नाचते नाचते दुनिया पर टैरिफ ठोकने वाले ट्रंप को अब मोदी जिनपिंग दिखाएंगे- हाथी-ड्रैगन का डांस

By अभिनय आकाश | Sep 01, 2025

बीते कई दिनों से हम लगातार अमेरिकी टैरिफ से उपजे संकट की बात कर रहे हैं। अब ये साफ होता जा रहा है कि कोई पीछे हटने को तैयार नहीं है। अमेरिका की तरफ से कभी एच1बी वीजा को लेकर बयान आता है। कभी पीट नवारो रूस-यूक्रेन युद्ध को मोदी का वॉर कह देते हैं। अमेरिका से मायूस हिंदुस्तान अब पूरब से उम्मीद लगा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। चीन के साथ भी अमेरिका की ट्रेड वॉरनुमा स्थिति बनी हुई है। भले ही उसमें एक वक्ती समझौते से कुछ होल्ड लगा हो। लेकिन ट्रेड वॉर जैसी स्थिति तो चल ही रही है। वाशिंगटन से रिश्ते तल्ख हैं तो दिल्ली और बीजिंग के पास एक दूसरे के करीब आने के लिए एक वजह और जुड़ गई। 31 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी सात साल बाद चीन दौरे पर तियांनजिन पहुंचे। पीएम शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गनाइजेश यानी एससीओ की बैठक में शामिल होने के लिए चीन पहुंचे थे। इस बैठक से इतर पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। दोनों नेताआों के बीच करीब 50 मिनट तक बातचीत हुई। साल 2020 में हुए गलवान संघर्ष, सीमा पर जारी विवाद औऱ अमेरिकी टैरिफ के बीच मोदी-जिनपिंग की मुलाकात को काफी अहम माना गया। 

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ड्रैगन और हाथी का डांस करना जरूरी

चीन के बयान के मुताबिक चीन और भारत दुनिया की पुरानी सभ्यताएं है। दोनों के ऊपर अपने देश के लोगों के अलावा, विकासशील देशों की एकता की भी जिम्मेदारी है। अच्छे पड़ोसी, दोस्त और साझेदार बनना दोनों के लिए सही चुनाव होना चाहिए। इससे ड्रैगन और हाथी का डांस सचाई बन पाए। उन्होंने कहा कि दोनों देशो को अपने रिश्तों को रणनीतिक और दीर्घकालिक नजरिए से देखना होगा। बहुपक्षवाद के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के लोकतात्रिकरण के लिए अपनी जिम्मेदारी भी निभानी होगी। ड्रैगन के साथ आने की संभावना रेखांकित की जाने लगी है। लेकिन उसके लिए अभी दोनों देशों को लंबी दूरी तय करनी होगी, बहुत सारे मतभेद और विवाद दूर करने होंगे। इसका अंदाजा दोनों पक्षों को है। तभी बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है कि मतभेद झगड़े में तब्दील नहीं होने चाहिए।

ट्रंप को सीधा और सख्त संदेश 

पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग की मुलाकात एससीओ का शो स्टॉपर रही। पहले दिन की हाईलाइट यही भेंट रही। खास बात है कि दोनों नेताओं की गर्मजोशी से मुलाकात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को साफ मैसेज है कि दुनिया उनकी धुन पर नहीं नाचती। ट्रम्प खुद को 'डीलमेकर' बताते नहीं थक रहे, लेकिन अब तक उनके खाते में कोई डील ही नहीं है। भारत और चीन ने ट्रम्प को कूटनीतिक जवाब  दिया है। दोनों देशों ने सीमा विवाद को सुलझ‌ाने के लिए पहल की है। 

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मोदी के पीछे-पीछे अब भारत आएंगे जिनपिंग?

पीएम मोदी ने अगले साल भारत में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए राष्ट्रपति शी को न्योता दिया। उन्होंने चीन के एससीओ की सफलतापूर्वक अध्यक्षता किए जाने के लिए शी को बधाई भी दी। विदेश मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने ब्रिक्स में आने के लिए निमंत्रण देने पर मोदी को धन्यवाद दिया। साथ ही उन्होंने भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता के लिए चीन के समर्थन की पेशकश की।

डायरेक्ट फ्लाइट्स जल्द होंगी बहाल

मोदी और जिनपिंग ने दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट्स और वीजा प्रक्रिया के जरिए लोगों के आपसी संबंधों को मजबूत दिशा दिए जाने की भी वकालत की। कुछ हफ्ते में यह बहाल हो जाएंगी। इस साल गर्मियों में बहाल की गई कैलाश मानसरोवर यात्रा और टूरिस्ट वीजा का जिक्र करते हुए दोनों नेताओं ने माना कि दोनों के आर्थिक रिश्ते दुनिया के व्यापार को स्थिर करने की क्षमता रखते हैं। 

सालों की कोशिशों के बाद ये दिन आया

अमेरिका से टैरिफ के सवाल पर तनाव बढ़ने के कारण भारत और चीन करीब आ रहे हैं, बस इतना कहने भर देना बेमानी होगा। सच यही है कि गलवान झड़प के रूप में आई एक बड़ी अड़चन के बाद भी दोनों देशों ने बातचीत के जरिए गलतफहमियां और मतभेद दूर करने की कोशिश नहीं छोड़ी। इस निरंतर प्रयास का ही नतीजा है कि धीरे-धीरे मतभेद कम होते रहे और पिछले साल सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के डिसइंगेजमेंट को लेकर भी सहमति बन गई। रविवार की बैठक में दोनों नेताओं ने इस पर संतोष जाहिर किया कि पिछले साल कजान में हुई शिखर बैठक के बाद से रिश्तों में लगातार सुधार जारी रहा।

क्या ट्रंप की बेवकूफी ने पावर बैलेंस बदल दिया? 

पावर बैलेंस और भारत-चीन संबंधों को लेकर अब दुनियाभर में चर्चा हो रही है। चीन को लेकर हमेशा मन में आशंका की संभावना बनी रहती है। लेकिन फिलहाल मौजूदा परिस्थिति को देखें तो दोनों एक दूसरे के प्रति भरोसा जताने के वादे करते नजर आ रहे हैं। दोनों देश दुनिया की बड़ी आर्थिक शक्ती हैं। अबादी के लिहाज से भी मैनपॉवर में सबसे आगे हैं। ऐसे में अमेरिका की गलतियोंने भारत-चीन को साथ आने का तर्कसंगत विकल्प दे दिया है। राष्ट्रपति ट्रंप की पॉलिसी, अमेरिका के टैरिफ वॉर की सनक ने पावर बैलेंस में अहम बदलाव लाने की संभावनाओं को जन्म दिया है। 

अमेरिका में चीन-भारत की दोस्ती पर क्यों हो रही इतनी चर्चा

पूर्व अमेरिकी राजदूत निकी हेली ने कहा कि अमेरिका को भारत के साथ बातचीत करते रूस से तेल खरीद के मुद्दे का समाधान निकालना चाहिए। उनका कहना है कि चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिका को भारत जैसे सहयोगी की जरूरत है। साथ ही कहा कि दुनिया के दो सबसे पुराने लोकतंत्र के बीच पुराने रिश्ते मौजूदा तनाव को कम करने का आधार बन सकते हैं। अमेरिकी मीडिया में भी भारत और चीन के संबंधों को लेकर खलबनी है। रिपोर्ट्स में कहा गया कि ट्रंप टैरिफ के बाद भारत-चीन के रिश्ते मजबूत हो रहे हैं और इससे नए रणनीतिक समीकरण बन रहे हैं। इससे भारत को रणनीतिक फायदा मिल सकता है। फॉक्स न्यूज में कहा गया है कि टैरिफ लगाने के बाद से भारत का रुख पूरब की ओर झुक रहा है, पहले चीन विदेश मंत्री नई दिल्ली आए और अब प्रधानमंत्री मोदी चीन की यात्रा पर हैं। रिपोर्ट में क्वाड अहमियत पर भी सवाल खड़े किए गए हैं।

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