मंदसौर में मारे गए किसानों का हत्यारा कौन? क्यों हो रहा है देशभर में आंदोलन?

By अनुराग गुप्ता | Jun 06, 2018

नयी दिल्ली। देशभर के किसानों ने फसलों के सही दाम सहित तमाम मांगों को लेकर 1 जून 2017 के दिन आंदोलन की शुरूआत की। देखते ही देखते मंदसौर में विरोध प्रदर्शन ने भयावह रूप धारण कर लिया और यहां हुई गोलीबारी में 6 किसानों की मौत हो गई। इस घटनाक्रम के बाद वहां पर मौजूद लोगों ने पुलिस पर गोलीबारी का आरोप लगाया, हालांकि जिला प्रशासन ने पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी से इनकार कर दिया। 

इस घटनाक्रम के बाद इलाके में कर्फ्यू लग गया। इसे अतिरिक्त आस-पास इलाकों में धारा 144 लगा दी गई और इंटरनेट सेवाएं भी बाधित कर दी गई। जैसा कि हर घटनाक्रम के बाद देखा जाता है कि नेता आते हैं और लोगों की मौत की कीमत अदा कर चले जाते हैं। ठीक ऐसा ही मंदसौर में भी हुआ। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंदसौर हिंसा में मारे गए 6 किसानों के परिजनों को आर्थिक मदद के तौर पर एक-एक करोड़ रुपए देने का ऐलान किया। इसी के साथ ही उन्होंने गंभीर रुप से जख्मी किसानों को पांच-पांच लाख रुपए की सहायता राशि देने का वादा किया। 

बात इतने में नहीं बनते देख नेताजी ने मृतक किसानों के परिवार में से एक सदस्य को नौकरी देने का भी वादा कर दिया। हमेशा की तरह विपक्ष भी इसमें कूद गया और मृतक किसानों के परिवारजनों को मदद के तौर पर 2-2 लाख रुपए देने का ऐलान कर दिया। 

 

आखिर हुआ क्या था मंदसौर में?

 

साल 2017 में किसानों ने कर्जमाफी और फसलों के उचित दाम को लेकर जगह-जगह राज्यभर में 10 जून तक आंदोलन किया था। इसी बीच 6 जून को मंदसौर में पुलिस फायरिंग से 5 किसानों की मौत हो गई। जबकि एक किसान की मौत पुलिस द्वारा पीटे जाने के बाद हुई। इस घटना को एक साल पूरे हो चुके हैं, जिसको लेकर मध्य प्रदेश के साथ तमाम राज्यों में किसानों ने शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं और 6 जून को मृतक किसानों की बरसी मना रहे हैं।

 

 

इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष इस मुद्दे में कूद पड़े और किसानों के लिए होने वाली श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करने की बात कहीं। बता दें कि बरसी के मौके पर राहुल गांधी किसानों को संबोधित करेंगे इससे पहले उन्होंने ट्वीट कर मौजूद सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि हमारे देश में हर रोज़ 35 किसान आत्महत्या करते हैं। कृषि क्षेत्र पर छाए संकट की तरफ़ केंद्र सरकार का ध्यान ले जाने के लिए किसान भाई 10 दिनों का आंदोलन करने पर मजबूर हैं। हमारे अन्नदाताओं की हक की लड़ाई में उनके साथ खड़े होने के लिए 6 जून को मंदसौर में किसान रैली को संबोधित करूंगा।

 

हिंसा को भड़काने का काम रहा विपक्ष:

 

शिवराज सिंह चौहान ने मंदसौर हिंसा के लिए कांग्रेस को जवाबदार बताते हुए कहा था कि कांग्रेस ने हिंसा भड़काने का सुनियोजित प्रयास किया, जिसकी बलि कुछ किसान साथी चढ़ गए। इसके साथ ही  उन्होंने मंदसौर घटना को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताया था और किसानों से धैर्य रखने की अपील करते हुए किसी के बहकावे में आने से मना किया था। दरअसल, किसानों की मौत के विरोध में कांग्रेस से जुड़े राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ ने राज्य भर में बंद का आह्वान किया था। जिसके बाद सीएम शिवराज की मुश्किलें और बढ़ती जा रही थी।

 

 

स्वामीनाथन कमेटी की मुख्य बातें:

 

सबसे मुख्य बात तो यह है कि अगर किसानों की बेहतरी के लिए बनाई गई कमेटी यानी स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को अगर लागू कर दिया जाए तो किसानों का भाग्य बदल जाएगा। सबसे पहले तो किसानों को बेहतर क्वालिटी के बीज वो भी कम दामों में उपलब्ध कराए जाएं। इसके साथ ही किसानों की मदद के लिए गांवों में विलेट नॉलेज सेंटर बनाए जाएं। किसानों को फसल बीमा की सुविधा देशभर में मिले और हर फसल के लिए मिले।

 

इसके अतिरिक्त अगर कोई किसान खेती करने के लिए कर्ज लेना चाहे तो जरूरतमंद तक कर्ज की व्यवस्था को पहुंचाया जाए। इस कमेटी ने यह भी कहा कि किसान महिलाओं को क्रेडिट कार्ड दिए जाएं और साथ ही किसानों के लिए कृषि जोखिम फंड भी बनाया जाए। कृषि जोखिम फंड का इस्तेमाल उस वक्त हो जब प्राकृतिक आपदाओं में किसानों की सारी मेहनत बेकार जाती है और वो निराश होकर आत्महत्या की तरफ खुद को धकेलने लगते हैं। 

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