By अनन्या मिश्रा | Oct 11, 2025
आधुनिक भारत के चाणक्य कहे जाने वाले नानाजी देशमुख का आज ही के दिन यानी कि 11 अक्तूबर को जन्म हुआ था। नानाजी देशमुख ने संघ को कंधों पर उठाकर खड़ा किया और उन्होंने समाज सेवा के लिए सियासत को भी छोड़ दिया था। उन्होंने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 500 से अधिक गांवों की तस्वीर भी बदल डाली थी। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर नानाजी देशमुख के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
महाराष्ट्र के हिंगोली में 11 अक्तूबर 1919 को नानाजी देशमुख का जन्म हुआ था। वह एक गरीब मराठी परिवार से ताल्लुक रखते थे। लेकिन वह विद्वता और जहीनियत में किसी अमीर से कम नहीं थे। बचपन में ही नानाजी देशमुख के सिर से माता-पिता का साया उठ गया था। ऐसे में उनको अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए भी मुश्किल दौर से गुजरना पड़ा था।
आरएसएस संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार से नानाजी देशमुख के पारिवारिक जैसे संबध थे। हेडगेवार ने नानाजी की उभरती हुए सामाजित प्रतिभा को पहचान लिया था। जिसके कारण नानाजी को हेडगेवार ने संघ की शाखा में आने को कहा था। साल 1940 में हेडगेवार की मृत्यु के बाद संघ की स्थापना का दायित्व नानाजी के कंधों पर आ गया। नानाजी देशमुख ने इस संघर्ष को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया और पूरा जीवन संघ को समर्पित कर दिया।
चुनाव में बलरामपुर स्टेट की महारानी राजलक्ष्मी कुमारी देवी को नानाजी देशमुख ने हराया था। चुनाव जीतने के बाद देशमुख महारानी राजलक्ष्मी कुमारी देवी से मिलने के लिए उनके महल गए थे। नानाजी और महारानी की यह मुलाकात सहज और सौहार्दपूर्ण रही। महारानी से नानाजी देशमुख ने कहा कि आपकी प्रजा ने मुझे चुना है और वह क्षेत्र के विकास के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
महारानी से नानाजी देशमुख ने कहा था कि इस बार उनकी जनता ने मुझे आपके स्थान पर अपना प्रतिनिधि चुना है। नानाजी देशमुख ने कहा कि उनका कर्तव्य है कि वह आप जैसे लोगों के साथ रहें और उनके सुख-दुख में भागीदार बनें। नानाजी देशमुख ने महारानी से कहा कि उनको रहने के लिए घर दीजिए, तब महारानी राजलक्ष्मी कुमारी देवी ने नानाजी देशमुख को निराश नहीं किया और कहा कि आज से बलरामपुर एस्टेट के महाराजगंज की धरती आपकी हुई।
नानाजी देशमुख ने वहां पर एक नया गांव बसाया और उस गांव का नाम जयप्रभा रखा। जब तक नानाजी जीवित रहे, वह इस गांव को अपने आदर्शों के अनुरूप ढालते रहे। पहली बार चुनाव जीतने के बाद नानाजी ने साल 1980 के लोकसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लिया। नानाजी देशमुख ने राजनीति से संन्यास ले लिया। नानाजी के कार्यों के लिए उनको देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
वहीं 27 फरवरी 2010 को नानाजी देशमुख का निधन हो गया था।