Prabhasakshi NewsRoom: 2034 General Elections से लागू हो सकता है One Nation One Election, 2032 में UP Assembly का कार्यकाल सिर्फ दो वर्ष का होगा!

By नीरज कुमार दुबे | Jun 10, 2025

 

इसे भी पढ़ें: अमित शाह 2026 विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए तमिलनाडु के मदुरै पहुंचे

देश में तमाम बड़े कानूनी और प्रशासनिक सुधार कर चुकी मोदी सरकार अब 'एक देश, एक चुनाव' के संकल्प को सिद्ध करने की दिशा में आगे बढ़ चुकी है। बताया जा रहा है कि मोदी सरकार द्वारा 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के लिए संविधान संशोधन विधेयक पारित किए जाने के बाद 2034 तक देशभर में पहली बार एक साथ चुनाव कराने की योजना बनाई जा रही है। इसके तहत, 2029 के बाद निर्वाचित होने वाली सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल छोटा रखा जाएगा ताकि उनका कार्यकाल 2034 के आम चुनावों के साथ मेल खा सके।


हम आपको बता दें कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक (संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024) पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष पी.पी. चौधरी ने मीडिया को बताया है कि 2027 के बाद, 2032 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का कार्यकाल केवल दो साल का हो सकता है ताकि देश की सबसे बड़ी राज्य विधानसभा के चुनाव 2034 में होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ समन्वित किए जा सकें। हम आपको बता दें कि संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित कानून (संशोधन विधेयक), 2024 में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने का प्रावधान है।


संविधान संशोधन विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, राष्ट्रपति लोकसभा के आम चुनाव के बाद पहली बैठक की तिथि पर एक अधिसूचना जारी कर सकते हैं (संभवतः 2029 में होने वाले आम चुनाव के बाद), जिसमें अगले आम चुनाव की तिथि घोषित की जाएगी। इसके बाद गठित की गई सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल उस लोकसभा के पांच वर्षीय कार्यकाल के साथ समाप्त हो जाएगा। यदि लोकसभा या कोई राज्य विधानसभा पाँच वर्ष पूरे होने से पहले भंग हो जाती है, तो उसके लिए चुनाव केवल शेष कार्यकाल के लिए कराए जाएंगे। इससे अगले चुनावों को एक साथ कराने की समय-सीमा सुनिश्चित की जाएगी। जिन राज्यों में चुनाव निर्धारित समय के अनुसार होंगे, वहाँ भी चुनाव केवल लोकसभा चुनावों के साथ समन्वय में ही कराए जाएंगे।

इसे भी पढ़ें: अमित शाह 2026 विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए तमिलनाडु के मदुरै पहुंचे

हालाँकि, विधेयक यह भी प्रावधान करता है कि यदि चुनाव आयोग को लगता है कि किसी राज्य विधानसभा का चुनाव देश के बाकी हिस्सों के साथ एक साथ कराना संभव नहीं है, तो वह राष्ट्रपति को इस बारे में सिफारिश कर सकता है। इसके बाद राष्ट्रपति उस विधानसभा के लिए किसी अन्य तिथि को चुनाव कराने का आदेश जारी कर सकते हैं। राजस्थान के पाली से भाजपा सांसद और संसदीय समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने कहा कि जेपीसी की कार्यशैली को देखते हुए इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है, क्योंकि समिति के सदस्यों के बीच राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का दौरा करने पर सहमति बनी है, ताकि अंतिम सिफारिशें देने से पहले ज़मीनी फीडबैक लिया जा सके। हम आपको बता दें कि अब तक समिति के सदस्य महाराष्ट्र और उत्तराखंड का दौरा कर चुके हैं। हम आपको यह भी बता दें कि ये विधेयक पिछले साल दिसंबर में लोकसभा में पेश किए गए थे और इन्हें चौधरी की अध्यक्षता वाली समिति के पास भेजा गया था, जो विभिन्न पक्षकारों से विचार-विमर्श कर रही है।


हम आपको याद दिला दें कि वर्ष 1951-52 से वर्ष 1967 तक लोक सभा और राज्य विधान सभाओं के चुनाव अधिकतर साथ-साथ कराए गए थे और इसके पश्चात् यह चक्र टूट गया। अब देश के किसी ना किसी भाग में हर साल चुनाव होते रहते हैं जिससे सरकार का खर्च तो अधिक होता ही है, आदर्श आचार संहिता के कारण विभिन्न योजनाओं का कार्यान्वयन भी प्रभावित होता है साथ ही चुनावों में लगाए गए सुरक्षा बलों और अन्य निर्वाचन अधिकारियों की तैनाती के कारण उनके मूल विभाग से जुड़े कार्य भी प्रभावित होते हैं।


हम आपको बता दें कि भारत के विधि आयोग ने निर्वाचन विधियों में सुधार पर अपनी 170वीं रिपोर्ट में यह संप्रेक्षण किया है कि "प्रत्येक वर्ष और बिना उपयुक्त समय के निर्वाचनों के चक्र का अंत किया जाना चाहिए। हमें उस पूर्व स्थिति का फिर से अवलोकन करना चाहिए जहां लोक सभा और सभी विधान सभाओं के लिए निर्वाचन साथ-साथ किए जाते हैं। यह सत्य है कि हम सभी स्थितियों या संभाव्यताओं के विषय में कल्पना नहीं कर सकते हैं या उनके लिए उपबंध नहीं कर सकते हैं, चाहे अनुच्छेद 356 के प्रयोग के कारण (जो उच्चतम न्यायालय के एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ के विनिश्चय के पश्चात् सारवान् रूप से कम हुआ है) या किसी अन्य कारण से।'' रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी विधान सभा के लिए पृथक निर्वाचन आयोजित करना एक अपवाद होना चाहिए न कि नियम।'' ''नियम यह होना चाहिए कि 'लोक सभा और सभी विधान सभाओं के लिए पांच वर्ष में एक बार में एक निर्वाचन'।"

प्रमुख खबरें

Cristiano Ronaldo बने Perplexity के निवेशक, भारतीय मूल के CEO अरविंद श्रीनिवास के साथ नई AI साझेदारी

कराची की निकिता नागदेव का आरोप पति ने दिल्ली में दूसरी शादी रचाई, अब भारत में न्याय की मांग।

Delhi में छठ जल विवाद पर सीएम रेखा गुप्ता का पलटवार, विपक्ष पर आस्था रोकने का आरोप

Indigo Airlines crisis: 650 उड़ानें रद्द, DGCA ने CEO को नोटिस जारी, यात्रियों और पर्यटन पर असर