Maharashtra: क्या मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं अजित पवार? DY CM ने दिया यह जवाब

By अंकित सिंह | Sep 25, 2023

महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा है कि वह राकांपा चुनाव चिह्न की लड़ाई पर चुनाव आयोग के अंतिम फैसले को तब स्वीकार करेंगे जब शीर्ष चुनाव निकाय 6 अक्टूबर को दोनों गुटों की दलीलें सुनेगा। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष चुनाव आयोग के समक्ष अपने विचार रखेंगे और वह अंतिम निर्णय स्वीकार करेंगे। इससे एक सप्ताह पहले चुनाव आयोग ने शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट की इस दलील को मानने से इनकार कर दिया था कि एनसीपी में कोई विभाजन नहीं है और दोनों पक्षों को 6 अक्टूबर को सुनवाई के लिए बुलाया गया था। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ही अंतिम फैसला सुनाएगा...तारीखें मिलने के बाद दोनों पक्षों की ओर से चुनाव आयोग के समक्ष पक्ष रखा जाएगा...उसके बाद जो अंतिम फैसला आएगा उसे मैं स्वीकार करूंगा। 

 

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सीएम बनने के बारे में पूछे जाने पर महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री (एनसीपी) अजित पवार ने कहा कि इस खबर में कोई सच्चाई नहीं है...मैं केवल विकास के बारे में सोचता हूं। राज्य में मुस्लिम आरक्षण पर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम (एनसीपी) अजित पवार का कहा कि पहले जब आरक्षण दिया गया था तो कोर्ट ने शिक्षा में आरक्षण की इजाजत दी थी, लेकिन रोजगार में नहीं... ये तीन पार्टियों की सरकार है. .. इसलिए मैं इस मुद्दे को सीएम और डिप्टी सीएम के सामने रखूंगा और हम इसका समाधान निकालने की कोशिश करेंगे। एक नाटकीय घटनाक्रम में एनसीपी के भीतर सभी को चौंकाते हुए अजित पवार शिवसेना (एकनाथ शिंदे)-बीजेपी गठबंधन में शामिल हो गए थे। उन्होंने पार्टी के प्रमुख नेताओं को अपने साथ लिया और महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गये।

 

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उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया जबकि कई अन्य को राज्य मंत्रिमंडल में जगह दी गई। जूनियर पवार लगातार कहते रहे कि पार्टी में कोई विभाजन नहीं है और शरद पवार इसके अध्यक्ष बने रहेंगे। हालाँकि, उन्होंने पोल पैनल का रुख किया और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नाम और प्रतीक की मांग करते हुए विधायकों और सांसदों के हलफनामे दायर किए। इससे पहले एनसीपी के वरिष्ठ नेता शरद पवार ने कहा था कि अजित पवार अभी भी पार्टी के नेता हैं। पवार ने यह भी दावा किया कि एनसीपी में कोई फूट नहीं है। वरिष्ठ पवार की यह टिप्पणी कांग्रेस के इस दावे के बाद आई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजित पवार को इस शर्त पर मुख्यमंत्री पद की पेशकश की थी कि वह राकांपा प्रमुख शरद पवार से शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट)-भाजपा गठबंधन को समर्थन दिलाएंगे।

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