By अनुराग गुप्ता | Dec 08, 2021
नयी दिल्ली। भारतीय वायुसेना का Mi17V5 हेलीकॉप्टर बुधवार को तमिलनाडु के कुन्नूर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस विमान में सीडीएस जनरल बिपिन रावत समेत 14 लोग सवार थे। जिसमें से 11 लोगों को शव बरामद किया जा चुका है। इसी के साथ ही Mi17 हेलीकाप्टर को लेकर बहस छिड़ गई है। आपको बता दें कि भारत ने Mi17 हेलीकॉप्टर के माध्यम से दुर्गम स्थानों में मौजूद पाकिस्तानी सेना को नेस्तनाबूत किया था। बात करगिल युद्ध की है। 1999 का पांचवां महीना चल रहा था। इसी बीच पाकिस्तानी सेना ने भारतीय इलाकों में घुसपैठ कर लिया था। जिसमें टाइगर हिल और तोलोलिंग रेंज शामिल है। ऐसे में आपरेशन विजय शुरू किया गया लेकिन ऊंची-ऊंची चोटियों में मौजूद पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना के जवानों को निशाना बनाया।
पाकिस्तानी सेना का मकसद श्रीनगर हाईवे पर कब्जा करना और सियाचिन ग्लेशियर को भारतीय सेना से अलग करना था। पाकिस्तानियों को खदेड़ने के लिए 24 मई को वायुसेना की मदद ली गई। उस वक्त वायुसेना के पास Mi 35 हेलीकॉप्टर ही मौजूद थे और वो 10,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई तक जाने में सक्षम नहीं थे। ऐसे में वायुसेना ने Mi17 ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर को वॉर मशीन बनाने के निर्णय किया। Mi17 में 557 एमएम वाले रॉकेट लॉन्चर सेट किए गए ताकि पाकिस्तानी सेना के ठिकानों को तबाह किया जा सके। ऐसा करना इसलिए भी जरूरी था क्योंकि पाकिस्तानी सेना तोलोलिंग पर कब्जा करके बैठी थी और उसकी ऊंचाई करीब 15,000 फीट थी।
4 MI17 को सौंपी गई थी जिम्मेदारी
थल सेना ने 24 मई को वायुसेना से मदद मांगी थी और मुश्किल परिस्थितियों में होने के बावजूद वायुसेना ने 27 मई को Mi17 के चार हेलीकॉप्टरों की मदद से पाकिस्तानियों खदेड़ना शुरू कर दिया था। यह मिशन इतना भी आसान नहीं था क्योंकि पाकिस्तानी पूरी व्यवस्था के साथ आए थे और उनके पास हेलीकॉप्टरों को निशाना बनाने वाले रॉकेट भी थे। भारतीय वायुसेना का एक Mi17 हेलीकॉप्टर पाकिस्तानियों की मिसाइल का शिकार भी हो गया था। इसके बावजूद बाकी के हेलीकॉप्टरों ने अपना दमखम दिखाते हुए उनके ठिकानों को नेस्तनाबूत कर दिया था।