ब्याज दरों के बारे में अब एमपीसी करेगी फैसलाः राजन

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 09, 2016

मुंबई। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज कहा कि अब ब्याज दरों के बारे में चार अक्तूबर को होने वाली अगली मौद्रिक समीक्षा में कई सदस्यों वाली व्यापक आधार वाली समिति फैसला करेगी। अगले महीने रिजर्व बैंक गवर्नर का पद छोड़ने से पहले राजन ने आज आखिरी मौद्रिक नीति समीक्षा जारी की है। मौद्रिक नीति की अगली समीक्षा चार अक्तूबर को होगी। राजन ने कहा कि छह सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के आधे सदस्य पहले ही नियुक्त हो चुके हैं और सरकार जल्द ही इसमें अपने प्रतिनिधियों के नाम तय करेगी।

 

एमपीसी गठित होने के साथ ही ब्याज दरें तय करने के अधिकार रिजर्व बैंक से एमपीसी के पास चले जायेंगे। राजन ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि ऐसी कुछ संभावनायें हैं कि अगला निर्णय किसी एक व्यक्ति के बजाय एमपीसी द्वारा लिया जायेगा। यदि ऐसा होता है तो छह लोग बैंठेंगे और यह फैसला करेंगे कि ब्याज दर का आगे का रास्ता क्या होगा। मेरा मानना है कि वह स्वतंत्र रूप से निर्णय लेंगे और मुझे पूरा भरोसा है कि वह ऐसा ही करेंगे।’’ मौद्रिक नीति पेश करने के बाद होने वाले परंपरागत संवाददाता सम्मेलन में राजन ने कहा, ‘‘एमपीसी के लिये प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है, इसमें अब ज्यादा समय नहीं लगेगा।’’ रिजर्व बैंक की तरफ से राजन ने कहा कि बोर्ड ने माइकल पात्रा को एमपीसी में आरबीआई बोर्ड का प्रतिनिधि चुना है। रिजर्व बैंक से अन्य दो सदस्यों में रिजर्व बैंक के गवर्नर और मौद्रिक नीति के प्रभारी डिप्टी गवर्नर शामिल होंगे। राजन से जब यह पूछा गया कि अपने उत्तराधिकारी के लिये उनकी मुद्रास्फीति के बारे में क्या सलाह होगी। राजन ने कहा, ‘‘मैं अपने उत्तराधिकारी को सलाह नहीं दूंगा।’’

 

राजन ने कहा, ‘‘एमपीसी बनाने के साथ ही सरकार और रिजर्व बैंक ने एक बुनियादी संस्थागत सुधार को पूरा कर लिया है। इससे भारत की मौद्रिक नीति रूपरेखा को नया रूप मिलेगा और मजबूत एवं सतत् वृद्धि के लिये एक मंच तैयार होगा।’’ मौद्रिक नीति के मामले में नई व्यवस्था की ओर बढ़ते हुये सरकार ने पिछले सप्ताह अगले पांच साल के लिये चार प्रतिशत मुद्रास्फीति लक्ष्य अधिसूचित की है। एमपीसी अब इसी के आधार पर मौद्रिक नीति के निर्णय लेगी। इस पहल में, जिसमें कि लक्ष्य में दो प्रतिशत ऊपर-नीचे होने का मार्जिन भी शामिल है, इस लिहाज से 2021 तक के लिये छह प्रतिशत की सीमा तय की गई है। इस नीति निर्धारण को एक तरह से रिजर्व बैंक के निर्वतमान गवर्नर राजन की मौद्रिक नीति के मुद्रासफीति मॉडल पर अपनी मुहर लगा दी है। सरकार ने पिछले साल फरवरी में रिजर्व बैंक के साथ मौद्रिक नीति रूपरेखा समझौता करते हुये अगले पांच साल के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का लक्ष्य चार प्रतिशत तय किया है जिसमें ऊपर के स्तर पर यह 6 प्रतिशत तक जा सकती है और नीचे में यह दो प्रतिशत तक रह सकती है। बहरहाल, अब ब्याज दर के बारे में एमपीसी बहुमत के आधार पर निर्णय करेगी और यदि इसमें पक्ष और विपक्ष में बराबर मत पड़ते हैं तो ऐसी स्थिति में केन्द्रीय बैंक के गवर्नर का निर्णायक मत होगा।

 

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