2000 के नोट वापस लेना उचित कदम, कालेधन पर नियंत्रण के लिए और कदम उठाये जाएंः मगनभाई पटेल

By प्रभासाक्षी ब्यूरो | Jun 08, 2023

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा हाल ही में 2000 रुपये के नोट को वापस लेने के लिए उठाए गए कदम का ऑल इंडिया एमएसएमई फेडरेशन ने स्वागत किया है। फेडरेशन का कहना है कि साल 2016 में जब देश में नोटबंदी हुई तो देश के कुछ लोगों ने अपने पास मौजूद कालेधन पर टैक्स नहीं दिया। फेडरेशन का कहना है कि ऐसे लोगों की ओर से 2.50 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक की नकद राशि दोस्तों, रिश्तेदारों, गरीब लोगों या किसानों के खातों में जमा करने और 10% कमीशन काटकर नकद राशि निकालने के अधिकांश मामले सामने आये जो दर्शाता है कि नोटबंदी के कदम से सरकार को उचित सफलता नहीं मिली है। जो पैसा काला था, वह काला ही रह गया उसमें कोई बदलाव नहीं आया लेकिन सरकार के इस फैसले से नकली मुद्रा को बड़ा नुकसान जरूर उठाना पड़ा है।


फेडरेशन का कहना है कि अगर सरकार ने केवल 15% आयकर लगाकर एक साल के लिए पूरी छूट दी होती तो आज काला धन पैदा नहीं होता। साल 2016-17 में देश में नकदी 13 लाख करोड़ थी जोकि मार्च 2023 के अंत में 2.5 गुना यानी करीब 33 लाख करोड़ हो गई है। इसका मतलब यह हुआ है कि बैंक में जमा रुपए नकद में परिवर्तित हो गए हैं। 


बैंकों की व्यवस्था सुधारनी होगी


बैंकों में डिजिटल पेमेंट का चलन जरूर बढ़ा है लेकिन इसके साथ कई कमियां भी हैं। बैंकों के सर्वर बंद होने कारण या किसी अन्य प्रकार की तकनीकी खराबी के कारण व्यक्ति के खाते से पैसा कट जाता है लेकिन लाभार्थी के खाते में जमा नहीं होता है और करीब 24 से 48 घंटे के बाद पैसा भेजने वाले व्यक्ति के खाते में वह वापस आ पाता है। देश के कई राष्ट्रीयकृत और प्राइवेट बैंकों में चेक जमा भुगतान करने के लगभग 7 से 8 दिनों के बाद पैसा खाते में आ पाता है। एक आम व्यक्ति को बैंक में खाता खुलवाने के लिए फॉर्म भरने, आवेदन देने, केवाईसी करवाने और स्टाफ की कमी जैसी कई तरह की मानसिक प्रताड़ना भरी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। इसके कारण खाते मे राशि न होने के कारण सामने वाले लोगों के चेक रिटर्न होते हैं और यह रिटर्न चेक करीब 10 दिनों के बाद व्यक्ति को वापस मिलता है। यूरोप, अमेरिका जैसे विकसित देशों जैसी डिजिटल भुगतान प्रणाली हमारे देश में अभी तक स्थापित नहीं हो पाई है। इसलिए देश में डिजिटल पेमेंट सिस्टम को और भी बेहतर बनाने के लिए प्रभावी सिस्टम बनाया जाना चाहिए। इस प्रकार देश में काले धन पर नियंत्रण करके अलगाववादियों, आतंकवादियों या अन्य गलत काम करने वालों को नियंत्रित किया जा सकता है।


2000 के नोट वापसी की प्रक्रिया में खामी नहीं हो


अभी हाल ही मे सरकार ने 2000 रुपये के नोट से सिर्फ 20 हजार रुपये तक बदलने का जो निर्णय लिया है उसके कारण बैंकों में बहुत भीड़ जमा हो रही है और कुछ गलत लोगों को कमीशन देकर लाइन में खड़ा किया जा रहा है। इस बारे में श्री मगनभाई पटेल का कहना है कि देश की MSME इकाइयों को अपने टर्न ओवर के अनुसार 2 से 10 लाख रुपये नकद रखना जरूरी होती है क्योंकि ऐसी इकाइयाँ जहां करीब 200 से 250 कर्मचारी काम करते हैं उन्हें शाम तक छोटे-बड़े कई खर्च नकद में करने होते हैं तब ऐसी विषमता होती है कि एमएसएमई इकाइयों को ऐसे कड़े प्रतिबंधों के कारण जरूरी नकद लेन-देन के मामलों में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। सरकार देश की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए कानून बनाती है जो प्रशंसनीय है लेकिन उसका सही क्रियान्वयन लोगों द्वारा नहीं किया जाता। कई बार आश्चर्य की बात यह होती है कि संबंधित अधिकारियों द्वारा ही गलत लोगों को प्रोत्साहित किया जाता है।       


आयकर और अन्य करों को युक्तिसंगत बनाना जरूरी


पिछले वर्ष के बजट में सरकार द्वारा आयकर में दी गई छूट अत्यधिक सराहनीय है, जिससे GST एवं अन्य राजस्व में कर संग्रह में लगभग 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो अत्यधिक सराहनीय है। ऑल इंडिया एमएसएमई फेडरेशन ने सरकारी बजट-2023 के समय इनकम टैक्स स्लैब में जरूरी सुझाव दिए थे, हमारे सुझाव के अनुसार आयकर स्लैब में निश्चित रूप से जो छूट दी गई है वह धन्यवाद के योग्य है लेकिन इसके क्रियान्वयन में अभी भी खामियां हैं। सरकार को चाहिए कि वह ऐसे उपाय करे जिससे कि पैसा बाजार में आये। कर कम होंगे तो लोग ज्यादा खर्च करेंगे और इससे आवास या अन्य खरीदी कानूनी रूप से संभव हो सकेगी जिससे सरकार का भी राजस्व बढ़ेगा।

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सरकार को सभी लोगों पर कम कर लगाना चाहिए। हालांकि आयकर में किसी अन्य रूप से राहत देना अर्थव्यवस्था के लिए नकारात्मक परिणाम साबित होगा। साथ ही सरकार को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि मुफ्त की चीजों अथवा रियायतों से बचा जाये। रियायतों के कारण खजाना खाली होता है। भले सरकार जरूरतमंद की मदद करे लेकिन गैर-जरूरतमंद के लिए सरकारी खजाना नहीं खोला जाना चाहिए। ऐसा हम अपने 60 साल के अनुभव के आधार पर कह सकते हैं।


आज देश में औद्योगीकरण हो रहा है। माननीय प्रधानमंत्री और उनकी टीम जनता के सपनों को साकार करने के लिए दिन रात काम कर रही है। जब देश आजाद हुआ तो हमारी जानकारी के मुताबिक कॉरपोरेट्स/बड़ी इकाइयों के लिए 78% इनकम टैक्स और 10% सरचार्ज मतलब 88% टैक्स यानी ऐसा कैसे हो सकता है कि एक आम आदमी 100 रुपये कमाए और 88 रुपये का टैक्स का भुगतान करे ? उस समय की दोषपूर्ण कर प्रणाली के परिणामस्वरूप कुछ लोगों ने कर चोरी करना सीख लिया था। इस प्रक्रिया को बाद में परामर्श और सरलीकरण के माध्यम से नियंत्रित किया गया। लेकिन फिर भी तमाम घोटाले सामने आते रहते हैं। इसलिए बड़े घोटाले करने वाले कुछ लोगों को बख्शा नहीं जाना चाहिए और उनसे ब्याज और जुर्माने सहित राशि की वसूली की जानी चाहिए। इस दिशा में कुछ राज्यों ने अच्छा काम किया है और सख्त रवैये से कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने में सफल रहे हैं।

  

एमएसएमई उद्योग को राहत देना जरूरी


आज देश में अधिकांश एमएसएमई पार्टनरशिप फर्मों द्वारा चल रही हैं, जिसमें पहले से 1 रुपये के मुनाफे पर 30 प्रतिशत आयकर लगाया जाता है, जो वास्तव में उचित तरीका नहीं है। यदि टैक्स स्लैब को 20 प्रतिशत तक किया जाता है, तो एमएसएमई में भागीदारी पूंजी में वृद्धि होगी, जिससे सरकार को GST एवं अन्य राजस्व में भी वृद्धि होगी। श्वेत पूंजी उत्पन्न करने के लिए आयकर का निचला स्लैब आवश्यक है। आयकर के गलत स्लैब से आयकर बचाने के लिए काला धन बढ़ रहा है। आज हमें इस काले धन को नियंत्रण में लाने के लिए एक विशेष दिशा में काम करना होगा। वर्तमान में प्राइवेट लिमिटेड के साथ-साथ पब्लिक लिमिटेड में भी 25 प्रतिशत आयकर स्लैब है जो साझेदारी फर्म में 30 प्रतिशत है जो वास्तव में अनुचित है। छोटे और असंगठित भागीदारी इकाइयों पर आयकर को 20 प्रतिशत पर रखकर अंततः सरकार की GST और अन्य कर की आय अपने आप बढ़ सकती है।


उपरोक्त हमारे सुझाव हैं, जिन पर यदि विचार किया जाये तो देश के औद्योगिक विकास को गति मिलेगी और देश की एमएसएमई इकाइयों को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना ना पड़े इसके लिए प्रभावी उपाय किए जाएं तो यह निश्चित रूप से देश के विकास के लिए परिणामलक्षी कार्य होगा।

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