी एससीओ समिट में शामिल होने के लिए तियांनजिन पहुंचे हैं। उनके इस दौरे की भी खूब चर्चा है। वो इस दौरे के लिए अपनी रूस की ओरस प्रेसिडेंशियल कार लेकर आए हैं। ये कार ओरस मोटर द्वारा बनाई जाती है। ये रेट्रो लग्जरी स्टाइल के लिए मशहूर है। चीनी सरकार ने उनकी कार को डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट दी है, जो इस दौरे की अहमियत को और बढ़ाता है। आपको बता दें कि इस समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अहम द्विपक्षीय वार्ता भी हुई। वार्ता में जिनपिंग ने कहा कि ड्रैगन और एलीफेंट को साथ आना चाहिए और दोस्त बनना चाहिए। दोनों नेताओं के बीच ये बैठक करीब एक घंटे तक चली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने चुनौतियों से निपटने के लिए द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ करने और सीमा मुद्दे के उचित समाधान की दिशा में काम करने पर सहमति जताई। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर अपनी बातचीत में मोदी और शी ने आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक रणनीतिक तालमेल का प्रदर्शित किया, वह भी ऐसे समय में जब भारत दो दशकों से अधिक समय में अमेरिका के साथ अपने संबंधों में संभवतः सबसे खराब दौर से गुजर रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ (शुल्क) नीति और उनके प्रशासन द्वारा भारत की लगातार आलोचना करने के कारण दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। मोदी ने बैठक में कहा कि भारत और चीन दोनों ही ‘‘रणनीतिक स्वायत्तता’’ के पक्षधर हैं तथा उनके संबंधों को किसी तीसरे देश के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए। अमेरिका के साथ भारत के संबंधों में आई गिरावट के मद्देनजर यह टिप्पणी कफी अहम मानी जा रही है। दोनों नेताओं के बीच वार्ता में भारत-चीन व्यापार घाटे को कम करने, आतंकवाद जैसी चुनौतियों से मिलकर निपटने और बहुपक्षीय मंचों पर निष्पक्ष व्यापार सुनिश्चित करने सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई।