कर्नाटक विधानसभा चुनाव: जद(एस) के लिए अस्तित्व की लड़ाई या पार्टी फिर बनेगी ‘किंगमेकर’ ?

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 15, 2023

बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा के लिए इस साल चुनाव होने हैं और ऐसे में सवाल यह है कि यह चुनाव पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा-नीत जनता दल (सेक्युलर) के लिए राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई होगा या यह क्षेत्रीय दल त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में 2018 की तरह एक बार फिर ‘किंगमेकर’ (किसी दल को सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाने वाले) के तौर पर उभरेगा।

इसे भी पढ़ें: TMKOC Actor Death | तारक मेहता का उल्टा चश्मा के अभिनेता का निधन, एक्टर लिवर सिरोसिस से थे पीड़ित

दलबदल, आंतरिक दरार और ‘‘एक परिवार की पार्टी’’ की छवि से जूझ रहे जद (एस) के संबंध में यह देखना दिलचस्प होगा कि देवेगौड़ा के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर किस प्रकार पार्टी को आगे लेकर जाएंगे। जद (एस) ने 1999 में अपने गठन के बाद से कभी अपने दम पर सरकार का गठन नहीं किया है, लेकिन वह 2006 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और 2018 में कांग्रेस के सहयोग से दो बार सत्ता में आई। बहरहाल, इस बार पार्टी ने अपने दम पर सरकार बनाने के लिए ‘‘मिशन 123’’ का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। राज्य में मई में चुनाव होने हैं और सत्ता में आने के लिए कुल 224 में से कम से कम 123 सीट पर जीत की जरूरत है। पार्टी स्वयं को एकमात्र कन्नड़ पार्टी बताकर क्षेत्रीय गौरव के नाम पर वोट मांग रही है। बहरहाल, राजनीतिक पर्यवेक्षकों एवं पार्टी के भीतर भी संशय है कि वह 123 का लक्ष्य हासिल कर पाएगी या नहीं।

इसे भी पढ़ें: Maharashtra: एनटीसीए ने चंद्रपुर वन से कुछ बाघ नागझिरा अभयारण्य स्थानांतरित करने को दी मंजूरी

पार्टी ने अभी तक 2004 के विधानसभा चुनाव में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था, जिसमें उसने 58 सीट जीती थीं। पार्टी ने 2013 में 40 सीट और 2018 में 37 सीट पर जीत दर्ज की थी। पार्टी के कुछ नेताओं को जद (एस) के सत्ता में आने या सरकार गठन में अहम भूमिका निभाने की उम्मीद है। जद (एस) के एक पदाधिकारी ने अपना नाम गोपनीय रखे जाने की शर्त पर कहा, ‘‘यदि इस प्रकार की स्थिति पैदा होती है, तो हम कुमारन्ना (कुमारस्वामी) को मुख्यमंत्री बनाए जाने के लिए निश्चित ही दबाव बनाएंगे, लेकिन हम पिछली बार के खराब अनुभव के बाद अपने चयन को लेकर अधिक सतर्क रहेंगे और इस बार अपने संभावित गठबंधन साझेदार के साथ सीटों को लेकर सावधानी से समझौता करेंगे।’’

जद (एस) की पुराने मैसुरु क्षेत्र में मजबूत पकड़ है और कांग्रेस भी यहां काफी मजबूत है, लेकिन भाजपा की स्थिति यहां कमजोर है। अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में राजनीतिक विश्लेषक ए. नारायण ने कहा कि जद (एस) वास्तव में कितनी मजबूत या कमजोर है, यह उम्मीदवारों की सूची की घोषणा के बाद ही तय किया जा सकता है, क्योंकि इसका अस्तित्व इस बात पर निर्भर करता है कि अन्य दलों द्वारा टिकट से वंचित रखे गए कितने मजबूत उम्मीदवार इसमें शामिल होते हैं।

प्रमुख खबरें

Vishwakhabram: Modi Putin ने मिलकर बनाई नई रणनीति, पूरी दुनिया पर पड़ेगा बड़ा प्रभाव, Trump समेत कई नेताओं की उड़ी नींद

Home Loan, Car Loan, Personal Loan, Business Loan होंगे सस्ते, RBI ने देशवासियों को दी बड़ी सौगात

सोनिया गांधी पर मतदाता सूची मामले में नई याचिका, 9 दिसंबर को सुनवाई

कब से सामान्य होगी इंडिगो की उड़ानें? CEO का आया बयान, कल भी हो सकती है परेशानी