By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 31, 2024
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पिछले महीने लागू किए गए नए आपराधिक कानूनों की समीक्षा की मांग करते हुए कहा कि इन्हें पत्रकारों के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने की आशंका है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में गिल्ड ने कहा कि बीते वर्षों और अलग-अलग सरकारों के दौरान आपराधिक कानूनों के कई प्रावधानों का उन पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए खुलेआम उपयोग किया गया है जिनकी रिपोर्टिंग में सरकार की आलोचना होती है।
पत्र में कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए, 153बी, 295ए, 298, 502 और 505 का पत्रकारों के खिलाफ इस्तेमाल किया गया है। गिल्ड ने शाह को 29 जुलाई को लिखे अपने पत्र में कहा, “विभिन्न राज्यों और अलग-अलग दलों की सरकारों ने ऐसा किया है।”
गिल्ड ने किसी पत्रकार के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज करने से पहले अतिरिक्त स्तर की समीक्षा का सुझाव दिया है। पत्र में कहा गया है, “हमें लगता है कि कि प्रेस/मीडियाकर्मियों के कामकाज के दौरान उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए अभियोजन को विनियमित करने के लिए गहन परामर्श और कुछ दिशानिर्देश तैयार करने की आवश्यकता है।”
गिल्ड ने कहा कि किसी पत्रकार के खिलाफ शिकायत की समीक्षा एक उच्चस्तरीय पुलिस अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए और इसे भारतीय प्रेस परिषद के ध्यान में लाया जा सकता है। इसने कहा कि नए आपराधिक कानूनों से कानून-प्रवर्तन एजेंसियों की शक्तियां बढ़ी हैं, जो अधिक चिंता का विषय है।
गिल्ड ने पत्र में कहा, “अब, भारतीय दंड संहिता, 1860 एवं दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की जगह क्रमशः भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस) तथा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (बीएनएसएस) की अधिसूचना जारी होने के बाद हमें लगता है कि चिंताएं और बढ़ गई हैं।