मोदी सरकार 2024 के आम चुनावों से पहले वाहवाही लूटने के लिए महिला आरक्षण विधेयक लाई: कांग्रेस नेता

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 25, 2023

कांग्रेस नेता रजनी पाटिल ने सोमवार को दावा किया कि केंद्र की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार 2024 के आम चुनावों से पहले महिला कार्ड खेलने के लिए संसद में महिला आरक्षण विधेयक लेकर आई। महाराष्ट्र से कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य पाटिल ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि विधेयक से महिलाओं को कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि केंद्र ने एक शर्त जोड़ी है कि यह जनगणना और संसदीय एवं विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के बाद ही लागू होगा। पाटिल ने कहा, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 2014 में सत्ता में आई, लेकिन इस विधेयक को लाने में उसे नौ साल लग गए। जब हमारे नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने क्रमशः 2016 और 2018 में प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्रों के माध्यम से इस विधेयक को जल्द से जल्द लाने का आग्रह किया था, तो उन्होंने ध्यान नहीं दिया।

उन्होंने दावा किया कि अब जब चुनाव नजदीक आ रहे हैं और भाजपा को हार का सामना करना पड़ रहा है, तो उन्होंने यह विधेयक लाकर महिला कार्ड खेला है। जम्मू, कश्मीर और लद्दाख से जुड़े मामलों के लिए एआईसीसी प्रभारी पाटिल ने कहा कि यह विधेयक हाल ही में कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों के समर्थन से संसद के दोनों सदनों में पारित किया गया था। पाटिल सोमवार को 21 शहरों में संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर महिला आरक्षण के मुद्दे पर मोदी सरकार को बेनकाब करने की कांग्रेस की अखिल भारतीय कवायद के तहत यहां आई थीं। उन्होंने कहा, भाजपा सरकार ने शर्त रखी है कि यह विधेयक जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया के बाद लागू होगा। इसे 2011 की जनगणना के आधार पर क्यों नहीं लागू किया जाए?

ऐसा लगता है कि भाजपा सिर्फ वाहवाही लूटने के लिए यह विधेयक लेकर आई है, क्योंकि अगली जनगणना कराने के बारे में सरकार की ओर से अभी तक कोई बयान नहीं आया है। जब तक ऐसा नहीं होगा, तब तक सीटों का परिसीमन भी नहीं होगा। जाति आधारित जनगणना कराने के कांग्रेस के रुख को दोहराते हुए पाटिल ने इस 33 फीसदी आरक्षण में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के साथ-साथ एससी/एसटी (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति) कोटा भी देने की मांग की। उन्होंने दावा किया कि यह कांग्रेस ही थी, जो महिलाओं को आरक्षण देकर राजनीति में उनकी भागीदारी बढ़ाने का विचार लेकर आई थी।

पाटिल ने कहा कि राजीव गांधी, एचडी देवेगौड़ा और मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली पिछली सरकारें 1989 से 2010 के बीच इस विधेयक को लेकर आई थीं, लेकिन यह सभी बाधाओं को दूर नहीं कर सका था।उन्होंने दावा किया, वर्ष 1989 में जब राजीव गांधी की सरकार यह विधेयक लेकर आई, तब यह राज्यसभा में सात मतों से गिर गया था। लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी और राम जेठमलानी जैसे भाजपा नेता उन सात राज्यसभा सदस्यों में शामिल थे, जिन्होंने इस विधेयक को गिराने में बड़ी भूमिका निभाई थी।

प्रमुख खबरें

New Year पर सुरक्षा का फुलप्रूफ प्लान, दिल्ली पुलिस ने CP में की मॉक ड्रिल

Changing Face of Terror | लोन वुल्फ से हाइब्रिड वार तक: आतंक की नई शक्ल | Teh Tak Chapter 1

कुकर की ढीली रबर से लीक हो रही गैस? 10 मिनट में पाएं समाधान, जानें आसान घरेलू नुस्खा

PM Modi ने 2025 को बताया नागरिक-केंद्रित सुधारों का महावर्ष, बोले- रिफॉर्म एक्सप्रेस पर सवार भारत