सियासी संकट से मिली फौरी राहत के बाद कमलनाथ खुश

By अनुराग गुप्ता | Mar 16, 2020

मध्य प्रदेश में सियासी संकट के बीच कांग्रेस नेतृत्व वाली कमलनाथ सरकार को बड़ी राहत मिली है। कांग्रेस के 22 विधायकों द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद सरकार अल्पमत में आ गई थी जिसके बाद लगातार भाजपा शक्ति परीक्षण कराए जाने की बात कर रही थी। जो फिलहाल 26 मार्च तक के लिए टल गया है। आज इसी विषय पर चर्चा करेंगे।

 

क्या कुछ हुआ ?

सोमवार को मध्य प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र की शुरूआत होनी थी जिसके पहले भाजपा और कांग्रेस ने अपने तमाम विधायकों को हरियाणा और जयपुर से वापस बुला लिया और तरह-तरह के दावे किए जाने लगे। जब कभी भी कमलनाथ कैमरे में कैद होते तो विक्टरी का साइन दिखा देते और बहुमत हासिल करने का दावा करते। जबकि नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव कहते कि अब तो नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए कमलनाथ को इस्तीफा दे देना चाहिए।

 

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लेकिन फिर विधानसभा में विधायक पहुंचने लगे। राज्यपाल लालजी टंडन ने राज्य विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन सदन को सिर्फ एक मिनट ही संबोधित किया और वहां से चले गए। इस दौरान उन्होंने संवैधानिक परम्पराओं का पालन करने, लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखने और राज्य में मौजूदा स्थिति में शांतिपूर्वक कार्य करने का आग्रह किया और फिर विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी।

 

विधानसभा अध्यक्ष द्वारा कार्यवाही स्थगित किए जाने के बाद तमाम तरह के कयास धरे के धरे रह गए और मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपनी सरकार बचाने के लिए समय भी मिल गया। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब कार्यवाही स्थगित हुई तो उसके बाद कांग्रेस विधायक भारत माता की जय के नारे लगाते हुए देखे गए।

 

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कब तैयार हुई थी स्क्रिप्ट ?

मुख्यमंत्री कमलनाथ तो यह जानते ही हैं कि जब तक कांग्रेस के बागी विधायकों से उनकी बात नहीं हो पाएगी तब तक वह उन्हें मनाकर अपने पाले में नहीं ला सकते हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री कमलनाथ को और भी ज्यादा समय की आवश्यकता थी और हुआ भी कुछ ऐसा ही। देश में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते अमूमन हर प्रदेश की सरकार ने 31 मार्च तक के लिए स्कूल, कॉलेज, सिनेमाघरों को बंद रखने के आदेश दे दिए थे और कमलनाथ ने भी दिए।

 

कोरोना की वजह से उपजे संकट का फायदा भी कमलनाथ को मिल गया। एक तरफ देश में कोहराम मचा है तो दूसरी तरफ कमलनाथ के चेहरे पर मुस्कान देखी जा सकती है। जब कांग्रेस विधायक विधानसभा पहुंचे तो सभी मास्क लगाए हुए थे जबकि मुख्यमंत्री कमलनाथ के गले में मास्क लटक रहा था और वह अपने विधायकों के साथ बातचीत कर रहे थे और खुलकर हंस भी रहे थे। यह नजारा देखने लायक था, क्योंकि उन्हें शायद पता था कि आज शक्ति परीक्षण नहीं होने वाला है।

 

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कांग्रेस को किस बात का डर है ?

भले ही कमलनाथ आत्मविश्वास से भरा हुआ अपना चेहरा मीडियाकर्मियों के समक्ष पेश करें लेकिन वह जानते हैं कि कांग्रेस के 22 विधायक हार्स ट्रेडिंग के शिकार हो चुके हैं जिन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया था। इतना ही नहीं कांग्रेस को राज्यसभा चुनाव का भी डर सता रहा है क्योंकि कुछ वक्त पहले कांग्रेस ने गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल को खुला ऑफर दिया था कि आप अपने 15-20 विधायक लेकर हमारे पास आ जाइये हम आपको मुख्यमंत्री बना देंगे।

कांग्रेस वहां भाजपा को तोड़ने की बात कर रही थी जबकि खुद कांग्रेस के 4 विधायक टूट गए। जिसकी वजह से राज्यसभा की एक सीट कांग्रेस गंवाती हुई दिखाई दे रही है।

 

रही बात मध्य प्रदेश की तो एक दिलचस्प बात बता देते हैं कि ये जो अविश्वास प्रस्ताव होता है यह पूरे सत्र में सिर्फ एक बार ही लाया जा सकता है। ऐसे में अगर कमलनाथ सरकार विश्वास प्रस्ताव जीत जाती है तो फिर छह महीने तक सरकार में वह बनी रह सकती है। आपको याद हो तो नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कमलनाथ सरकार को चैलेंज दिया था कि अगर हमारे नंबर-1 और नंबर -2 कह दें तो सत्ता परिवर्तित हो जाएगी जिसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विधानसभा में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट बिल पास करवाने के बहाने सरकार का शक्ति परीक्षण कर दिया और उल्टे भाजपा के दो विधायकों ने कांग्रेस के समर्थन में वोट डाला। इस दौरान कमलनाथ सरकार को 122 मत मिले थे।

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