By अनन्या मिश्रा | Nov 09, 2025
आज ही के दिन यानी की 09 नवंबर को देश के 10वें राष्ट्रपति केआर नारायणन का निधन हो गया था। केआर नारायणन देश के पहले दलित राष्ट्रपति थे, लेकिन स्कूली शिक्षा से लेकर लंदन के स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स तक पढ़ाई में कहीं भी उनकी जाति का कोई योगदान नहीं रहा। भारतीय विदेश सेवा से रिटायर्ड होने के बाद केआर नारायणन ने राजनीति में प्रवेश किया। वह केरल से लगातार 3 बार सांसद रहे। वहीं राजीव गांधी की सरकार में नारायणन कैबिनेट मंत्री और फिर उपराष्ट्रपति बने। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर 10वें राष्ट्रपति केआर नारायणन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
केरल के त्रावणकोर जिले में उझानूर गांव में 27 अक्तूबर 1920 को के आर नारायणन का जन्म हुआ था। उन्होंने बेहद कठिन परिस्थितियों में शिक्षा ग्रहण की। उनके पिता का नाम कोचेरिल रमन थे, जोकि वैद्य आयुर्वेदिक चिकित्सक थे। के आर नारायणन बेहद प्रतिभाशाली छात्र थे और पढ़ाई के प्रति उनके लगन को देखकर त्रावणकोर के शाही परिवार ने उन्हें कॉलेज जाने के लिए छात्रवृत्ति दी। उन्होंने कोट्टायम के सीएमएस कॉलेज से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की थी। उन्होंने लंदन से हेरोल्ड लास्की के अधीन रह कर राजनीति विज्ञान का अध्ययन किया।
उन्होंने भारतीय विदेश सेवा से अपने करियर की शुरूआत की। फिर साल 1948 में भारत लौटे। वहीं साल 1949 में उन्होंने भारतीय विदेश सेवा से अपने करियर की शुरुआत की। वह लंदन, रंगून, टोक्यो, कैनबरा और हनोई में दूतावासों में सेवा की। के आर नारायणन की कार्य कौशल की वजह से उनको चीन और तुर्की में भारत के राजदूत के तौर पर नियुक्त किया गया।
अमेरिका में राजदूत एक राजनयिक के रूप में साल 1980 से लेकर 1984 तक केआर नारायणन का करियर शानदार रहा। उन्होंने तुर्की, चीन और थाईलैंड में भारतीय राजदूत के रूप में कार्य किया। उन्होंने विदेश मंत्रालय में सचिव के तौर पर भी काम किया। उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में बतौर प्रोफेसर बच्चों को भी पढ़ाया।
साल 1948 में लोकसभा से राजनीति में केआर नारायणन का राजनीति में प्रवेश हुआ। इस दौरान उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव में हिस्सा लिया। केरल के ओट्टपालम सीट से नारायणन ने जीत हासिल की। केआर नारायणन ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की टिकट पर लगातार तीन बार आम चुनाव में हिस्सा लिया और जीत हासिल की। राजीव गांधी सरकार में वह राज्य मंत्री भी रहे। अपने सियासी सफर में केआर नारायणन ने पीएम इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के प्रशासन में विभिन्न मंत्री पद संभाले।
फिर साल 1992 में केआर नारायणन को भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में चुना गया। इस दौरान देश के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा थे। फिर साल 1997 में केआर नारायणन को भारत के 10वें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। केआर नारायणन इस प्रतिष्ठित पद को ग्रहण करने वाले केरल के पहले व्यक्ति और पहले दलित हैं। हालांकि इस बात में कोई दोराय नहीं कि वह एक कुशल राष्ट्रपति थे। उन्होंने एक कुशल राष्ट्रपति के रूप में राष्ट्रपति भवन की विज्ञप्तियों के जरिए राष्ट्र को अपने पद पर अपने कार्यों को समझाने की प्रथा की शुरुआत की।
उन्होंने भारतीय राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर विभिन्न कार्यों का लेखन और सह-लेखन का कार्य किया। वह अपनी राजनीतिक उपलब्धियों से परे, अपने बौद्धिक कार्यों और निर्णयों के लिए जाने जाते थे। केआर नारायणन एक गहन विचारक होने के साथ सर्वज्ञानी वक्ता भी थे। वह भारतीय और वैश्विक दोनों मामलों की अच्छी और गहरी समझ रखते थे।
वहीं 09 नवंबर 2005 को केआर नारायणन का दिल्ली में निधन हो गया था।