By अंकित सिंह | Dec 10, 2025
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी समेत विपक्षी सदस्यों पर जमकर निशाना साधा और कहा कि कुछ नेता विभिन्न राज्यों में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) को लेकर जनता को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एसआईआर को लेकर महीनों से झूठ फैलाया जा रहा है और सभी को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि राहुल गांधी भी एसआईआर को लेकर जनता को गुमराह करने के लिए 'वोट चोरी' का नारा गढ़ रहे हैं।
शाह ने कहा कि दो दिनों तक हमने विपक्ष से कहा कि इस पर दो सत्रों के बाद चर्चा की जानी चाहिए। लेकिन वे नहीं माने। हम मान गए... हमने 'ना' क्यों कहा? 'ना' कहने के दो कारण थे। पहला, वे(एसआईआर) पर चर्चा करना चाहते थे। मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि इस सदन में एसआईआर पर चर्चा नहीं हो सकती। एसआईआर आयोग की जिम्मेदारी है। भारत का चुनाव आयोग और मुख्य चुनाव आयोग सरकार के अधीन काम नहीं करते। अगर चर्चा हुई और सवाल उठाए गए, तो उनका जवाब कौन देगा? जब उन्होंने कहा कि वे चुनावी सुधारों पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं, तो हम तुरंत सहमत हो गए।
अमित शाह ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा को लेकर पहले दो दिन तक गतिरोध बना रहा। इससे जनता को गलत संदेश गया कि हम इस पर चर्चा नहीं करना चाहते। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि संसद इस देश में चर्चाओं की सबसे बड़ी पंचायत है। भाजपा-एनडीए कभी भी चर्चाओं से पीछे नहीं हटती। विषय चाहे जो भी हो, हम संसद के नियमों के अनुसार चर्चा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि चार महीनों तक एसआईआर के बारे में एकतरफा झूठ फैलाया गया। देश की जनता को गुमराह करने के प्रयास किए गए।
शाह ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब चुनाव जीतते हैं तो मतदाता सूची अच्छी है और जब हारते हैं तो मतदाता सूची खराब है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पहला एसआईआर (चुनाव सर्वेक्षण) 1952 में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में किया गया था और फिर कहा कि नेहरू और इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकारों सहित कांग्रेस सरकारों के दौरान कई एसआईआर हुए। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव आयोग अपने संवैधानिक दायित्व के अनुसार एसआईआर का संचालन कर रहा है।
शाह ने कहा कि दूसरा SIR, 1957 में हुआ। उस समय भी कांग्रेस पार्टी से प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे। तीसरा SIR, 1961 में हुआ। उस समय भी कांग्रेस पार्टी से प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे। 1965–66 में SIR हुआ, उस समय भी कांग्रेस से लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री थे। 1983–84 में SIR हुआ, उस समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं। 1987–89 में SIR हुआ, उस समय प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे। 1992–95 में SIR हुआ, उस समय प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव थे। 2002–03 में SIR हुआ, उस समय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। 2004 में SIR समाप्त हुआ, उस समय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह थे।
उन्होंने कहा कि 2004 के बाद, अब 2025 में SIR हो रहा है और इस समय सरकार NDA की है। 2004 तक SIR प्रक्रिया का किसी भी दल ने विरोध नहीं किया था। क्योंकि यह चुनावों को पवित्र रखने की प्रक्रिया है। लोकतंत्र में चुनाव जिस आधार पर होते हैं, अगर वो मतदाता सूची ही प्रदूषित है तो चुनाव कैसे साफ हो सकता है। समय-समय पर मतदाता सूची का गहन पुनर्निरीक्षण जरूरी है, इसलिए चुनाव आयोग ने निर्णय लिया कि 2025 में SIR किया जाएगा। उन्होंने कहा कि क्या किसी भी देश का लोकतंत्र सुरक्षित रह सकता है, अगर उस देश का प्रधानमंत्री और राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा, यह घुसपैठिए तय करें? एक मतदाता का एक से ज़्यादा जगह वोट नहीं होना चाहिए। जिन लोगों की मृत्यु हो चुकी है, उनका नाम मतदाता सूची में नहीं होना चाहिए। ये SIR, मतदाता सूची का शुद्धिकरण है।