Shankhpal Kaal Sarp Dosh: शंखपाल कालसर्प दोष लगने पर नरक हो जाती है जिंदगी, जरूर करें ये उपाय

By अनन्या मिश्रा | Jan 17, 2025

हिंदू धर्म में ज्योतिष शास्त्र का विशेष महत्व होता है। व्यक्ति विशेष के भविष्य की जानकारी के लिए ज्योतिष के जानकार कुंडली देखते हैं। कुंडली के जरिए व्यक्ति के कारोबार, सेहत, करियर, रोजगार, विवाह और प्रेम आदि के बारे में जानकारी मिलती है। ज्योतिषियों की मानें, तो कुंडली में मौजूद शुभ और अशुभ ग्रहों की युति से कई दोष बनते हैं। इन्हीं में से एक दोष कालसर्प दोष है। जिस भी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उसको अपने जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको शंखपाल कालसर्प दोष के बारे में बताने जा रहे हैं।


कब लगता है ये दोष

बता दें कि मायावी ग्रह राहु के चौथे भाव में होने और केतु के 10वें भाव में होने पर जातक की कुंडली में शंखपाल कालसर्प दोष लगता है। इस दौरान कुंडली के अन्य ग्रहों का भी विचार किया जाता है। राहु और केतु के बीच सभी शुभ और अशुभ ग्रहों के रहने से व्यक्ति शंखपाल कालसर्प दोष से पीड़ित होता है। ऐसे में कुंडली में इस दोष के निवारण के लिए ज्योतिष से सलाह जरूर लें।

इसे भी पढ़ें: Love Horoscope For 21 January 2025 | आज का प्रेम राशिफल 21 जनवरी | प्रेमियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन


शंखपाल कालसर्प दोष के प्रभाव

शंखपाल कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति के विवाह में देरी होती है और कई मौके पर आधी उम्र तक शादी नहीं हो पाती है। वहीं अगर जातक की शादी हो भी जाए, तो वैवाहिक जीवन में परेशानियां आती हैं। इसके साथ ही व्यक्ति को मानसिक तनाव की समस्या होती है।


उपाय

ज्योतिष की मानें, तो शंखपाल कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति हर सोमवार के दिन स्नान आदिकर विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें। इसके बाद भोलेनाथ का अभिषेक करें और महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। हर सोमवार को दान जरूर करें। वहीं समय मिलने पर इस दोष का निवारण जरूर कराएं।


शिव मंत्र 

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥


नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं।।


ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥


ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।


सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।

उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥

परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।

सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥

वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।

हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥

एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।।

प्रमुख खबरें

Delhi Airport पर IndiGo का ऑपरेशनल संकट जारी, यात्रियों की बेबसी पर एयरपोर्ट बोला- धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है परिचालन सब्र रखें

Delhi की वायु गुणवत्ता बेहद खराब, मौसम का अब तक का सबसे ठंडा दिन

Jharkhand में नड्डा ने पार्टी नेताओं के साथ बंद कमरे में बैठक की

UP में Bangladeshi और Rohingya घुसपैठियों के खिलाफ सख्त अभियान शुरू