मैरीकाम सहित चार भारतीय मुक्केबाज सेमीफाइनल में, चार पदक पक्के

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 21, 2018

नयी दिल्ली। पांच बार की चैम्पियन एमसी मैरीकाम (48 किग्रा) सहित चार भारतीय मुक्केबाजों ने चल रही दसवीं एआईबीए महिला विश्व चैम्पियनिशप के सेमीफाइनल में प्रवेश कर कांस्य पदक पक्के किये। मैरीकाम के अलावा लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा), सोनिया (57 किग्रा) सिमरनजीत कौर (64 किग्रा) ने अंतिम चार में प्रवेश किया। इससे भारत का विश्व चैम्पियनशिप में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2006 की मेजबानी में ही रहेगा जिसमें देश ने चार स्वर्ण, एक रजत और तीन कांस्य से कुल आठ पदक अपनी झोली में डाले थे।केडी जाधव हाल में रिंग में उतरीं चार भारतीय मुक्केबाज दुर्भाग्यशाली रही। युवा मुक्केबाज मनीषा मौन (54 किग्रा) को 2016 विश्व चैम्पयनिशप की रजत पदक विजेता स्टोयका पैट्रोवा से 1–4 से, भाग्यवती काचरी (81 किग्रा) को कोलंबिया की जेसिका पी सी सिनिस्टरा से 2–3 से, तीसरी विश्व चैम्पियनशिप में हिस्सा ले रही पिंकी रानी (51 किग्रा) को जकार्ता एशियाई खेलों की रजत पदकधारी उत्तर कोरियाई चोल मि पांग से 0–5 से जबकि सीमा पूनिया (81 किग्रा से अधिक) को पिछली दो बार की विश्व चैम्पियन चीन की यांग जियोली से 0–5 से पराजय का मुंह देखना पड़ा।वर्ष 2006 की विश्व चैम्पियन एल सरिता देवी और साविटी बूरा पहले ही टूर्नामेंट से बाहर हो गयी थीं। पांच बार की विश्व चैम्पियन मैरीकाम ने दिन की शुरूआत क्वार्टरफाइनल में चीन की यू वु पर 5-0 की शानदार जीत से की, अब वह गुरुवार को उत्तर कोरिया की हयांग मि किम से भिड़ेंगी जिन्हें उन्होंने पिछले साल एशियाई चैम्पियनशिप के फाइनल में हराया था। पांचों जजों ने उन्हें 30-27 29-28 30-27 29-28 30-27 अंक दिये।

 

लंदन ओलंपिक की कांस्य पदकधारी मैरीकाम ने अपने चिर परिचित अंदाज में खेलते हुए चीनी मुक्केबाज को टूर्नामेंट से बाहर का रास्ता दिखाया। उनके दायें बायें हाथ से लगाये गये मजबूत मुक्कों का यू वु के पास कोई जवाब नहीं था। असम की 21 साल की लवलीना ने तेज तर्रार मुक्कों से आस्ट्रेलिया की 34 साल की काये फ्रांसेस स्कॉट को 5–0 से पस्त किया और अंतिम चार में 22 नवंबर को चीनी ताइपे की चेन निएन चिन के सामने होंगी। पांचों जज ने 30-27 29-28 30-27 30-27 30-27 अंक प्रदान किये।हरियाणा की सोनिया ने फेदरवेट के अंतिम आठ मुकाबले में कोलंबिया की येनी एम कास्टेनाडा को 4–1 से हराकर अपना पदक पक्का किया। कोलंबियाई मुक्केबाज की लंबाई थोड़ी कम थी जिससे सोनिया ने दूर से कवर करते हुए पंच जमाये। अब वह फाइनल में प्रवेश करने के लिये 23 नवंबर को उत्तर कोरिया की सोन ह्वा जो से भिड़ेंगी।सिमरनजीत के लिये लाइट वेल्टरवेट का क्वार्टरफाइनल काफी अहम था क्योंकि इससे उनका पदक पक्का होता जिसे वह अपने पिता को समर्पित करना चाहती थीं। जीत के मजबूत जज्बे से रिंग में उतरी सिमरजीत ने आयरलैंड की एमी सारा ब्राडहर्स्ट को 3–1 से हराकर कांस्य पदक सुनिश्चित किया। अब वह 23 नवंबर को चीन की डान डोऊ के खिलाफ उतरेंगी।

 

विश्व चैम्पियनिशप में छह पदक जीत चुकी मैरीकाम आत्ममुग्ध होने से बचना चाहती हैं और एक बार में एक ही मुकाबले पर ध्यान लगा रही हैं। उन्होंने मुकाबले के बाद कहा, ‘‘यह काफी कठिन भी नहीं थी और आसान भी नहीं थी। मैं रिंग में ध्यान भंग नहीं होने देती, जिससे फायदा मिलता है। मैं उसे देखकर उसके खिलाफ खेल रही थी। चीन की मुक्केबाज काफी मजबूत हैं, लेकिन उसके खिलाफ यह मेरा पहला मुकाबला था।अगले मुकाबले के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘अब मैं पदक दौर में प्रवेश कर चुकी हूं। एशियाई चैम्पियनशिप में मैंने उसको हराया था। अभी सेमीफाइनल में लडना है, अति आत्मविश्वास से नहीं खेलना। उसकी वीडियो का आकलन किया था, उसी के हिसाब से खेलूंगी। ’’।लवलीना के लिये यह शानदार उपलब्धि है, जिन्होंने अपनी पहली विश्व चैम्पयनशिप में पदक पक्का कर लिया है, लेकिन वह स्वर्ण पदक से कम पर संतोष नहीं करना चाहती।उनके खिलाफ उतरीं आस्ट्रेलियाई मुक्केबाज ने ओलंपिक में पदक जीतने की मुहिम के अंतर्गत दो वजन वर्ग कम किये हैं। वह अस्ताना में 2016 में हुई विश्व चैम्पियनशिप में 81 किग्रा में रजत पदक जीत चुकी हैं और वेल्टरवेट में उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में अपने देश में कांस्य पदक जीता था।

 

लवलीना ने कहा, ‘‘जो रणनीति बनायी थी, वैसा ही किया। खुश हूं, लेकिन मुझे स्वर्ण पदक जीतना है। ताइपे की खिलाड़ी के खिलाफ मेरी सेमीफाइनल बाउट है, उसके हिसाब से रणनीति बनानी होंगी। मैं उससे पहले खेल चुकी हूं, लेकिन मैं हार गयी थी। तब मैंने शुरूआत की थी और मुक्केबाजी में इतनी अच्छी नहीं थी। ’’।सिमरनजीत को पांचों जज से 27 -29 28 – 28 29 -27 30 – 26 29 – 27 अंक मिले। बायें हाथ से मजबूत प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ पहले दौर में भारतीय मुक्केबाज को थोड़ी मुश्किल हुई लेकिन फिर उन्होंने दिमाग से खेलते हुए पंच लगाये जो अंक जुटाने के लिहाज से सही जगह लगे जिससे वह पदक पक्का कर सकीं। सोनिया को पांच में चार जज ने 30 – 27 जबकि एक से 28 – 29 अंक मिले, जिससे नतीजा 4 – 1 रहा।दोपहर के सत्र में दूसरी भारतीय मनीषा रिंग में उतरी। शीर्ष वरीय के खिलाफ कहीं न कहीं अनुभव की कमी महसूस हुई। मनीषा की यह सीनियर में पहली बड़ी चैम्पियनशिप थी, लेकिन उनका मानना है कि यह अनुभव उनके लिये बहुत काम आयेगा।बुल्गारिया की मुक्केबाज ने शुरू से मनीषा को दबाव में रखा और कुछ बेहतरीन पंच से उन्हें कोई मौका नहीं दिया। बैंथमवेट मुक्केबाज मनीषा को शुरू से ड्रा में कड़े मुकाबले खेलने पडे। उन्होंने पहले दौर में विश्व चैम्पियनशिप की कांस्य पदकधारी अमेरिका की अनुभवी क्रिस्टीना क्रूज को, फिर मौजूदा विश्व चैम्पियन कजाखस्तान की डिना जोलामैन को मात दी थी लेकिन आज वह जीत हासिल नहीं कर सकीं।पिंकी कई बार राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के ट्रायल में अनुभवी मुक्केबाजों को पराजित कर चुकी हैं, लेकिन आज उत्तर कोरियाई मुक्केबाज की फुर्ती के आगे उनकी सूझबूझभरी रणनीति कमतर रह गयी। 

 

उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित रूप से वह लंबी थी, तेज तर्रार थी और फुटवर्क बहुत अच्छा था। लंबी होने के कारण वह लंबी रेंज से खेल रही थी, वह ज्यादा पकड़ भी रही थी। मुझे नीचे से पंच लगाने थे, लेकिन उसने मौका नहीं दिया। पर फिर भी मेरे हिसाब से फैसला 3 – 2 होना चाहिए था। ’’।भाग्यवती को पहले राउंड में थोडा धीमे रहने का नुकसान हुआ और वह अगले दोनों राउंड में इसकी भरपायी नहीं सकीं।दिन की अंतिम बाउट में सीमा पूनिया रिंग पर उतरी लेकिन दो बार की विश्व चैम्पियन यांग जियोली के सामने उन्हें जरा भी मौका नहीं मिला।वहीं फिनलैंड की शीर्ष वरीय और ओलंपिक की कांस्य पदकधारी मीरा पोटकोनेन को उलटफेर का सामना करना पड़ा। वह थाईलैंड की सुदापोर्न सीसोन्दी से 1-4 से हार गयीं। इटली की शीर्ष वरीय एलेसिया मेसियानोको भी 57 किग्रा में नीदरलैंड की मेमिमा बेट्रियन से 0 – 4 से उलटफेर का शिकार हो गई।

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