KM Cariappa Death Anniversary: केएम करियप्पा के नाम दर्ज है आजाद भारत के पहले फील्ड मार्शल होने का रिकॉर्ड

By अनन्या मिश्रा | May 15, 2024

आजाद भारत के पहले फील्ड मार्शल केएम करियप्पा का 15 मई को निधन हो गया था। वह पहने सेना प्रमुख होने के साथ ही भारतीय सेना के पहले फाइव स्टार रैंक के अधिकारी थे। उन्होंने तीस साल भारतीय सेना में रहकर देश की सेवा की। वहीं साल 1953 में वह रिटायर हो गए थे। वहीं रिटायरमेंट के बाद भी करियप्पा किसी न किसी रूप में भारतीय सेना में योगदान देते रहे हैं। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर देश के पहले फील्ड मार्शल केएम करियप्पा से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और शिक्षा

आपको बता दें कि कर्नाटक में 28 जनवरी 1899 को केएम करियप्पा का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा था। उन्होंने शिक्षा माडिकेरी सेंट्रल हाई स्कूल की पढ़ाई की और फिर मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। पढ़ाई पूरी होने के बाद करियप्पा इंदौर स्थित आर्मी ट्रेनिंग स्कूल के लिए सेलेक्ट हो गए। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद साल 1919 में उनको सेना में कमीशन मिला। फिर भारतीय सेना में सेकेंड लेफ्टिनेंट के तौर पर वह नौकरी करने लगे।


भारत के सेना प्रमुख

वहीं 15 जनवरी 1949 को फील्ड मार्शल करियप्पा को भारत का सेना प्रमुख नियुक्त किया गया। इसी दिन इनको कमांडर इन चीफ का पद मिला। इससे पहले इस पद पर अंग्रेजों की नियक्ति होती थी। लेकिन जब ब्रिटिश शासन ने 15 जनवरी 1949 को पहली बार भारतीय सेना को कमान सौंपी, तो उस दौरान करियप्पा सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर तैनात थे। देश की आजादी के बाद करियप्पा ने नरल सर फ्रांसिस बुचर का स्थान लिया और भारतीय सेना के कमांडर-इन-चीफ बने।

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फील्ड मार्शल का पद

साल 1953 में करियप्पा सेना से रिटायर हो गए। जिसके बाद उनको ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में राजदूत बनाया गया। उन्होंने अपने अनुभव के चलते कई देशों की सेनाओं के पुनर्गठन में मदद की। साल 1986 में भारत सरकार द्वारा के एम करियप्पा को 'फील्ड मार्शल' का पद सौंपा गया। रिटायरमेंट के बाद वह कर्नाटक के कोडागू जिले में मदिकेरी में रहने लगे। बता दें कि उनको मेन्शंड इन डिस्पैचेस,  ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर और लीजियन ऑफ मेरिट जैसे अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित किया गया।


पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति से कनेक्शन

देश के बटवारे से पहले केएम करिअप्पा पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख और राष्ट्रपति जनरल अयूब खान के बॉस हुआ करते थे। सेना में रहते हुए अयूब खान ने जनरल करियप्पा के साथ काम किया था। वहीं साल 1965 में जब भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ, तब करियप्पा सेना से रिटायर हो चुके थे। जबकि करियप्पा के बेटे केसी नंदा करियप्पा एयरफोर्स में सेवा दे रहे थे। भारत-पाक युद्ध के दौरान करियप्पा के बेटे केसी नंदा पाकिस्तानी सेना पर कहर बरपा रहे थे। पाक सेना पर गोले बरसाते हुए केसी नंदा दुश्मन देश की सीमा में प्रवेश कर गए और उनका विमान पाक सेना की गोलियों का शिकार हो गया।


करियप्पा ने रखी ऐसी पेशकश

दुश्मन सीमा में नीचे उतरने के बाद पाक सेना ने केसी नंदा को कब्जे में ले लिया। पाक सेना को जब पता चला कि वह के एम करियप्पा के बेटे हैं, तो सेना में खलबली मच गई। फिर इस बात की जानकारी तत्कालीन पाक राष्ट्रपति अयूब खान को दी गई। इसके बाद पाक उच्चायुक्त को पूर्व सेना प्रमुख करियप्पा से बातचीत करने के लिए कहा गया। जब पाक उच्चायुक्त ने पूर्व सेना प्रमुख करियप्पा से बात कर उनके बेटे को छोड़ने की पेशकश की, तो करियप्पा ने कहा कि पाकिस्तान में बंद सभी भारतीय उनके बेटे हैं, यदि उनके बेटे को छोड़ना है, तो सभी भारतीय बंदियों को छोड़ा जाए। हालाँकि बाद में केसी नंदा करियप्पा को पाक सेना ने छोड़ दिया।


निधन

आजाद भारत के पहले फील्ड मार्शल केएम करियप्पा का 15 मई 1993 में 94 साल की उम्र में निधन हो गया था।

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