By अनन्या मिश्रा | May 01, 2025
हर साल 01 मई को लेबर दिवस मनाया जाता है। यह दिन मेहनतकश लोगों के संघर्ष और अधिकारों के सम्मान और योगदान को मान्यता देने के लिए बेहद खास दिन है। लेबर डे उन सभी श्रमिकों को समर्पित है, जो कठिन परिश्रम से आम लोगों के जीवन को आसान बनाने का काम करते हैं। इसलिए हर साल श्रमिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजदूर दिवस मनाया जाता है। तो आइए जानते हैं इस दिन का इतिहास और महत्व के बारे में...
इतिहास
बता दें कि साल 1886 में मजदूर दिवस की नींव रखी गई थी। इस दिन को मनाए जाने की मांग अमेरिका के शिकागो शहर में उठी थी। इस साल मजदूर वर्ग अपने अधिकार और सम्मान की लड़ाई के लिए सड़कों पर उतर आए थे। जिसके बाद पहली बार साल 1889 में मजदूर दिवस मनाए जाने का फैसला लिया गया। दरअसल, साल 1886 में सबसे पहले अमेरिका में कार्य अवधि को लेकर आंदोलन किया था, क्योंकि उस समय मजदूर 15-15 घंटे तक काम किया करते थे। तब मजदूरों पर पुलिस ने गोलियां चलाईं, जिसमें कई श्रमिकों की जान चली गई और कई घायल हो गए थे।
कार्य अवधि कम करने की मांग
इस घटना के करीब तीन साल बाद यानी की साल 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस सम्मेलन में हर मजदूर की रोजाना की कार्य अवधि 8 घंटे तय कर दी गई। फिर 01 मई को मजदूर दिवस मनाए जाने का फैसला लिया गया। वहीं बाद में दूसरे देशों में भी अमेरिकी मजदूरों की तरह ही श्रमिकों के लिए 8 घंटे काम करने का नियम लागू कर दिया गया।
ऐसे हुई भारत में मजदूर दिवस की शुरूआत
साल 1923 में पहली बार भारत में मजदूर दिवस मनाया गया था। इस दिन की शुरूआत चेन्नई में कम्युनिस्ट नेता सिंगारवेलु चेट्टियार ने की थी। सिंगारवेलु चेट्टियार ने मजदूरों के अधिकारों और हक की मांग को लेकर मद्रास हाईकोर्ट के सामने पहली बार मजदूर दिवस की सभा का आयोजन किया था।