किम की बहन ने दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 25, 2022

उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की बहन किम यो जोंग ने दक्षिण कोरिया एवं उसके राष्ट्रपति के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उसे धमकियां दीं। यो जोंग ने दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति और उनकी सरकार को ‘‘मूर्ख’’ और ‘‘अमेरिका द्वारा डाली हड्डी खाने वाले जंगली कुत्ते’’ बताया। दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय ने उत्तर कोरिया के हालिया मिसाइल परीक्षणों के मद्देनजर उस पर अतिरिक्त एकतरफा प्रतिबंध लगाने पर विचार करने संबंधी बयान दिया था। इसके दो दिन बार यो जोंग ने यह टिप्पणी की है।

मंत्रालय ने कहा था कि अगर उत्तर कोरिया परमाणु परीक्षण जैसी उकसावे भरी कार्रवाई जारी रखता है, तो वह उसके कथित साइबर हमलों को लेकर भी प्रतिबंध लगाने पर विचार करेगा। सरकारी मीडिया के अनुसार, किम यो जोंग ने कहा, ‘‘मुझे आश्चर्य है कि अमेरिका की फेंकी हड्डी खाने वाला जंगली कुत्ता दक्षिण कोरिया उत्तर कोरिया पर बेशर्मी से कौन से प्रतिबंध लगाएगा।’’ उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति यून सुक योल ‘‘मूर्ख’’ हैं और उनकी सरकार भी ‘‘बेवकूफों से भरी है, जो क्षेत्र में एक खतरनाक स्थिति पैदा कर रही है।’’

यो जोंग ने कहा कि जब यून के पूर्ववर्ती मून जेई-इन सत्ता में थे, तब दक्षिण कोरिया ‘‘हमारे निशाने पर नहीं था।’’ उन्होंने कहा कि मून जेई इन ने उत्तर कोरिया के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश की थी। इस टिप्पणी को दक्षिण कोरिया में यून विरोधी भावनाओं को भड़काने के संभावित प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दक्षिण कोरिया ने यो जोंग के बयानों पर पलटवार करते हुए कहा कि ‘‘असभ्य, घटिया’’ शब्द इस्तेमाल करके ‘‘हमारे राष्ट्र प्रमुख का अपमान करना अत्यंत निंदनीय है।’’

सियोल की ‘यूनीफिकेशन मिनिस्ट्री’ ने एक बयान में कहा कि वह दक्षिण में ‘‘सरकारी विरोधी संघर्षों को भड़काने और हमारी प्रणाली को हिलाने की नापाक कोशिशों’’ की निंदा करती है। दक्षिण कोरिया ने पिछले महीने उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों व मिसाइल कार्यक्रमों को अवैध रूप से वित्तीय मदद मुहैया कराने के संदेह में उत्तर कोरिया के 15 लोगों और 16 संगठनों पर प्रतिबंध लगाए थे। पिछले पांच साल में दक्षिण कोरिया द्वारा उत्तर कोरिया पर लगाया गया यह पहला एकतरफा प्रतिबंध था। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि ये एक प्रतीकात्मक कदम है, क्योंकि दोनों देशों के बीच वित्तीय लेन-देन बेहद कम है।

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