By अभिनय आकाश | Mar 10, 2022
यूक्रेन में जारी युद्ध न सिर्फ यूरोप की सीमाएं बदलने की क्षमता रखता है बल्कि इस युद्ध का नतीजा पूरी दुनिया की राजनीति और दोस्ती-दुश्मनी की नई दास्तां लिखने जा रहा है। इसकी एक झलक तब देखने को मिली जब अमेरिका के दोस्त माने जाने वाले खाड़ी के दो देशों के मुखियाओं ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का फोन उठाने से इनकार कर दिया। दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क होने का दंभ भरने वाले अमेरिका के प्रेसिडेंट का इकबाल अब इतना कमजोर हो चुका है कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई की लीडरशिप ने उनके कॉल का जवाब तक देना मुनासिब नहीं समझा।
द वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार रूस के यूक्रेन हमले से पहले जब अमेरिका इसकी तैयारियों में जुटा था। दुनिया के देशों को अपने साथ करने की मुहिम के तहत जब बाइडेन ने साऊदी अरब के शहजादे यानी क्रॉफन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और यूएई के शेख मोहम्मद बिन जाएब अल नाहयान के साथ बातचीत करने की कोशिश की तो उन दोनों की ओर से कोई जवाब नहीं आया। रिपोर्ट के अनुसार बाइडेन इन दोनों के साथ बातचीत करने की उम्मीद कर रहे थे। उनको उम्मीद थी कि कोई कॉल आएगी। लेकिन कोई कॉल नहीं आई। ये बातची यूक्रेन पर रूस के संभावित हमले के दौरान तेल उत्पादन के मसले को लेकर होनी थी।
तेल की कमी से जूझ रहा अमेरिका
दोनों ही देशों ने शर्त रखी है कि पहले अमेरिका उसका यमन की जंग में साथ दे तभी वे बाइडेन से बात करेंगे। बता दें कि पिछले 14 सालों में तेल की कीमतों में काफी इजाफा हुआ है और ये 130 डॉलर तक पहुंच गई है। सऊदी अरब और यूएई यही दोनों देश हैं जो बड़े पैमाने पर तेल की अतिरिक्त आपूर्ति कर सकते हैं। बाइडेन ने सऊदी अरब के शक्तिशाली क्राउन प्रिंस से बात करना चाहा लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। अमेरिका भी तेल की भारी कीमतों से जूझ रहा है।