By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 14, 2021
नयी दिल्ली। सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोवैक्सीन के लिए लाइसेंस देने में देरी और देश में टीके के उत्पादन के लिए तकनीक हस्तांतरण में विलंब को लेकर मीडिया के एक वर्ग में आ रही खबरें ‘‘पूरी तरह आधारहीन और तथ्यात्मक रूप से गलत हैं।’’ गौरतलब है कि इस संबंध में कुछ ट्वीट के बाद मीडिया में खबरें आयी हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि केन्द्र सरकार लगातार और पहले से सक्रिय होकर टीकों की उपलब्धता बढ़ाने का प्रयास कर रही है। उसने कहा कि भारत सरकार विदेशी टीका निर्माताओं जैसे माडर्ना और फाइजर से भारत में उनके टीकों के आपात स्थिति में उपयोग की दिशा में काम कर रही है ताकि इनका आसानी ये आयात किया जा सके और ये देश में उपलब्ध हो सकें।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, इसके साथ ही भारत सरकार समान विचार रखने वाले अन्य देशों के साथ मिलकर कोविड-19 टीकों के लिए आईपीआर (बौद्धिक संपदा) समाप्त करने पर भी जोर दे रही है। ये दोनों कदम साथ-साथ उठाने से ना सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया भर में टीकों की आसानी से उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी। मंत्रालय ने कहा, ‘‘उचित सूचना के बगैर किए गए कुछ ट्वीट में कोवैक्सीन के लिए लाइसेंस देने में कथित देरी और देश में कोवैक्सीन के उत्पादन के लिए तकनीक के हस्तांतरण में विलंब संबंधी खबरें मीडिया के कुछ वर्गों में आ रही हैं।’’
बयान के अनुसार, ‘‘ये समाचार और ट्वीट में दी गयी सूचनाएं पूरी तरह आधारहीन और तथ्यात्मक रूप से गलत हैं।’’ बयान के अनुसार, अपनी नयी उदारवादी रणनीति के तहत भारत सरकार ने विशेष प्रावधान किया है कि जिन टीकों का उत्पादन विदेशों में हो रहा है और जिन्हें अमेरिका के राष्ट्रीय नियमाक, यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी (यूरोपीय संघ), ब्रिटेन, जापान में आपात उपयोग की अनुमति मिली है या जो विश्व स्वास्थ्य संगठन में(आपात उपयोग के लिए सूचीबद्ध हैं) उन्हें भारत में आपात उपयोग की अनुमति दी जाएगी। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि अतीत के मुकाबले अब भारत के औषधि महानियंत्रक आसानी से विदेशों में बने टीकों के आयात को अनुमति दे सकेंगे। उसने कहा कि इससे आसानी से विदेशों से कोविड-19 टीके का आयात किया जा सकेगा और देश में टीकों की उपलब्धता बढ़ायी जा सकेगी।