औषधीय पौधों पर अनुसंधान और विकास के लिए नई साझेदारी

By इंडिया साइंस वायर | Mar 09, 2022

औषधीय पौधों से संबंधित कृषि-प्रौद्योगिकियों एवं मूल्यवर्द्धित उत्पादों पर केंद्रित अनुसंधान एवं विकास और इस मुद्दे पर अंतर-मंत्रालयी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए आयुष मंत्रालय, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के बीच एक नया त्रिपक्षीय करार किया गया है। आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा; डॉ. त्रिलोचन महापात्र, महानिदेशक, आईसीएआर और सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग; और डॉ शेखर सी. मांडे, महानिदेशक, सीएसआईआर एवं सचिव, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर); ने इससे संबंधित समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। 

इसे भी पढ़ें: डेलाइट हार्वेस्टिंग तकनीक के विकास की नई पहल

अपनी समृद्ध संस्कृति और गौरवशाली इतिहास के साथ भारत स्वास्थ्य, कृषि, और कई अन्य क्षेत्रों में मूल्यवान वैज्ञानिक विरासत के लिए जाना जाता है। यह समृद्ध विरासत विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ सहयोग एवं एकीकरण के माध्यम से भविष्य की जरूरतों को भी पूरा करने की क्षमता रखती है। इस संबंध में, आयुष मंत्रालय द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है कि आत्मानिर्भर भारत से जुड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बहु-पक्षीय हितधारकों के परस्पर सहयोग की आवश्यकता को देखते हुए यह पहल की गई है।


आयुष मंत्रालय, आईसीएआर और सीएसआईआर के बीच हुए इस करार का मुख्य उद्देश्य भारत की पारंपरिक कृषि पद्धतियों के महत्व को रेखांकित करना है, और देश में सामाजिक-आर्थिक विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए इन पर आधारित हस्तक्षेपों को मान्य और लागू करने के लिए संयुक्त अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में मिलकर काम करना है। 


आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने वृक्षायुर्वेद, मृगायुर्वेद आदि के रूप में मूल्यवान पारंपरिक ज्ञान की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा - न केवल मनुष्य, बल्कि पौधों और जानवरों के लाभ के लिए एकीकृत कृषि की दिशा में पारंपरिक विज्ञान और प्रथाओं को मान्य करने में यह सहयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने आयुष मंत्रालय की ‘आयुर्वेद आहार’ पहल एवं साल 2023 के 'अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष' और भारत के पारंपरिक आहार का उल्लेख करते हुए स्वस्थ भोजन की आदतों को बढ़ावा देने के लिए तीनों पक्षों की क्षमता को भी रेखांकित किया।

इसे भी पढ़ें: फैटी लीवर उपचार के लिए कुटकी पौधे के अर्क से निर्मित नई दवा

डॉ. त्रिलोचन महापात्र, महानिदेशक, आईसीएआर और सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग; ने इस साझेदारी को खाद्य और कृषि पर राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया है।


कृषि एवं बागवानी के क्षेत्र में आईसीएआर; और कोविड-19 के प्रकोप के दौरान परंपरागत दवाओं को विशेष रूप से प्रोत्साहन देने में आयुष मंत्रालय के साथ सीएसआईआर की साझेदारी का उल्लेख करते हुए डॉ शेखर सी. मांडे ने इसे सराहा है। उन्होंने आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से भारतीय पारंपरिक ज्ञान की विशालता को जोड़े जाने, विशेष रूप से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, किसानों की आजीविका बढ़ाने, और अंततः आत्मानिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने में इस त्रिपक्षीय सहयोग को महत्वपूर्ण बताया है।


तीनों संगठनों के सचिवों ने समझौता ज्ञापन के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए आयुष मंत्रालय, आईसीएआर और सीएसआईआर के अधिकारियों को शामिल करते हुए एक संयुक्त कार्य-समूह बनाने का प्रस्ताव दिया है। इस समझौता ज्ञापन के क्रियान्वयन का अनुसरण करने और इसके विकास के लिए आवश्यक उपाय सुझाने के लिए यह संयुक्त कार्य-समूह वर्ष में कम से कम दो बार बैठक करेगा। 


(इंडिया साइंस वायर)

प्रमुख खबरें

अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर सका लेकिन ज्यादा सोचने का क्या फायदा : Rohit Sharma

Phalodi Satta Bazar: इस बार किसकी बनेगी सरकार, क्या NDA करेगा 400 पार, जानें क्या कहता है सट्टा बाजार

Yes Milord: केजरीवाल की गिरफ्तारी वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित, न्यूज़क्लिक के फाउंडर की रिहाई, PMLA के तहत ED नहीं कर सकती गिरफ्तार

Lok Sabha election 2024: बिहार की ये पांच लोकसभा सीटें जहां बागियों ने बढ़ा दी है पार्टियों की टेंशन