आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने फिर से अमेरिका के सामने हाथ फैलाए

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 16, 2019

इस्लामाबाद। आर्थिक संकट का सामना कर रहा पाकिस्तान, अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की शांतिपूर्ण वापसी के मामले में अपनी सेवाओं के बदले में एफएटीएफ और आईएमएफ की कड़ी शर्तों से राहत के लिए अमेरिका से दखल का अनुरोध कर सकता है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस महीने न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र से इतर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपनी बैठक के दौरान एफएटीएफ और आईएमएफ से राहत दिलाने के लिए ट्रंप प्रशासन से आग्रह कर सकते हैं। 

इसे भी पढ़ें: मुस्लिम देशों ने दी पाकिस्तान को सलाह, मोदी के खिलाफ जुबानी हमले कम करें

धन शोधन पर नजर रखने वाली संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ)ने पिछले साल पाकिस्तान को उन देशों की सूची में डाल दिया था, जिनके आंतरिक कानून धन शोधन और आतंकवाद को वित्तीय मदद पर लगाम लगाने में बहुत कमजोर माने जाते हैं। पेरिस स्थित संस्था एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अक्टूबर तक उसकी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने या कार्रवाई झेलने के प्रति आगाह किया था। कार्रवाई के तहत देश का नाम काली सूची में भी डाला जा सकता है। 

इसे भी पढ़ें: भारत के चंद्रयान 2 के बाद अब पाकिस्तान भी भेजेगा अपना पहला अंतरिक्ष यात्री

खबरों के मुताबिक, अक्टूबर में पूर्ण बैठक के पहले बैंकाक में एफएटीएफ की अंतिम समीक्षा के पहले पाकिस्तान ने खराब प्रदर्शन किया है। कैबिनेट के एक सदस्य ने ‘द न्यूज’ से कहा, ‘‘एफएटीएफ अगले महीने अक्टूबर में बैठक करने जा रहा है, जहां पाकिस्तान के भविष्य का फैसला होगा। उसी महीने आईएमएफ छह अरब कर्ज योजना के तहत पाकिस्तान के प्रदर्शन के पहली तिमाही की समीक्षा की शुरूआत करेगा। सरकार राजस्व संकट का सामना कर रही है और आईएमएफ के निर्देश पर और कर लगाने के लिए मिनी बजट लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सरकार (जनता पर) और कर नहीं लगाना चाहती है और यह तभी मुमकिन होगा जब अमेरिका आईएमएफ से राहत दिलाने में अपनी भूमिका निभाएगा।

प्रमुख खबरें

PoK में झड़पों के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने स्थानीय मुद्दों के हल के लिए समिति गठित की

कांग्रेस ‘परिवारवाद मोह’ में फंस गई है: नायब सिंह सैनी

Madhya Pradesh : नशे के आदी व्यक्ति ने पिता की हत्या की, मां को जख्मी किया

भाजपा लोकसभा चुनाव में लोगों तक अपनी बात पहुंचाने में विफल रही है : Uddhav