कठुआ कांड के गवाह अपनी शिकायतों के साथ जायें हाई कोर्ट: सुप्रीम कोर्ट

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 02, 2018

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कठुआ बलात्कार एवं हत्याकांड की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) पर उत्पीड़न का आरोप लगाने वाले तीन गवाहों से कहा कि वे शिकायतों को लेकर जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय जायें। तीन गवाहों- साहिल शर्मा, सचिन शर्मा और नीरज शर्मा ने एसआईटी पर उनका उत्पीड़ने करने का आरोप लगाया था और उसकी स्वतंत्र जांच की मांग की थी। तीनों कठुआ कांड के मुख्य आरोपियों में एक के सहपाठी हैं।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने गवाहों के आरोपों की जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया। गवाहों ने पुलिस के समक्ष अपना बयान दर्ज कराने के दौरान जोर जबर्दस्ती किये जाने का आरोप लगाया है। पीठ ने उन्हें अपनी शिकायतों के साथ उच्च न्यायालय जाने की छूट देते हुए उनकी याचिका का निबटारा कर दिया।

न्यायालय एक घुमंतू अल्पसंख्यक समुदाय की आठ साल की लड़की से सामूहिक बलात्कार एवं उसकी हत्या के मामले की सुनवाई कर रहा था। जम्मू क्षेत्र में कठुआ के एक गांव में दस जनवरी को यह लड़की अपने घर के समीप से लापता हो गयी थी। एक हफ्ते बाद उसका शव मिला था। जम्मू कश्मीर सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम और वकील सुहैब आलम ने पीठ को बताया कि गवाहों का फिर से परीक्षण हो गया है और उनके बयान फिर से रिकार्ड किये गये हैं।

 

शीर्ष अदालत ने तीनों गवाहों को पुलिस की आगे की पूछताछ में अपने रिश्तेदारों के साथ जाने की अनुमति दी थी। पीठ ने पुलिस ने कहा कि इस मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच की जाये। शीर्ष अदालत ने पहले ही गवाहों की पूछताछ की वीडियोग्राफी कराने से मना कर दिया था। आरोपी विशाल जंगोत्रा के इन तीन कॉलेजे मित्रों पर जांच को संभवत : गुमराह करने आरोप लगाया गया था जिसके बाद अदालत ने राज्य सरकार को इस कांड की जांच पर स्थिति रिपोर्ट देने को निर्देश दिया था।

 

जम्मू के ये तीनों विद्यार्थी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक कॉलेज में बीएससी कर रहे हैं और वे विशाल जंगोत्रा के सहपाठी है। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें इस तथ्य के विपरीत बयान देने के लिए बाध्य किया गया कि जंगोत्रा सात जनवरी -10 फरवरी के दौरान मुजफ्फरनगर में था। उस दौरान उसने उनके साथ परीक्षा दी और प्रैक्टिल पेपर भी दिये। उन्होंने अपनी अर्जी में दावा किया कि 19-31 मार्च के दौरान पुलिस ने उनका शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया।

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