By अभिनय आकाश | Nov 18, 2025
केरल सरकार ने राज्य में भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा वर्तमान में किए जा रहे मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को स्थगित करने की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर एक रिट याचिका में राज्य ने तर्क दिया है कि स्थानीय स्वशासन संस्थाओं (एलएसजीआई) के चुनावों के साथ-साथ एसआईआर कराने से गंभीर प्रशासनिक चुनौतियाँ उत्पन्न होंगी और चुनावों के सुचारू संचालन में बाधा उत्पन्न होगी। राज्य ने स्पष्ट किया कि यद्यपि वह बाद में एसआईआर प्रक्रिया की वैधता को चुनौती देने का अधिकार सुरक्षित रखता है, लेकिन वर्तमान याचिका केरल में संशोधन प्रक्रिया को स्थगित करने पर केंद्रित है।
केरल में 1,200 स्थानीय निकाय चुनाव (एलएसजीआई) हैं, जिनमें 941 ग्राम पंचायतें, 152 ब्लॉक पंचायतें, 14 ज़िला पंचायतें, 87 नगर पालिकाएँ और 6 निगम शामिल हैं, जो कुल मिलाकर 23,612 वार्डों को कवर करते हैं। चुनाव 9 और 11 दिसंबर को दो चरणों में होने हैं। एसआईआर 4 नवंबर को शुरू हुआ, और 4 दिसंबर को मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित होनी थी, जिससे पूरे संशोधन को लागू करने के लिए केवल एक महीना बचा है। राज्य का तर्क है कि यह समय-सीमा स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारियों से गंभीर रूप से टकराती है।
याचिका के अनुसार, स्थानीय निकाय चुनाव कराने के लिए 68,000 सुरक्षा कर्मचारियों के अलावा 1,76,000 कर्मियों की आवश्यकता है। एसआईआर को ही 25,668 अतिरिक्त कर्मियों की आवश्यकता है, जिसके बारे में राज्य का कहना है कि इससे प्रशासनिक मशीनरी पर "गंभीर दबाव" पड़ता है और नियमित शासन-प्रशासन ठप होने का खतरा है।
याचिका में संविधान के अनुच्छेद 243-ई और 243-यू के साथ-साथ केरल पंचायत राज अधिनियम की धारा 38 और केरल नगर पालिका अधिनियम की धारा 94 का हवाला दिया गया है, जो सभी पिछली परिषदों की पहली बैठक के पाँच वर्षों के भीतर चुनाव कराने का आदेश देते हैं। नए एलएसजीआई सदस्यों को 21 दिसंबर से पहले शपथ लेनी होगी। इसके विपरीत, केरल का तर्क है कि इस समय विशेष मतदाता सूची संशोधन करने की कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है, और चुनाव आयोग ने तत्काल एसआईआर की आवश्यकता वाले कोई विशेष कारण नहीं बताए हैं।