By अनन्या मिश्रा | Nov 04, 2025
बिहार की सियासत में गयाजी जिले का इमामगंज हमेशा से अपनी एक विशेष पहचान रखता आया है। इमामगंज सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र नहीं बल्कि यह वो इलाका है, जहां पर जंगल, पहाड़ और ऐतिहासिक विद्रोह की कहानियां गूंजती हैं। राजनीतिक दृष्टिकोण से इमामगंज विधानसभा सीट पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी का मजबूत गढ़ मानी जाती है। इस सीट पर दूसरे चरण में 11 नवंबर को वोटिंग होगी। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
इमामगंज विधानसभा सीट से एनडीए के घटक दल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की दीपा मांझी चुनावी रण में उतरी हैं। दीपा मांझी, जीतन राम मांझी की बहू हैं। तो वहीं राष्ट्रीय जनता दल ने इस सीट से रितु प्रिया चौधरी पर भरोसा जताया है। वहीं प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाते हुए यहां से अजीत कुमार को चुनावी मैदान में उतारा है। ऐसे में इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है।
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के जीतन राम मांझी ने इस सीट से जीत हासिल की थी। इस दौरान उन्होंने आरजेडी के उदय नारायण चौधरी को करारी शिकस्त दी थी। वहीं जब जीतन राम मांझी सांसद बने तो इमामगंज सीट पर उपचुनाव हुए, जिसमें जीतनराम मांझी की बहू दीपा मांझी ने जीत हासिल कर 'हम' पार्टी का परचम लहराया था।
इससे पहले यानी की साल 2015 के विधानसभा चुनाव में पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने उदय नारायण चौधरी को मात देकर इस सीट को अपने नाम किया था। साल 2015 से पहले उदय नारायण इस सीट से पांच बार चुनाव जीत चुके थे। साल 2015 से इस सीट पर मांझी का दबदबा बना हुआ है।
2015 में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने उदय नारायण चौधरी को हराकर चौधरी के लिए अजेय समझी जाने वाले इस सीट को अपने नाम कर लिया था। क्योंकि इससे पहले उदय नारायण चौधरी इस सीट से पांच बार चुनाव जीत चुके थे। लेकिन इस सिलसिले को जीतन राम मांझी ने तोड़ा और उदय नरायण चौधरी को करीब 30 हजार वोटों से हराया था। इसके बाद से इस सीट पर उनका ही दबदबा बना हुआ है।