APJ Abdul Kalam Birth Anniversary: कभी फाइटर पायलट बनना चाहते थे कलाम, फिर मिसाइल मैन बन रोशन किया देश का नाम

By अनन्या मिश्रा | Oct 15, 2023

हर बड़े वैज्ञानिक का जीवन तमाम तरह की सीखों से भरा होता है। इसी तरह डॉ एपीएजे अब्दुल कलाम का जीवन भी इससे उलट नहीं रहा आम लोगों की तरह उन्होंने भी अपने जीवन में काफी कुछ गंवाया। लेकिन अपनी मेहनत और लगन के जरिए उन्होंने उम्मीद से कहीं ज्यादा पाया। डॉ एपीएजे अब्दुल कलाम को मिसाइल मैन के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि आज ही के दिन यानी की 15 अक्टूबर को डॉ एपीएजे अब्दुल कलाम का जन्म हुआ था। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर डॉ एपीएजे अब्दुल कलाम के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और शिक्षा

तमिलनाडु के रामेश्वरम के धनुषकोडी गांव में 15 अक्टूबर 1931 को एक मुस्लिम परिवार में अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम का जन्म हुआ था। अब्दुल कलाम के पिता मछुआरों को नाव किराये से देते थे और कभी हिंदुओं को नाव से तीर्त यात्रा करवाते थे। उनका परिवार काफी गरीब था। जिस कारण अब्दुल कलाम को बचपन में अखबार बेचने का काम भी करना पड़ा था। घर में पढ़ाई के लिए ना सुविधा थी, ना ही किसी तरह की आर्थिक सहायता की उम्मीद। लेकिन इसके बाद भी कलाम अपनी शिक्षा को लेकर सकारात्मक रहे। हांलाकि पढ़ाई में वह औसत थे पर भौतिकी और गणित में कलाम की गहरी रुचि थी। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा रामानाथपुरम में पूरी की।

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फाइटर पायलट बनना चाहते थे कलाम

जब अब्दुल कलाम 5वीं कक्षा में थे, तो टीचर पक्षी के उड़ने के तौर-तरीके के बारे में छात्रों को जानकारी दे रहे थे। उस दौरान जब छात्रों को समझ नहीं आया तो टीचर बच्चों को लेकर समुद्र तट गए। जहां पर शिक्षक ने पक्षियों को दिखाकर अच्छे से चीजें समझाईं। इसी घटना के बाद से कलाम ने फैसला कर लिया कि वह विमान विज्ञान में पढ़ाई करेंगे और फाइटर पायलट बनेंगे। साल 1954 में कलाम ने कॉलेज की पढ़ाई पूरी त्रिचिरापल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से भौतिकी में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल कर पूरी की। इसके बाद फाइटर पायलट बनने के बाद कलाम ने भारतीय वायुसेना में 8 पदों के भर्ती के लिए परीक्षा दी। लेकिन कलाम दुर्भाग्य से नौवें स्थान पर आएं। यह स्थिति उनके लिए काफी बड़ा आघात है। 


ऐसे बदली जिंदगी की दिशा

फाइटर पायलट बनने का सपना टूटने के बाद कलाम ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोल़ॉजी से एरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट सर्विस में कलाम ने सदस्यता हासिल की और वैज्ञानिक के तौर पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमैंट में काम करने लगे। अपने करियर को नई दिशा देते हुए उन्होंने एक छोटे होवर क्राफ्ट की डिजाइन से दूरी जिंदगी की शुरुआत की। 


वैज्ञानिक से बने मिसाइल मैन

इस सफर के बाद डॉ कलाम ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इससे पहले वह इसरो में सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल के प्रोजेक्ट निदेशक बने। जिसने रोहिणी सैटेलाइट को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया। इसके बाद कलाम ने पोलर सैटेलाइल लॉन्च व्हीकल के भी सफल परीक्षण में योगदान दिया। फिर बैलेस्टिक मिसाइल विकसित करने वाले प्रोजेक्ट डेविल और प्रोजेक्ट वैलिएंट की जिम्मेदारी भी मिली। इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम जैसे बड़े प्रोजेक्ट का प्रमुख बनाया गया। इसमें सफलता मिलने के बाद वह 'मिसाइल मैन' के नाम से जाने गए। कलाम की निगरानी में भारत ने पोखरण-2 के सफल परमाणु परीक्षण किए। फिर वह प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार और भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के सचिव भी रहे। 


मौत

साल 2002 में राष्ट्रपति पद के लिए कलाम को उम्मीदवार बनाया गया। इस तरह से वह देश के 11वें राष्ट्रपति बनें। वहीं 27 जुलाई 2015 डॉ एपीएजे अब्दुल कलाम ने दुनिया को अलविदा कह दिया।

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