कश्मीर में स्थानीय युवक बन रहे आतंकी, घाटी में ही ले रहे ट्रेनिंग

By सुरेश डुग्गर | Aug 06, 2018

कश्मीर में आतंकवाद निपट रहे सुरक्षा बलों के होश फाख्ता होने लगे हैं। कारण मुठभेड़ों में मारे जाने वाले अधिकतर आतंकी अब विदेशी नहीं बल्कि स्थानीय युवक हैं। अभी तक मरने वाले विदेशी और स्थानीय नागरिकों का अनुपात 10-1 का होता था जो अब 2-10 में बदल गया है। यही नहीं इससे भी अधिक चिंता का विषय यह है कि यह स्थानीय आतंकी कश्मीर के भीतर ही स्थापित किए जाने वाले ट्रेनिंग कैम्पों में प्रशिक्षण पाने लगे हैं जिन्हें अभी तक तलाश ही नहीं किया जा सका है।

 

इस साल पहली जनवरी से लेकर अभी तक मारे गए 121 के करीब आतंकियों में 100 स्थानीय नागरिक थे। पिछले साल में मरने वाले 218 में से 110 विदेशी नागरिक थे और दोनों की मौतों में अंतर यह था कि इस बार सारे कश्मीर के भीतर मारे गए हैं और पिछले साल मरने वालों को एलओसी पर ढेर किया गया था।

 

अधिकारी इसे चिंताजनक स्थिति निरूपित करते थे। पिछले कई सालों से आतंकवाद विरोधी अभियानों में लिप्त एक सुरक्षधिकारी के बकौल: ‘स्थानीय आतंकियों का आतंकवाद की ओर आकर्षण कश्मीर को 1990 की स्थिति में ले जाएगा और अगर ऐसा हुआ तो कश्मीर को फिर संभाल पाना बहुत कठिन होगा।’

 

वर्ष 2016 में 8 जुलाई को हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी कमांडर और पोस्टर ब्वॉय के रूप में प्रसिद्ध बुरहान वानी की मौत के बाद ही कश्मीरी युवाओं का रूख आतंकवाद की ओर तेजी से हुआ है। आधिकारिक आंकड़ा आप कहता है कि बुरहान वानी की मौत के बाद 490 से अधिक युवा आतंकवादियों के साथ हो लिए। यह इससे भी साबित होता है कि बुरहान की मौत के बाद मरने वाले स्थानीय आतंकियों का आतंकवाद के साथ जुड़ाव तीन दिन से लेकर 60 दिन तक का था।

 

यह क्रम रूका नहीं है। रोकने की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं। सुरक्षाधिकारी सिर्फ अभिभावकों को समझाने के सिवाय कुछ नहीं कर पा रहे हैं। पत्थरबाजों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। इतना जरूर था कि कश्मीरी आरोप लगाते थे कि सुरक्षा बलों के कथित अत्याचारों के कारण ही कश्मीरी युवा बंदूक उठाने को मजबूर हो रहे हैं।

 

स्थानीय युवाओं का आतंकवाद की ओर बढ़ता आकर्षण पहले ही से सुरक्षा बलों के लिए चिंता का विषय बना हुआ था और अब यह जानकारियां सामने आने के बाद उनकी परेशानी और बढ़ गई है कि स्थानीय युवा प्रशिक्षण की खातिर सीमा पार नहीं जा रहे हैं।

 

उन्हें पुराने आतंकियों द्वारा कश्मीर के भीतर ही ट्रेनिंग दी जा रही है। उन्हें सबसे पहले पुलिसवालों के हथियार छीनने का काम सौंपा जा रहा है। अधिकारियों ने माना है कि पुलिसकर्मियों से हथियार छीनने की अधिकतर घटनाओं में स्थानीय युवाओं का ही हाथ पाया गया है। ऐसा वे इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि सीमाओं पर सख्ती के कारण हथियारों की खेपें आनी लगभग रूक सी गई हैं।

 

-सुरेश डुग्गर

प्रमुख खबरें

SRH vs LSG: लखनऊ के खिलाफ सनराइजर्स हैदराबाद ने 58 गेंदों में चेज किया 166 रनों का टारगेट, ट्रेविस हेड और अभिषेक शर्मा की बेहतरीन पारी

Aurangabad और Osmanabad का नाम बदलने पर अदालत के फैसले का मुख्यमंत्री Shinde ने किया स्वागत

तीन साल में पहली बार घरेलू प्रतियोगिता में भाग लेंगे Neeraj Chopra, Bhubaneswar में होगा आयोजन

Israel ने Gaza में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए एक अहम क्रॉसिंग को फिर से खोला