शशि कपूर के साथ अभिनय करने वाली अभिनेत्रियां शोकसभा में शामिल हुईं

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 08, 2017

मुम्बई। मशहूर अभिनेता शशि कपूर की फिल्मों में मुख्य महिला किरदार निभाने वाली वहीदा रहमान, रेखा और हेमामालिनी जैसी अभिनेत्रियों समेत बॉलीवुड की कई जानी मानी हस्तियां आज यहां उनकी शोकसभा में शामिल हुईं। शशि कपूर (79) का चार दिसंबर को देहांत हो गया था। अभिनेता का ‘चौथा’ यहां पृथ्वी थियेटर में हुआ जिसे अपने पिता पृथ्वीराज कपूर की याद में उन्होंने और उनकी पत्नी जेनिफर कपूर बनवाया था। ‘नमक हलाल’, ‘कभी कभी’ में काम करने वाली वहीदा ने रेखा, हेमामालिनी और सिमी ग्रेवाल के साथ शोकसभा में हिस्सा लिया।

रेखा ने ‘सिलसिला’ और ‘उत्सव’ फिल्मों में शशि कपूर के साथ अभिनय किया था। हेमामालिनी ‘त्रिशूल’ और ‘क्रांति’ फिल्मों में शशिकपूर के साथ थीं। सिमी ग्रेवाल ‘सिद्धार्थ’ फिल्म में शशि के साथ रुपहले पर्दे पर थीं। शशि के साथ ‘त्रिशूल’ में नजर आने वालीं पूनम ढिल्लों, ‘अजूबा’ में उनके साथ नजर आने वालीं डिंपल कपाड़िया और ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ फिल्म में उनके साथ दिखने वालीं पद्मिनी कोल्हापुरी भी शोकसभा में शामिल हुईं। थियेटर के अंदर शोकसभा में शशि कपूर का फोटो रखा था और उसके सामने लोगों ने मोमबत्तियां जलायीं। पीछे एक मोंटाज था जिस पर उनके लोकप्रिय दृश्य थे।

कृष्णा राज, नीतू रणधीर, बबीता, करिश्मा, राजीव, अरमान और आदर समेत कपूर परिवार के सदस्य एकसाथ बैठे थे। उन सभी के अलावा गुलजार, कबीर बेदी, राकेश रौशन, जितेंद्र, रमेश शिप्पी, प्रेम चोपड़ा, नसीरुद्दीन शाह, रतन पाठक शाह, सुभाष घई, संजय खान और आशा भोंसले समेत बॉलीवुद्ध के कई दिग्गज भी मौजूद थे। इस दौरान रानी मुखर्जी, रोहन सिप्पी, मिलन लुथरा, चंकी पांडे, नंदिता दास, कुणाम खेमू, सोहा अली खान, आशुतोष गोवारिकर, किरण राच, अब्बास मस्तान, सुनील शेट्टी, मधुर भंडारकर, अभिजीत जोशी, विधु विनोद चोपड़ा, रोनित रॉय, उदित नारायण, रमेश तौरानी, विपुल शाह, सोनाली कुलकर्णी, हंसल मेहता, जोया अख्तर, सुधीर मिश्रा आदि भी थे।

सन् 1938 में 18 मार्च को जन्मे शशि कपूर चार साल की उम्र में ही अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के नाटकों में अभिनय कर सुर्खियों में आ गये थे। उन्होंने 40 के दशक में बाल कलाकार के रूप में काम करना शुरू कर दिया था । बतौर अभिनेता उनका लंबा करियर रहा। उनकी यादगार फिल्में ‘दीवार’, ‘कभी कभी’, ‘नमक हलाल’ और ‘काला पत्थर’ आदि हैं। उन्हें 2011 में पद्मभूषण और 2015 में प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिला था।

 

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