आखिर क्यों जरूरी मुद्दों पर चुप रहते हैं शाहरुख, सलमान और आमिर? नसीरुद्दीन शाह ने दिया यह जवाब

By अंकित सिंह | Sep 14, 2021

फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह लगातार अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं। वह किसी भी मुद्दे पर अपनी राय बेबाक तरीके से रखते हैं और उससे पीछे नहीं हटते। इसकी वजह से कई बार उन्हें विवादों का सामना भी करना पड़ता है। बावजूद इसके वह सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर लगातार बोलते हैं। हाल में ही उन्होंने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद खुशी मनाने वाले  भारतीय मुसलमानों पर टिप्पणी की थी।  इस बार नसीरुद्दीन शाह ने तीनों खानों को लेकर अपनी बेबाक राय रखी। शाहरुख खान, सलमान खान और आमिर खान पर उन्होंने कहा कि यह लोग इतने बड़े सेलिब्रिटी होने के बावजूद मुद्दों पर नहीं बोलते हैं।

 

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तीनों खान को लेकर क्या कहा

'एनडीटीवी' को दिए एक इंटरव्यू में नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि उन्हें मुस्लिम होने के कारण फिल्म इंडस्ट्री में कभी भी भेदभाव का शिकार नहीं होना पड़ा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कलाकारों को अपने मन की बात कहने की वजह से हर जगह परेशान किया जाता है। उन्होंने कहा कि आखिर क्यों तीनों खान खामोश रहते हैं? उन्होंने कहा कि वह इन लोगों की तरफ से तो नहीं बोल सकते लेकिन मुद्दों पर बोलने की वजह से इन लोगों को उत्पीड़न का कितना शिकार होना पड़ेगा। यही कारण है कि वह चिंतित है कि अगर कुछ बोलेंगे तो उन्हें निशाना बनाया जाएगा। उनके पास खोने को बहुत कुछ है। उन्हें सिर्फ आर्थिक उत्पीड़न ही नहीं होगा, साथ ही साथ विज्ञापन भी छूट सकते हैं और हर तरह से परेशान भी किया जाएगा। 


तालिबान पर क्या कहा था 

नसीरुद्दीन शाह ने सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक वीडियो में कहा, "अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है, लेकिन भारतीय मुसलमानों के कुछ वर्गों के बर्बर लोगों का जश्न कम खतरनाक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग तालिबान के पुनरुत्थान का जश्न मना रहे हैं, उन्हें खुद से सवाल करना चाहिए, "क्या वे एक सुधारित, आधुनिक इस्लाम चाहते हैं, या पिछली कुछ शताब्दियों के पुराने बर्बरता (वैशिपन) के साथ रहना चाहते है?

 

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नसीरुद्दीन शाह ने वीडियो में "हिंदुस्तानी इस्लाम" और दुनिया के अन्य हिस्सों में प्रचलित है, इस्लान के बीच अंतर किया। उन्होंने आगे कहा, "भगवान ऐसा समय न लाए जब यह यह कट्टरवादी वैशिपन की सोच हमें खा जाए। उन्होंने भगवान (अल्लाह) के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों का उल्लेख किया, और कहा कि उन्हें राजनीतिक धर्म की आवश्यकता नहीं है। मैं एक भारतीय मुसलमान हूं और जैसा कि मिर्जा गालिब ने वर्षों पहले कहा था, भगवान के साथ मेरा रिश्ता अनौपचारिक है। मुझे राजनीतिक धर्म की जरूरत नहीं है।

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