स्वस्थ रहने के लिए शारीरिक व्यायाम जितना जरूरी है, उतना ही आवश्यक है खानपान पर ध्यान देना। आप क्या खाते हैं और कितना खाते हैं, यह दोनों ही बातें बेहद महत्वपूर्ण है। इन्हीं में से एक है मिताहार। यह वास्तव में भोजन की मात्रा से सम्बन्धित योग की एक संकल्पना है। मिताहार का अर्थ है कम खाना। यह दस यमों में से एक है। यह भोजन का एक आवश्यक नियम है। आपने कई बार बड़े बूढों को भी यह कहते हुए सुना होगा कि जितनी भूख हो, उससे अगर थोड़ा कम खाया जाए तो पाचन संबंधी कोई समस्या आपको कभी भी नहीं हो सकती। मिताहार की महत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसकी चर्चा शाण्डिल्य उपनिषद, गीता, दशकुमारचरित तथा हठयोग प्रदीपिका आदि 30 से अधिक ग्रन्थों में हुई है। तो चलिए जानते हैं मिताहार के बारे में−
क्या है मिताहार
मिताहार का वास्तविक अर्थ है भूख से कम खाना। इस पद्धति में लोग आप मसाले व घी का सीमित मात्रा का सेवन कर सकते हैं। मिताहार करने का एक लाभ यह है कि इससे शरीर में हमेशा स्फूर्ति बनी रहती है और व्यक्ति लंबे समय तक खुद को चुस्त व तंदुरूस्त बनाए रख सकता है। यूनान की एक कहावत है कि तलवार से उतने लोग नहीं मरते, जितना अधिक खाकर मरते हैं। इस तरह अगर भोजन व उसकी मात्रा पर संयम रखा जाए तो इससे व्यक्ति स्वस्थ, निरोगी व दीर्घायु रह सकता है।
क्या कहते हैं महान व्यक्ति
मिताहार की विशेषता कई महान ग्रंथों में तो लिखी ही है। साथ ही दुनियाभर के महान व्यक्तियों ने भी इसके महत्व को पहचाना और इसे अपने जीवन में अपनाया। सर विलियम टेम्पिल ने अपने लॉन्ग लाइफ ग्रन्थ में भी बताया है कि यदि अधिक जीना हो तो अपनी खुराक को घटाकर उतनी रखें, जितना आपके पेट को बराबर हल्केपन का अहसास होता रहे।
इसलिए, कभी भी भूख ना लगने पर खाने की गलती ना करें और जब भी भोजन खाएं तो उसमें संयम जरूर बरतें। हमेशा थोड़ा कम खाएं और ताउम्र स्वस्थ रहें।
मिताली जैन