Astrology Tips: प्लास्टिक के बर्तन में नहीं बल्कि इन पत्तों में लगाएं भगवान को भोग, हमेशा बनी रहेगी कृपा

By अनन्या मिश्रा | May 08, 2024

सनातन धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। हालांकि सभी के पूजा-अर्चना करने का तरीका अलग होता है। लेकिन भगवान को प्रसाद चढ़ाने का तरीका समान होता है। फिर भले ही भक्त  भगवान को चीनी का भोग लगाए या फिर मेवा और मिष्ठान, यह सब आपके ऊपर निर्भर करता है। क्योंकि भक्त अपनी श्रद्धा और शक्ति से भगवान को कुछ भी अर्पित कर सकता है। आप भगवान को क्या भोग लगा रहे हैं, यह आपके ऊपर है। लेकिन आप किस चीज में अपने इष्टदेव को भोग लगा रहे हैं, यह बेहद अहम है। 


हालांकि आजकल लोग अपनी सहूलियत के हिसाब से प्लास्टिक के दोने-पत्तल में भोग लगाते हैं। लेकिन आपको बता दें कि प्लास्टिक को शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए प्लास्टिक की चीजों में भोग नहीं लगाना चाहिए। वहीं भगवान को बर्तनों में भोग लगाने से ज्यादा पत्तलों में भोग ग्रहण करना अधिक प्रिय है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप किन पत्तों पर भगवान को भोग लगा सकते हैं।

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केल का पत्ता

आपको बता दें कि केले के पेड़ में स्वयं श्रीहरि विष्णु का वास माना जाता है। इस पत्ते में भोग लगाने से श्रीहरि की कृपा बनी रहती है। वहीं यह पेड़ भगवान विष्णु को प्रिय है। इसलिए केले के पत्ते में लगा भोग भगवान प्रसन्नता के साथ स्वीकार करते हैं। धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को केले के पत्ते में भोग लगाने से घर में अन्न का भंडार भरा रहता है और परिवार के सदस्यों में प्रेम मिठास बनी रहती है। ऐसे में आप भी केले के पत्ते में भगवान को भोग अर्पित कर सकते हैं।


पान का पत्ता

पूजा-पाठ में नवग्रह स्थापना करने से लेकर भगवान को बीड़ा बनाकर अर्पित करने में पान के पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है। भगवान को पान के पत्ते में लगा भोग अतिप्रिय होता है। क्योंकि समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत कलश निकला, तो कुछ बूदें अमृत की पान के पत्ते पर भी गिरी थी। इस कारण भगवान को पान का पत्ता बेहद प्रिय है। इसलिए पान के पत्ते में आप देवी-देवता को भोग लगाना शुभ माना जाता है।


पलाश का पत्ता

हिंदू धर्म में पलाश के पत्ते का विशेष महत्व होता है। देवी-देवताओं को पलाश का पुष्प चढ़ाने से भगवान की कृपा बनी रहती है। पलाश के पत्ते में लगाया भोग देवी-देवता के लिए स्वर्ण पात्र के समान होता है। इसलिए अगर संभव हो तो आप पलाश के पत्ते में भी इष्टदेव को भोग अर्पित कर सकते हैं।

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