वार्षिक वृक्षारोपण का आयोजन (व्यंग्य)

By संतोष उत्सुक | Aug 08, 2025

राजनीति में समाज सेवा का भाव बहुत गहरे समाया हुआ है। पिछले कल ही नेताजी ने अपने ज़्यादा वफादार बंदों को बुलाया। पेट भर भटूरे छोले खिलाए गए और सौंफ वाली नए स्वाद वाली चाय भी पिलाई। निकट भविष्य में कोई चुनाव होता दिख नहीं रहा था लेकिन बरसात बीती जा रही थी और वार्षिक वृक्षारोपण अभी तक नहीं हुआ था। बारिश के मौसम में पौधे लगाना बहुत ज़रूरी होता है वह अलग बात है कि लगाए गए कुछ पौधे बरसात में खत्म हो जाते हैं जो बचते हैं बिना पानी के सूख जाते हैं। समझदार नेताजी तभी जल्दी से जल्दी वृक्षारोपण आयोजित करवा देना चाहते थे। पौधों का जो हो सो हो, विपक्ष के लोगों को कहने का मौका न मिले कि इनका तो सरकारी वन महोत्सव भी इस बार देर से आयोजित हो पाया।


उन्होंने हर बरस की तरह समझाया, वृक्षारोपण समारोह में पधारने वाले हर पत्रकार को पैक्ड स्नैक्स और स्मृति चिन्ह देना सुनिश्चित किया जाए। सभी के बैठने का बढ़िया इंतजाम वाटर प्रूफ टेंट के नीचे करवाया जाए। बड़े आकार की दो तीन रंगीन छतरियां भी लगाई जाएं। उन्होंने पिछले साल की तरह समझाया, इस बार दी जाने वाली प्रैस रिलीज़ का मसौदा पहले से टाइप करवाकर तैयार रखें और समारोह के बाद सभी को तुरंत ईमेल भी किया जाए। फेसबुक, वहट्सेप और अन्य साधनों का प्रयोग भी खूब हो। 

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पिछले साल की तरह ही नेताजी के निजी ज्योतिषी के परामर्श के अनुसार कार्यक्रम की तिथि निश्चित की गयी, जिस भाग्यशाली जगह नेताजी ने पौधारोपण करना था वहां अड़ोस पड़ोस के निवासियों को भी आमंत्रित किया गया। सबसे आग्रह किया गया कि साफ सुथरे कपड़े पहन कर आएं ताकि सभी के फोटो अच्छे आएं। हालांकि मौसम विज्ञानीजी कह रहे थे कि बारिश होगी लेकिन नेताजी के शानदार भाग्य के कारण पौधारोपण आयोजन के दौरान पानी की बूंद भी नहीं टपकी। छोटे मोटे बादलों ने आसमान में डेरा जमाए रखा जिससे मौसम सुहावना बना रहा तभी कार्यक्रम व्यवस्थित तरीके से संपन्न हुआ। 


पिछले बरस की तरह वृक्षारोपण के शुभ अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम में बच्चों ने पारम्परिक व नई हिट फिल्मों के गानों पर डांस किया बाद में लोक नृत्य भी प्रस्तुत किया गया। नेताजी ने पौधे लगाने के महत्त्व पर बढ़िया प्रकाश डाला। पिछले साल की तरह इस बार लड्डू न बांटकर पनीर बर्गर खिलाया गया। इस स्वादिष्ट बदलाव पर बच्चे, जवान और बूढ़े सभी बहुत संतुष्ट दिखे। पिछले साल की तरह नेताजी ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर पौधा लगाया। उनके साथ आए सज्जनों ने भी गिन गिन कर पौधे लगाए। कैमरों ने सेलफ़ियां खींची और तपाक से वहट्सएप कर दी। जितने पौधे लगाने पड़े, पिछले साल की तरह उससे ज्यादा बताए गए। हर समारोह में कचरा फैलाना अभी भी हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। पिछले वर्ष की तरह इसे तन्मयता से किया गया। नेताजी को विशवास हो गया कि उन्होंने क्षेत्र की वोटें अपनी तरफ  कर ली हैं।    


- संतोष उत्सुक

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