Navratri Day 5: स्कंदमाता को प्रसन्न करने के लिए पढ़ें ये मंत्र, जानें पूजन विधि

By प्रिया मिश्रा | Apr 05, 2022

नवरात्रि के पाँचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता को देवी जगदम्बा का स्वरूप माना जाता है। स्कंद यानि कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हे स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। धार्मिक पुराणों के अनुसार, कार्तिकेय को जन्म देने के बाद देवी पार्वती का नाम स्कंदमाता पड़ा। यह भी कहा जाता है कि आदिशक्ति जगदम्बा ने बाणासुर के अत्याचार से संसार को मुक्त कराने के लिए अपने तेज से एक बालक को जन्म दिया। 6 मुख वाले सनतकुमार को ही स्कंद कहा जाता है। पुराणों के अनुसार देवताओं और असुरों के बीच युद्ध में कार्तिकेय यानी स्कन्द कुमार देवताओं के सेनापति बने थे और देवताओं को विजय दिलाई थी।

इसे भी पढ़ें: नवरात्रि में भूलकर भी न करें इन चीज़ों का सेवन वरना नाराज़ हो जाएंगी माता रानी

स्कंदमाता सिंह पर सवार हैं और उनकी गोद में सनतकुमार हैं। स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं, जिनमें से दो हाथों में माता कमल पुष्प धारण करती हैं। माता अपने दाएं हाथ से सनतकुमार को पकड़ी रहती हैं और दूसरे दाएं हाथ को अभय मुद्रा में रखती हैं। स्कंदमाता कमल पर विराजमान होती हैं, इसलिए उनको पद्मासना देवी भी कहा जाता है।

 

स्कंदमाता की पूजा विधि

नवरात्रि के पाँचवे दिन सबसे पहले पूजा स्थल पर माता की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें। इसके बाद चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर कलश रखें। इसके बाद माता को धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि अर्पित करें। माता को लाल रंग के पुष्प भी जरूर अर्पित करें। इसके बाद माता के मंत्र का जाप करें और माता की आरती करें।आरती के बाद माता को केले का भोग लगाएं। अब घर के सभी लोगों को प्रसाद बांटें।

इसे भी पढ़ें: नवरात्रि में माता रानी का आशीर्वाद पाने के लिए पढ़ें ये स्तोत्र, श्रीदुर्गा सप्तशती के पाठ के बराबर मिलेगा फल

माता का मंत्र

सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ।।

 

ध्यान मंत्र 

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्वनीम् ।।

धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पंचम दुर्गा त्रिनेत्रम्।

अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम् ।।

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानांलकार भूषिताम्।

मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल धारिणीम् ।।

प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वांधरा कांत कपोला पीन पयोधराम्।

कमनीया लावण्या चारू त्रिवली नितम्बनीम् ।।

 

स्तोत्र पाठ 

नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।

समग्रतत्वसागररमपारपार गहराम् ।।

शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।

ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रीन्तिभास्कराम् ।।

महेन्द्रकश्यपार्चिता सनंतकुमाररसस्तुताम्।

सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलादभुताम् ।।

अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।

मुमुक्षुभिर्विचिन्तता विशेषतत्वमुचिताम् ।।

नानालंकार भूषितां मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।

सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेन्दमारभुषताम् ।।

सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्रकौरिघातिनीम्।

शुभां पुष्पमालिनी सुकर्णकल्पशाखिनीम् ।।

तमोन्धकारयामिनी शिवस्वभाव कामिनीम्।

सहस्त्र्सूर्यराजिका धनज्ज्योगकारिकाम् ।।

सुशुध्द काल कन्दला सुभडवृन्दमजुल्लाम्।

प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरं सतीम् ।।

स्वकर्मकारिणी गति हरिप्रयाच पार्वतीम्।

अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम् ।।

पुनःपुनर्जगद्वितां नमाम्यहं सुरार्चिताम्।

जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवीपाहिमाम् ।।

 

- प्रिया मिश्रा

प्रमुख खबरें

Andhra Pradesh: YS Sharmila का दावा, जगन मोहन रेड्डी को रिमोट से कंट्रोल कर रहे हैं नरेंद्र मोदी

तारक मेहता का उल्टा चश्मा के सोढ़ी लापता होने से पहले थे डिप्रेशन में थे? गोगी ने किया खुलासा

India अगले साल Guwahati में BWF विश्व जूनियर चैंपियनशिप की मेजबानी करेगा

आओ संहिता का अचार डालें (व्यंग्य)