By नीरज कुमार दुबे | Aug 18, 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ की घोषणा की जोकि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा रणनीति में एक बड़ा मील का पत्थर माना जा रहा है। पाकिस्तान के साथ हालिया सीमा-पार सैन्य झड़पों के महज़ तीन महीने बाद आया यह ऐलान दर्शाता है कि भारत अपनी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर न केवल गंभीर है, बल्कि आने वाले दशकों के लिए दीर्घकालिक तैयारी भी कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा था कि 2035 तक देश के सभी महत्त्वपूर्ण स्थल— रणनीतिक क्षेत्र, अस्पताल, रेलवे स्टेशन और धार्मिक स्थल, इस सुरक्षा कवच के दायरे में लाए जाएँगे। यह कवच पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित होगा और समय के साथ इसे मजबूत, विस्तारित और आधुनिक किया जाएगा। हम आपको बता दें कि मिशन सुदर्शन चक्र को इजराइल के ‘आयरन डोम’ और अमेरिका के प्रस्तावित ‘गोल्डन डोम’ जैसी मिसाइल रक्षा प्रणाली के समकक्ष माना जा रहा है। फर्क यह है कि इजराइल एक छोटा देश है जबकि भारत को बहुत बड़े क्षेत्र को सुरक्षा कवच में लेना होगा। इसके लिए बहु-स्तरीय एयर और मिसाइल डिफेंस नेटवर्क, अर्ली वॉर्निंग और ट्रैकिंग सेंसर, भूमि और समुद्र आधारित इंटरसेप्टर मिसाइलें और अंतरिक्ष संसाधनों का प्रभावी उपयोग किया जायेगा।
हम आपको याद दिला दें कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया था कि यह प्रणाली केवल शत्रु के हमलों को विफल नहीं करेगी बल्कि कई गुना ज़्यादा ताक़त से जवाबी कार्रवाई भी करेगी। इससे संकेत मिलता है कि भारत अपने पारंपरिक (गैर-परमाणु) शस्त्रागार में और विस्तार करने जा रहा है। इसके तहत 500 किमी रेंज की ‘प्रलय’ क्वासी-बैलिस्टिक मिसाइल, 1000 किमी रेंज की लैंड अटैक क्रूज़ मिसाइल और ब्रह्मोस की मारक क्षमता 450 किमी से बढ़ाकर 800 किमी करने जैसे ठोस कदम उठाये जा रहे हैं।
हम आपको याद दिला दें कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस प्रणाली ने तुर्की ड्रोन और चीनी मिसाइलों को विफल किया था। भारतीय वायुसेना प्रमुख एपी सिंह के अनुसार, रूसी मूल की S-400 प्रणाली ने पाकिस्तान के पाँच लड़ाकू विमान और एक विशेष मिशन विमान (300 किमी दूरी से) मार गिराया था। ये उपलब्धियाँ मिशन सुदर्शन चक्र की दिशा में आत्मविश्वास बढ़ाने वाली हैं।
बताया जा रहा है कि इस मिशन को डीआरडीओ के महत्त्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ‘कुशा’ से भी जोड़ा जा रहा है। यह प्रणाली 150, 250 और 350 किमी रेंज तक दुश्मन के लक्ष्यों को भेद सकेगी। इसका पहला चरण 2028-29 तक तैयार होने की उम्मीद है। साथ ही, स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) प्रणाली भी तैनाती के लिए तैयार की जा सकती है जो 2000 किमी तक की दुश्मन मिसाइलों को धरती के अंदर (एंडो) और बाहर (एक्सो) दोनों परतों में नष्ट करने की क्षमता रखती है। हम आपको याद दिला दें कि पिछले वर्ष भारत ने 5000 किमी रेंज वाली परमाणु-सक्षम दुश्मन मिसाइल को भी इंटरसेप्ट कर सफल परीक्षण किया था।
देखा जाये तो यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर भारत की परियोजनाओं को नष्ट करने और परमाणु युद्ध की धमकी दे रहे थे। दूसरी ओर, चीन लगातार अपनी मिसाइल और ड्रोन क्षमताओं का विस्तार कर रहा है। ऐसे माहौल में मिशन सुदर्शन चक्र केवल भारत के लिए सुरक्षा कवच ही नहीं, बल्कि रणनीतिक संदेश भी है कि भारत अब अपनी सीमाओं और नागरिक ढाँचों की सुरक्षा के लिए पूर्णत: आत्मनिर्भर और आक्रामक रक्षा नीति की ओर बढ़ रहा है।
बहरहाल, ‘मिशन सुदर्शन चक्र’ भारत की रक्षा रणनीति में एक निर्णायक कदम है। यह न केवल जनता में सुरक्षा का भरोसा जगाता है, बल्कि दुनिया को यह संकेत भी देता है कि भारत भविष्य के युद्ध परिदृश्यों के लिए तैयार है। जिस प्रकार महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण का सुदर्शन चक्र शत्रु के लिए अजेय था, उसी प्रकार यह मिशन आने वाले समय में भारत की सुरक्षा का अटूट प्रतीक बन सकता है।
-नीरज कुमार दुबे