Prabhasakshi Exclusive: Manipur Violence के पीछे China का हाथ होने की बात आखिर किस आधार पर कही जा रही है?

By नीरज कुमार दुबे | Aug 03, 2023

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल नरवणे ने कहा है कि मणिपुर हिंसा में विदेशी एजेंसियों की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता। इस आशंका के पीछे क्या आधार है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि जनरल नरवणे सेनाध्यक्ष बनने से पहले ईस्टर्न कमान के कमांडर थे इसलिए वह सब चीजों को बारीकी से जानते हैं। उन्होंने मणिपुर के बारे में जो कहा है वह एकदम सही है क्योंकि सवाल उठता है कि अचानक से इतने लोगों को कैसे हथियार का प्रशिक्षण मिल गया? उन्होंने कहा कि पड़ोस के कई देशों के साथ सीमाएं ऐसी हैं जहां से घुसपैठ की आशंका हमेशा बनी रहती है। लगातार चौकसी होने के बावजूद कठिन भौगोलिक स्थितियों के चलते कई बार घुसपैठ हो जाती है और ऐसे तत्व सफल हो जाते हैं।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि म्यांमा के सशस्त्र विद्रोहियों पर भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप लगते रहे हैं। साथ ही इस प्रकार की भी रिपोर्टें आती रही हैं कि कई बार यह लोग भारत में घुसपैठ भी कर जाते हैं। म्यांमा के सैन्य शासन पर चीन का काफी प्रभाव है। ऐसे में नरवणे का बयान सारी स्थिति को स्पष्ट कर देता है। उन्होंने कहा कि वैसे भी चीन भारत में अशांति फैलाने के लिए हर प्रयास करता रहता है। पूर्वोत्तर पर उसकी खास नजर हमेशा रही है। साथ ही म्यांमा में भी सीमा पर जो उग्रवादी संगठन हैं उन पर वहां के सैन्य शासन का भी कोई नियंत्रण नहीं रह गया है और यह संगठन चीन और अन्य देशों से पैसा लेकर भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते हैं।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि लेकिन मणिपुर में जो कुछ हुआ है उसमें हमारी अपनी भी बहुत गलतियां हैं। मणिपुर से आफस्पा हटाकर गलती की गयी और इसी के चलते उग्रवादी संगठन मजबूत हुए। उन्होंने कहा कि इन लोगों के पास हथियार आ जाने की वजह से स्थिति बिगड़ी है लेकिन अब सेना काफी हद तक हालात को काबू करने में सफल रही है। सरकार को चाहिए कि आफस्पा को वापस लाये ताकि इस क्षेत्र में स्थायी शांति बहाल हो सके। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर पर सरकार को विशेष नजर रखनी होगी क्योंकि बड़ी मेहनत के बाद उग्रवादी संगठन कमजोर हुए थे और विभिन्न राज्यों में शांति कायम हुई थी। एक भी गलती सारी मेहनत पर पानी फेर सकती है। उन्होंने कहा कि चीन की हरकतों को देखते रहने की जरूरत है क्योंकि वह पूर्वोत्तर में अशांति फैलाने के प्रयास करता रहता है खासतौर पर म्यांमा के विद्रोही समूहों को वह वर्षों से मदद दे रहा है। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती राज्यों में अस्थिरता देश की समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अच्छी बात नहीं है।

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